उदयपुर जिला: इतिहास, भूगोल, प्रशासन, सांस्कृतिक धरोहर – अध्ययन नोट्स
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उदयपुर: परिचय एवं प्रशासनिक संरचना
उदयपुर को झीलों की नगरी और पूर्व का वेनिस (Venice of East) के नाम से जाना जाता है। यह राजस्थान के दक्षिणी भाग में 24.58° उत्तर अक्षांश और 73.68° पूर्व देशांतर पर स्थित है। उत्तर में राजसमंद, पूर्व में चित्तौड़गढ़व प्रतापगढ़, दक्षिण-पूर्व में बांसवाड़ा, दक्षिण में डूंगरपुर, पश्चिम में सिरोहीऔर उत्तर-पश्चिम में पालीइसकी सीमाएँ हैं। कुल क्षेत्रफल: 13,883 वर्ग किमी प्रमुख तहसीलें: मावली, गोगुंदा, कोटड़ा, झाड़ोल, गिरवा, वल्लभनगर, लासाड़िया, सलूम्बर, सराड़ा, ऋषभदेव, खेड़वाड़ा, सेमारी official portal: udaipur
Page Contents
उदयपुर का ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य
आहार (बाणास) सभ्यता
उदयपुर क्षेत्र की प्राचीनता आहार सभ्यता (Ahar-Banas Culture) से जुड़ी है, जो 3000 ई.पू. से 1500 ई.पू. के मध्य फली-फूली।
यह सभ्यता बेराच, बाणास, आहार नदियों के किनारे विकसित हुई थी।
लोग तांबे के औजार बनाते थे और गेहूं, जौ की खेती करते थे।
यह सिंधु घाटी सभ्यता की समकालीन थी।
महाराणा उदयसिंह द्वितीय द्वारा स्थापना
1559 ई. में महाराणा उदयसिंह द्वितीय ने चित्तौड़गढ़ के स्थान पर उदयपुर को मेवाड़ की नई राजधानी बनाया।
उन्होंने गिरवा घाटी (नगदा के दक्षिण-पश्चिम) में आहार नदी के किनारे नगर बसाया।
मुगल सम्राट अकबर ने 1567 में चित्तौड़गढ़ पर आक्रमण किया, जिसके बाद उदयसिंह ने उदयपुर में 6 किमी लंबी दीवार और 7 भव्य द्वार (सूरजपोल, चांदपोल, उदियापोल, हाथीपोल, अंबापोल, ब्रह्मपोल आदि) बनवाए।
धीरे-धीरे मेवाड़ के सिसोदिया शासकों ने स्वतंत्रता पुनः प्राप्त की और चित्तौड़ छोड़कर उदयपुर को राजधानी बनाए रखा।
1818 में उदयपुर ब्रिटिश भारत का रियासत राज्य बना।
उदयपुर के शासकों की सूची (मुख्य)
शासक का नाम
शासनकाल
प्रमुख उपलब्धियाँ/घटनाएँ
उदयसिंह द्वितीय
1540–1572
उदयपुर की स्थापना, चित्तौड़ से राजधानी स्थानांतरित
खनिज उत्पादन मूल्य में राज्य में प्रथम स्थान, खनिज राजस्व में द्वितीय
उदयपुर की जनसंख्या एवं सामाजिक स्थिति
विषय
विवरण
कुल जनसंख्या (2011)
608,426 (शहरी)
जनसंख्या घनत्व
262 व्यक्ति/वर्ग किमी
उदयपुर के मेले, त्यौहार एवं सांस्कृतिक विरासत
लोकनृत्य
घूमर: मेवाड़ क्षेत्र का सामूहिक महिला नृत्य, शुभ अवसरों पर।
कालबेलिया: सपेरा समुदाय का नृत्य, काले घाघरे व चांदी की कढ़ाई।
भवाई: घूंघटधारी महिलाएँ सिर पर 7-9 घड़े रखकर, तलवार या काँच पर नृत्य करती हैं।
कच्छी घोड़ी: पुरुष नकली घोड़े पर, तलवार लेकर, ढोल-शहनाई की धुन पर नृत्य।
प्रमुख त्योहार
त्योहार/मेला
समय/महत्व
गणगौर
चैत्र (मार्च-अप्रैल), महिलाओं का प्रमुख पर्व, गणगौर घाट पर आयोजन
शिल्पग्राम उत्सव
दिसंबर-जनवरी, 10 दिवसीय, हस्तशिल्प, लोकनृत्य, सांस्कृतिक प्रदर्शन
हरियाली अमावस्या
सावन अमावस्या, वर्षा व हरियाली का स्वागत, मेले
जगन्नाथ रथ यात्रा
आषाढ़ शुक्ल द्वितीया, भव्य शोभायात्रा
जल-झूलनी एकादशी
भाद्रपद शुक्ल एकादशी, झीलों में डोल-यात्रा
उदयपुर के ऐतिहासिक स्थल (तालिका)
स्थल
प्रमुख विशेषताएँ
सिटी पैलेस
विशाल महल परिसर, राजस्थानी-मुगल शैली
लेक पैलेस
पिचोला झील में, अब होटल, संगमरमर निर्माण
जग मंदिर
पिचोला झील में, शाहजहाँ को शरण
मानसून पैलेस
सज्जनगढ़ पहाड़ी पर, सफेद संगमरमर
जगदीश मंदिर
1651, विष्णु मंदिर, इंडो-आर्यन शैली
आहार संग्रहालय
छतरियाँ, प्राचीन मूर्तियाँ, बुद्ध प्रतिमा
उदयपुर जिला राजस्थान की सांस्कृतिक, ऐतिहासिक, प्राकृतिक और खनिज विविधता का अद्वितीय उदाहरण है। यहाँ की झीलें, महल, मंदिर, लोकनृत्य, त्योहार, खनिज संपदा और प्राचीन सभ्यता इसे विशिष्ट बनाते हैं। उदयपुर न केवल पर्यटन, बल्कि इतिहास, भूगोल, संस्कृति और प्रशासनिक अध्ययन के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। प्रतियोगी परीक्षाओं, सामान्य ज्ञान और राजस्थान अध्ययन के लिए यह विस्तृत नोट्स अत्यंत उपयोगी हैं।
महत्वपूर्ण बिंदु:
उदयपुर का इतिहास, भूगोल, प्रशासन, सांस्कृतिक स्थल, प्राकृतिक संसाधन, जनसंख्या – सभी परीक्षोपयोगी तथ्यों का समावेश।
तालिकाएँ विषयवस्तु को संक्षिप्त और स्पष्ट रूप में प्रस्तुत करती हैं।
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