जयपुर जिला: इतिहास, भूगोल, संस्कृति, प्रशासन, पर्यटन

By RR Classes

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जयपुर जिला राजस्थान की राजधानी और सबसे अधिक आबादी वाला जिला है, जिसे गुलाबी नगर, पूर्व का पेरिस और राजस्थान का दिल भी कहा जाता है। यह जिला अपनी ऐतिहासिक विरासत, भव्य महलों, किलों, समृद्ध संस्कृति, जीवंत बाजारों, शिल्पकला और आधुनिक विकास के लिए प्रसिद्ध है। जयपुर का नाम इसके संस्थापक महाराजा सवाई जय सिंह द्वितीय के नाम पर रखा गया, जिन्होंने 18 नवम्बर 1727 को इसकी स्थापना की थी । यह जिला राजस्थान के पूर्व-मध्य भाग में स्थित है और राज्य के प्रशासनिक, सांस्कृतिक, शैक्षणिक और औद्योगिक केंद्र के रूप में जाना जाता है।

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जयपुर का इतिहास

  • जयपुर की स्थापना 1727 ई. में महाराजा सवाई जय सिंह द्वितीय द्वारा की गई थी, जिन्होंने आमेर से राजधानी जयपुर स्थानांतरित की ।
  • जयपुर का नगर नियोजन वास्तुशास्त्र के आधार पर हुआ, जिसमें चौड़ी सड़कें, वर्गाकार बाजार और सुरक्षा के लिए दीवारें बनाई गईं।
  • इसे गुलाबी नगर (Pink City) कहा जाता है, क्योंकि 1876 में प्रिंस ऑफ वेल्स के स्वागत में पूरे शहर को गुलाबी रंग से रंगा गया था।
  • जयपुर राज्य का ऐतिहासिक महत्व मुगलों, मराठों और ब्रिटिश शासन के दौरान भी बना रहा।
  • स्वतंत्रता के बाद जयपुर राजस्थान राज्य की राजधानी बना और यहाँ का प्रशासनिक ढांचा लगातार विकसित होता गया ।

जयपुर की भौगोलिक स्थिति

विषयविवरण
अक्षांश-देशांश26°25′ से 27°40′ उत्तर, 75°7′ से 76°15′ पूर्व
क्षेत्रफललगभग 11,143 वर्ग किमी
सीमाएँउत्तर में सीकर, पूर्व में अलवर व दौसा, दक्षिण में टोंक, पश्चिम में अजमेर व नागौर
प्रमुख नदीबाणगंगा, ढूंढ, सागरमती, दाई
जलवायुअर्द्ध-शुष्क, औसत वर्षा 60-65 सेमी, तापमान 4°C-45°C
स्थलाकृतिअरावली पर्वतमाला, समतल मैदान, बालू के टीले, छोटी पहाड़ियाँ

जयपुर का क्षेत्रफल कुल

जयपुर का क्षेत्रफल कुल 484.64 वर्ग किलोमीटर (187.12 वर्ग मील) है। यह राजस्थान राज्य की राजधानी और सबसे बड़ा शहर है। जयपुर को ‘गुलाबी नगरी’ (पिंक सिटी) के नाम से भी जाना जाता है और यह अपनी ऐतिहासिक धरोहर, समृद्ध संस्कृति और सुनियोजित शहरी विकास के लिए प्रसिद्ध है। शहर तीन ओर से अरावली पर्वतमाला से घिरा हुआ है, जिससे इसकी भौगोलिक स्थिति और भी खास बन जाती है ।

  • जयपुर थार मरुस्थल की पूर्वी सीमा पर स्थित है, जिससे यहाँ शुष्क, गर्म और कभी-कभी आर्द्र जलवायु मिलती है ।
  • अरावली पर्वतमाला जिले के उत्तर-पूर्वी भाग से गुजरती है, जिससे यहाँ की स्थलाकृति विविधतापूर्ण है।

जयपुर का प्रशासनिक ढांचा

उपखंड (2024)तहसीलें (2024)
जयपुर, सांगानेर, आमेर, बस्सी, चाकसू, जमवारामगढ़, चौमूं, सांभरलेक, माधोराजपुरा, रामपुरा डाबड़ी, किशनगढ़-रेनवाल, जोबनेर, शाहपुरा, फागी, दूदू, मौजमाबादमौजमाबाद, दूदू, फागी, शाहपुरा, जोबनेर, किशनगढ़-रेनवाल, रामपुरा डाबड़ी, माधोराजपुरा, फुलेरा, चौमूं, आंधी, जमवारामगढ़, कोटखावदा, चाकसू, तूंगा, बस्सी, जालसू, सांगानेर, कालवाड़, आमेर, जयपुर
  • 2024 में प्रशासनिक पुनर्गठन के बाद जयपुर जिले में 16 उपखंड और 21 तहसीलें हैं ।
  • जयपुर नगर निगम, विकास प्राधिकरण, जिला परिषद, पंचायत समिति, नगर पालिका आदि प्रशासनिक इकाइयाँ कार्यरत हैं।
  • जयपुर जिला राजस्थान के अजमेर संभाग में आता है ।

राजनीतिक एवं विधानसभा संरचना

विधानसभा क्षेत्रवर्तमान विधायक (2024)दल
हवामहलबालमुकुंद आचार्यभाजपा
विद्याधर नगरदीया कुमारीभाजपा
सिविल लाइंसगोपाल शर्माभाजपा
किशनपोलअमीनुद्दीन कागज़ीकांग्रेस
आदर्श नगररफीक खानकांग्रेस
मालवीय नगरकालीचरण सराफभाजपा
सांगानेरभजनलाल शर्माभाजपा
बगरूकैलाश चंद वर्माभाजपा
  • जयपुर जिले में कुल 8 प्रमुख विधानसभा क्षेत्र हैं, जो राज्य की राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

जनसंख्या, भाषा और सामाजिक संरचना

विषयविवरण
कुल जनसंख्या (2021 अनुमान)75 लाख+ (2011: 66,26,178)
जनसंख्या घनत्व594 व्यक्ति/वर्ग किमी (2011)
शहरी जनसंख्या52%+
साक्षरता76.44% (पुरुष 87.27%, महिलाएँ 64.02%)
लिंगानुपात909 महिलाएँ प्रति 1000 पुरुष
प्रमुख भाषाएँहिंदी, राजस्थानी, अंग्रेज़ी
  • यहाँ की संस्कृति में राजपूत, ब्राह्मण, जैन, मुस्लिम, सिंधी, मारवाड़ी, भील, मीणा आदि जातियाँ प्रमुख हैं।
  • जयपुर में हिंदी और राजस्थानी बोलियों का प्रचलन है, शहरी क्षेत्र में अंग्रेज़ी भी आम है।

कला, संस्कृति और लोकजीवन

  • जयपुर को कला, वास्तुकला और हस्तशिल्प की नगरी कहा जाता है।
  • ब्लू पॉटरी, लाख की चूड़ियाँ, मीणाकारी, कांच का काम, राजस्थानी गहने, जयपुरी रजाई, बांधेज, छपाई आदि शिल्पकला यहाँ प्रसिद्ध है।
  • गुलाबी रंग (Pink) जयपुर की पहचान है, जिससे शहर की इमारतें और बाजार आकर्षक दिखते हैं।
  • लोकनृत्य: घूमर, कालबेलिया, गेर, चरी, तेरहताली।
  • लोकगीत: मांड, पल्ला, पनिहारी।
  • प्रमुख त्योहार: तीज, गणगौर, दीपावली, होली, पतंग उत्सव, गंगौर, काइट फेस्टिवल, जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल
  • जयपुर की पारंपरिक वेशभूषा, खानपान (दाल-बाटी-चूरमा, घेवर, मिर्ची बड़ा, प्याज कचौरी) भी विश्व प्रसिद्ध है।

जयपुर के प्रमुख दर्शनीय स्थल

1. आमेर किला (Amber Fort)

आमेर किला जयपुर से लगभग 11 किलोमीटर दूर अरावली की पहाड़ियों पर स्थित है। यह किला अपनी भव्यता, सुंदर वास्तुकला और ऐतिहासिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है। किले के भीतर शीश महल, दीवान-ए-आम और दीवान-ए-खास जैसी आकर्षक संरचनाएँ हैं। यहाँ से माओटा झील का दृश्य भी बेहद मनोहारी है।

2. सिटी पैलेस (City Palace)

जयपुर के केंद्र में स्थित सिटी पैलेस एक भव्य महल परिसर है, जिसमें राजसी महल, आंगन, संग्रहालय और मंदिर शामिल हैं। यह महल राजपूत और मुगल वास्तुकला का सुंदर मिश्रण है। यहाँ रखी गई प्राचीन वस्तुएँ, पोशाकें और हथियार जयपुर के गौरवशाली इतिहास को दर्शाती हैं। सिटी पैलेस आज भी शाही परिवार का निवास स्थान है।

3. हवा महल (Hawa Mahal)

हवा महल को ‘पैलेस ऑफ विंड्स’ भी कहा जाता है और यह पाँच मंजिला इमारत है। इसकी 953 छोटी-छोटी खिड़कियाँ (झरोखे) इसे खास बनाती हैं, जिनसे ठंडी हवा महल के अंदर आती है। इसे खास तौर पर शाही महिलाओं के लिए बनवाया गया था, ताकि वे बिना देखे बाहर का नज़ारा देख सकें। इसका गुलाबी रंग और अनूठी वास्तुकला पर्यटकों को आकर्षित करती है।

4. जल महल (Jal Mahal)

जल महल मनसागर झील के बीचों-बीच स्थित एक सुंदर महल है। यह महल अपनी शांत सुंदरता और झील में प्रतिबिंबित छवि के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ प्रवासी पक्षियों का आना और झील के किनारे की शांति पर्यटकों को आकर्षित करती है। सूर्यास्त के समय यहाँ का दृश्य बेहद मनोहारी होता है।

5. नाहरगढ़ किला (Nahargarh Fort)

अरावली की पहाड़ियों पर बना नाहरगढ़ किला जयपुर शहर का शानदार दृश्य प्रस्तुत करता है। यह किला कभी जयपुर की सुरक्षा के लिए बनाया गया था और आज यह फोटोग्राफी और पिकनिक के लिए लोकप्रिय स्थल है। किले के भीतर कई सुंदर महल और कमरे हैं। सूर्यास्त के समय यहाँ का नज़ारा देखने लायक होता है।

6. जंतर मंतर (Jantar Mantar)

जंतर मंतर एक प्राचीन खगोलीय वेधशाला है, जिसे महाराजा सवाई जय सिंह द्वितीय ने बनवाया था। यहाँ विशाल खगोलीय यंत्र रखे गए हैं, जिनसे समय, ग्रहों की स्थिति आदि का पता लगाया जाता था। यह स्थल विज्ञान और इतिहास में रुचि रखने वालों के लिए खास आकर्षण है। यह यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल भी है।

7. गोविंद देवजी मंदिर (Govind Dev Ji Temple)

यह मंदिर भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित है और जयपुर के सिटी पैलेस परिसर में स्थित है। यहाँ की आरती और भजन-कीर्तन का वातावरण भक्तों को आध्यात्मिक अनुभव देता है। मंदिर में हर दिन हजारों श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं। यह मंदिर जयपुर के राजपरिवार का आराध्य स्थल भी है।

8. मोती डूंगरी गणेश मंदिर (Moti Dungri Ganesh Temple)

यह प्रसिद्ध गणेश मंदिर एक छोटी पहाड़ी पर स्थित है, जो दूर से ही दिखाई देता है। मंदिर की वास्तुकला और यहाँ की भव्यता श्रद्धालुओं को आकर्षित करती है। यहाँ हर बुधवार और त्योहारों पर विशेष भीड़ रहती है। मंदिर के पास ही मोती डूंगरी किला भी स्थित है।

9. बिरला मंदिर (Birla Mandir)

बिरला मंदिर सफेद संगमरमर से निर्मित एक भव्य मंदिर है, जो लक्ष्मी-नारायण को समर्पित है। इसकी आधुनिक वास्तुकला और स्वच्छता इसे खास बनाती है। मंदिर के प्रांगण में शांति और आध्यात्मिकता का अनुभव होता है। शाम के समय यहाँ की रोशनी और सजावट देखने लायक होती है।

10. राम निवास बाग एवं अल्बर्ट हॉल म्यूज़ियम (Ramniwas Bagh & Albert Hall Museum)

राम निवास बाग एक विशाल ऐतिहासिक बग़ीचा है, जिसमें अल्बर्ट हॉल म्यूज़ियम स्थित है। संग्रहालय में प्राचीन मूर्तियाँ, चित्रकला, हथियार और अन्य ऐतिहासिक वस्तुएँ प्रदर्शित हैं। बाग की हरियाली और संग्रहालय की कलाकृतियाँ पर्यटकों को आकर्षित करती हैं। यहाँ सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित होते रहते हैं।

11. सिसोदिया रानी का बाग (Sisodia Rani ka Bagh)

यह बाग जयपुर-आगरा रोड पर स्थित है और अपनी सुंदर मुगल शैली की बग़ीचों के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ बहु-स्तरीय बग़ीचे, फव्वारे, जलधाराएँ और भित्ति चित्र पर्यटकों को आकर्षित करते हैं। बाग की शांति और हरियाली फोटोग्राफी और प्रकृति प्रेमियों के लिए आदर्श स्थल है। यह स्थल रानी सिसोदिया के लिए बनवाया गया था।

  • जयपुर के महल, किले, मंदिर, बाजार और संग्रहालय इसे पर्यटन का अंतरराष्ट्रीय केंद्र बनाते हैं ।

अर्थव्यवस्था और प्रमुख उद्योग

  • कृषि: मुख्य फसलें- गेहूँ, जौ, बाजरा, चना, सरसों, तिलहन, फल-सब्जी
  • उद्योग: हथकरघा, वस्त्र, गहने, ब्लू पॉटरी, कांच उद्योग, कागज, मार्बल, रसायन
  • पर्यटन: जयपुर की अर्थव्यवस्था में पर्यटन का बड़ा योगदान है।
  • शिक्षा: राजस्थान विश्वविद्यालय, मालवीय राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान, जेएलएन मेडिकल कॉलेज, कई निजी विश्वविद्यालय।
  • आईटी, स्टार्टअप, रियल एस्टेट, बैंकिंग, होटलिंग, ई-कॉमर्स में भी जयपुर अग्रणी है।

भूगोल और जलवायु

विषयविवरण
जलवायुअर्द्ध-शुष्क, औसत वर्षा 60-65 सेमी, तापमान 4°C-45°C
स्थलाकृतिअरावली पर्वतमाला, समतल मैदान, बालू के टीले, छोटी पहाड़ियाँ
प्रमुख नदीबाणगंगा, ढूंढ, सागरमती, दाई
प्रमुख झीलेंमानसागर, रामगढ़, चंद्रमहल झील
  • जयपुर जिले का अधिकांश भाग समतल मैदान है, लेकिन उत्तर-पूर्व में अरावली पर्वतमाला है।
  • मानसून में औसत वर्षा 60-65 सेमी होती है, गर्मियों में तापमान 45°C तक पहुँच जाता है।

शिक्षा, प्रशासन एवं अन्य विशेषताएँ

  • राजस्थान विश्वविद्यालय (1947), राज्य का पहला विश्वविद्यालय, जयपुर में स्थापित हुआ ।
  • राजस्थान उच्च न्यायालय की खंडपीठ, राजस्थान विधानसभा, राजभवन यहीं स्थित हैं।
  • जयपुर में राजस्थान का पहला साइबर थाना है|
  • विश्व का एकमात्र कल्कि मंदिर भी जयपुर में है |
  • जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल, एशिया का सबसे बड़ा साहित्यिक उत्सव, यहीं आयोजित होता है।
  • जयपुर मेट्रो, राजस्थान की पहली मेट्रो रेल सेवा है।

भाषा, संस्कृति और जीवनशैली

  • यहाँ की प्रमुख भाषा हिंदी है, लेकिन राजस्थानी (ढूंढाड़ी) और अंग्रेज़ी का भी व्यापक प्रयोग होता है।
  • जयपुर की संस्कृति में राजपूत, ब्राह्मण, जैन, मुस्लिम, सिंधी, मारवाड़ी, भील, मीणा आदि जातियों का समावेश है।
  • पारंपरिक वेशभूषा: पुरुषों के लिए साफा, अंगरखा, धोती; महिलाओं के लिए घाघरा, ओढ़नी, कांचली।
  • खानपान: दाल-बाटी-चूरमा, घेवर, मिर्ची बड़ा, प्याज कचौरी, केसरिया दूध, लस्सी, जयपुरी रबड़ी।

महत्वपूर्ण तथ्य (Quick Facts) – परीक्षा दृष्टि से

बिंदुविवरण
स्थापना18 नवम्बर 1727, सवाई जय सिंह द्वितीय द्वारा
उपनामगुलाबी नगर, पूर्व का पेरिस, राजस्थान का दिल
क्षेत्रफललगभग 11,143 वर्ग किमी
जनसंख्या75 लाख+ (2021 अनुमान)
प्रमुख नदीबाणगंगा, ढूंढ, सागरमती, दाई
प्रमुख स्थलआमेर किला, हवा महल, सिटी पैलेस, जल महल, जंतर मंतर
प्रमुख नृत्यघूमर, कालबेलिया, गेर, चरी, तेरहताली
प्रमुख उद्योगपर्यटन, हस्तशिल्प, वस्त्र, गहने, ब्लू पॉटरी
प्रमुख त्योहारतीज, गणगौर, दीपावली, जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल
प्रमुख विश्वविद्यालयराजस्थान विश्वविद्यालय, एमएनआईटी, जेएलएन मेडिकल कॉलेज

जयपुर जिला राजस्थान की राजनीतिक, सांस्कृतिक, शैक्षणिक और आर्थिक राजधानी है। इसकी ऐतिहासिक धरोहरें, भव्य महल-किले, जीवंत बाजार, शिल्पकला, उत्सव-त्योहार और आधुनिक विकास इसे न केवल राज्य बल्कि देश और दुनिया के सबसे महत्वपूर्ण जिलों में स्थान दिलाते हैं। गुलाबी नगर के रूप में प्रसिद्ध यह जिला अपनी परंपरा, संस्कृति और नवाचार के साथ निरंतर आगे बढ़ रहा है।


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