बारां जिला ( Baran Jila Darshan ): A Complete Study

By RR Classes

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बारां राजस्थान के दक्षिण-पूर्वी कोने में स्थित एक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक दृष्टि से समृद्ध जिला है। यह अपनी प्राकृतिक सुंदरता, पुरातात्विक धरोहर, जनजातीय संस्कृति और हरियाली के लिए प्रसिद्ध है। बारां कोटा संभाग का हिस्सा है और यहाँ की भूमि उपजाऊ एवं जलवायु अनुकूल है।

भौगोलिक स्थिति, क्षेत्रफल एवं प्रशासनिक संरचना

  • अक्षांश: 24°25′ से 25°25′ उत्तर
  • देशांतर: 76°12′ से 77°26′ पूर्व
  • समुद्र तल से ऊँचाई: 265 मीटर
  • क्षेत्रफल: 6,955 वर्ग किमी
  • सीमाएँ:
    • पूर्व में मध्य प्रदेश के श्योपुर, शिवपुरी, गुना
    • उत्तर-पश्चिम में कोटा
    • दक्षिण-पश्चिम में झालावाड़
  • प्रशासनिक विभाजन: 8 तहसीलें – अंता, अटरू, बारां, छबड़ा, छीपाबड़ौद, किशनगंज, मांगरोल, शाहबाद

प्रशासनिक सारणी

तहसील का नाममुख्य विशेषता
अंताऔद्योगिक क्षेत्र
अटरूऐतिहासिक किले
बारांजिला मुख्यालय
छबड़ाकृषि उत्पादक क्षेत्र
छीपाबड़ौदव्यापारिक केंद्र
किशनगंजऐतिहासिक स्थल
मांगरोलजनजातीय क्षेत्र
शाहबादकिले और जंगल

बारां का इतिहास

  • मूल शासक: 14वीं-15वीं सदी में यहाँ सोलंकी राजपूत शासक थे।
  • नाम की उत्पत्ति:
    • एक मत के अनुसार, सोलंकी शासकों के अधीन 12 गाँव थे, इसलिए इसका नाम ‘बारां’ पड़ा।
    • दूसरा मत कहता है कि यहाँ की भूमि बरानी (बारानी) थी, इसलिए इसे बारां कहा गया।
  • स्वतंत्रता पूर्व: अधिकांश बारां क्षेत्र कोटा रियासत का हिस्सा था, शाहबाद झालावाड़ और छबड़ा टोंक रियासत में था।
  • स्वतंत्रता के बाद:
    • 31 मार्च 1949 को राजस्थान पुनर्गठन के तहत बारां को कोटा जिले का उपमंडल बनाया गया।
    • 10 अप्रैल 1991 को बारां को कोटा से अलग कर नया जिला बनाया गया।

बारां के ऐतिहासिक स्थल

1. शाहबाद किला

  • हाड़ौती क्षेत्र का सबसे मजबूत किला, 1521 ई. में चौहान वंशी धंधेल राजपूत मुकुटमणि देव द्वारा निर्मित।
  • घने जंगलों और ऊँची पहाड़ियों पर स्थित।
  • टोपखाना, बारूदखाना, नवलबान तोप और मंदिर विद्यमान।

2. शेरगढ़ किला

  • अटरू तहसील में, परवन नदी के किनारे पहाड़ी पर स्थित।
  • 790 ई. के शिलालेख से स्थान की प्राचीनता प्रमाणित।
  • शेरशाह ने इसका नाम ‘कोशवर्धन’ रखा।

3. सीताबाड़ी

  • केलवाड़ा कस्बे के पास, राष्ट्रीय राजमार्ग पर।
  • पौराणिक स्थल – कहा जाता है कि सीता माता ने यहाँ निवास किया, लव-कुश का जन्मस्थान।
  • बाल्मीकि, सीता, लक्ष्मण, सूर्य, लव-कुश कुंड, सीता कुटी प्रमुख।
  • सहरिया जनजाति का विशाल मेला (मई/जून)।

4. भांड देवरा (रामगढ़) मंदिर

  • बारां से 40 किमी दूर, 10वीं सदी का शिव मंदिर।
  • मिथुन मूर्तियों के कारण इसे ‘राजस्थान का मिनी खजुराहो’ कहा जाता है।
  • सरोवर के किनारे, पुरातत्व विभाग के संरक्षण में।

5. नाहरगढ़ किला

  • किशनगंज तहसील में, लाल पत्थर से निर्मित, मुग़ल वास्तुकला का सुंदर उदाहरण।

6. कन्या दह – बिलासगढ़

  • किशनगंज तहसील में, खींची राजाओं का नगर।
  • औरंगज़ेब के आदेश पर नगर नष्ट, राजा की सुंदर पुत्री ने बिलासी नदी में कूदकर जान दी – स्थल अब ‘कन्या दह’ कहलाता है।

बारां के प्रमुख मेले और त्यौहार

1. डोल मेला

  • बारां शहर के डोल तालाब पर जलझूलनी एकादशी से 15 दिन तक।
  • 54 देव विमानों की शोभायात्रा, अखाड़ों के करतब।
  • राजस्थान और मध्य प्रदेश से बड़ी संख्या में लोग आते हैं।

2. सीताबाड़ी मेला

  • केलवाड़ा के पास, ज्येष्ठ अमावस्या को।
  • सहरिया जनजाति का कुंभ।
  • सहरिया युवक-युवतियाँ यहाँ विवाह के लिए मिलते हैं, ‘बरनावा’ वृक्ष के फेरे लगाकर विवाह सम्पन्न होता है।
  • पशु मेला भी लगता है।

3. फूलडोल उत्सव

  • किशनगंज में होली पर आयोजित।
  • दूल्हा अपने ससुराल में मित्रों के साथ होली खेलने जाता है।
  • ‘फुलडोलो’ शोभायात्रा, गिद्ध-रावण युद्ध, बैंड-बंदी स्वांग आदि।

4. ब्राह्मणी माताजी मेला

  • सोंरसन के पुराने किले में, माघ शुक्ल सप्तमी को।
  • हाड़ौती क्षेत्र का एकमात्र गधा मेला।

5. पीपलोद क्रिसमस मेला

  • अटरू तहसील के पीपलोड़ गाँव के एकमात्र चर्च में 25 दिसम्बर को।
  • सभी धर्मों के लोग भाग लेते हैं।

भूगोल एवं प्राकृतिक स्थल

  • बारां की भूमि मालवा के पठार से उत्तर की ओर ढलान लिए हुए है।
  • दक्षिण, उत्तर एवं पूर्व में पहाड़ियाँ हैं; पूर्वी शाहबाद की पहाड़ियों में मामूनी (546 मीटर) जिला का उच्चतम बिंदु है।
  • अरावली पर्वतमाला का भाग।
  • दक्षिण से उत्तर की ओर भूमि की ढलान, जल निकासी चंबल, पार्वती, परवन नदियों द्वारा होती है।

प्राकृतिक स्थल सारणी

स्थल का नामविशेषता
सोंरसन वन्यजीव अभयारण्य41 वर्ग किमी क्षेत्रफल, पठारी भू-भाग, जलाशय, पक्षी व जीव-जंतु विविधता
कुंडाकोह घाटीझरने, झील, प्राकृतिक सौंदर्य
सीताबाड़ीपौराणिक स्थल, कुंड, जंगल

मुख्य नदियाँ

  • चंबल: बारां की प्रमुख नदी, जिले की उत्तरी सीमा बनाती है।
  • पार्वती: विंध्य क्षेत्र के सीहोर से निकलती है, बारां में प्रवेश कर कोटा में चंबल से मिलती है।
  • परवन: जिले की पश्चिमी सीमा पर बहती है।
  • अन्य सहायक नदियाँ – कालिसिंध, अंधेरी, बामनी, ब्रह्मणी, माही, आदि।

नदी सारणी

नदी का नामउद्गम स्थलबारां में मार्गसंगम स्थल
चंबलमध्यप्रदेशउत्तर सीमाकोटा (यमुना)
पार्वतीसीहोर (म.प्र.)बारां, कोटाचंबल
परवनपठारी क्षेत्रपश्चिमी सीमाचंबल

प्राकृतिक संपदा और वन्यजीव

  • सोंरसन वन्यजीव अभयारण्य:
    • 41 वर्ग किमी क्षेत्रफल, पठारी और झाड़ियों वाला भू-भाग।
    • पक्षी, जानवर, सरीसृपों की विविधता।
    • पश्चिम में परवन नदी, पूर्व में उपजाऊ कृषि भूमि।
  • कुंडाकोह घाटी: झरने, झीलें, घना जंगल।
  • वनस्पति: सागौन, बांस, खैर, तेंदू, नीम आदि।
  • वन्यजीव: तेंदुआ, भालू, हिरण, खरगोश, सियार, सर्प, पक्षी।

जनसंख्या, साक्षरता एवं सामाजिक स्थिति

  • जनसंख्या (2011): 12,23,921
    • ग्रामीण: 79.21%
    • शहरी: 20.79%
  • लिंगानुपात: 926 महिलाएँ प्रति 1000 पुरुष
  • जनसंख्या घनत्व: 175 व्यक्ति/वर्ग किमी
  • साक्षरता दर: 67.38%
  • प्रमुख जनजाति: सहरिया

जनसंख्या सारणी

वर्षकुल जनसंख्याग्रामीण (%)शहरी (%)लिंगानुपातसाक्षरता दर (%)
201112,23,92179.2120.7992667.38

आर्थिक एवं सांस्कृतिक विशेषताएँ

  • कृषि: मुख्य व्यवसाय, गेहूँ, चना, सोयाबीन, मक्का, तिलहन।
  • जनजातीय संस्कृति: सहरिया जनजाति की अनूठी परंपराएँ, मेलों में सामूहिक विवाह, पशु व्यापार।
  • हस्तशिल्प: लकड़ी के खिलौने, मिट्टी के बर्तन, पारंपरिक वस्त्र।

निष्कर्ष

बारां जिला राजस्थान का एक महत्वपूर्ण, ऐतिहासिक और सांस्कृतिक दृष्टि से समृद्ध क्षेत्र है। यहाँ की प्राकृतिक विविधता, जनजातीय संस्कृति, ऐतिहासिक धरोहर और हरियाली इसे अन्य जिलों से अलग बनाती है। प्रतियोगी परीक्षाओं व सामान्य अध्ययन के लिए यह नोट्स अत्यंत उपयोगी हैं।

नोट:
महत्वपूर्ण बिंदुओं को दोहराएँ, नक्शे व सारणियों का अध्ययन करें, और बारां जिले के ऐतिहासिक, भौगोलिक व सांस्कृतिक महत्व को समझें।

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