राजस्थान बाड़मेर जिला ( Barmer Jila Darshan ) : A Complete Study

By RR Classes

Updated on:

बाड़मेर राजस्थान राज्य के पश्चिमी भाग में स्थित एक महत्वपूर्ण जिला है। यह थार मरुस्थल का एक हिस्सा है और अपनी सांस्कृतिक धरोहर, ऐतिहासिक महत्व और विशिष्ट भौगोलिक परिस्थितियों के लिए जाना जाता है। यहां की लोक संस्कृति और हस्तशिल्प इसे पर्यटकों के लिए एक आकर्षक गंतव्य बनाते हैं।

भौगोलिक स्थिति, क्षेत्रफल एवं प्रशासनिक संरचना

  • अक्षांश: 24°58′ उत्तरी से 26°32′ उत्तरी
  • देशांतर: 70°05′ पूर्वी से 72°52′ पूर्वी
  • स्थिति: पश्चिमी राजस्थान, उत्तर में जैसलमेर, दक्षिण में जालोर, पूर्व में पाली और जोधपुर, पश्चिम में पाकिस्तान से घिरा।
  • क्षेत्रफल: 28,387 वर्ग किमी
  • प्रशासनिक विभाजन: 14 तहसीलें – बाड़मेर, बायतु, चौहटन, धोरीमन्ना, गिड़ा, गडरा रोड, गुड़ामालानी, रामसर, समदड़ी, सेड़वा, शिव, सिणधरी, सिवाना, पचपदरा।

तहसील सारणी

क्रमांकतहसीलमुख्य विशेषता
1बाड़मेरजिला मुख्यालय
2बायतुकृषि क्षेत्र
3चौहटनसीमावर्ती क्षेत्र
4धोरीमन्नापशुधन
5गिड़ाऊर्जा उत्पादन
6गडरा रोडरेलवे स्टेशन
7गुड़ामालानीकृषि आधारित उद्योग
8रामसरपारंपरिक कला और शिल्प
9समदड़ीखनिज संसाधन
10सेड़वासीमावर्ती क्षेत्र
11शिवतेल और गैस उत्पादन
12सिणधरीसिणधरी लिग्नाइट परियोजना
13सिवानाऐतिहासिक दुर्ग
14पचपदरानमक उत्पादन, प्रस्तावित तेल रिफाइनरी

बाड़मेर का इतिहास

  • प्राचीन नाम: पूर्व में यह क्षेत्र मल्लिनाथ के नाम से जाना जाता था, जो राव साल्खा के पुत्र थे।
  • मल्लिनाथ: राजपूतों द्वारा पूजे जाते हैं। लूनी नदी के आसपास का क्षेत्र मल्लिनाथ के नाम पर मालानी कहलाता था।
  • बाड़मेर नाम की उत्पत्ति: 13वीं शताब्दी के शासक बाहादा राव परमार (पंवार) या बार राव परमार (पंवार) के नाम पर बाहड़मेर (“बाहादा का पहाड़ी किला”) रखा गया, जिसे अंग्रेजों ने 18वीं शताब्दी में बाड़मेर या Balmer कर दिया।

बाड़मेर के शासक

शासक का नामविवरण
राव साल्खाखेर के राव
रावल मल्लिनाथमहेचा वंश (राठौड़ उप-कुल) के संस्थापक
रावल जगमालमालानी के राव
रावत लूणकाचौहान शासक मूढ़ा जी के अधीन जूना पर हमला कर राजधानी बनाई, उनके वंशज बाड़मेरा कहलाए
रावत भीमावर्तमान बाड़मेर शहर के संस्थापक
रावत भारो जीबाड़मेर के क्षेत्र को अपने पांच पुत्रों में समान रूप से विभाजित किया
रावत उम्मेद सिंह1962-1967 तक बाड़मेर से और 1985-1990 में शिव निर्वाचन क्षेत्र से राजस्थान विधान सभा के पूर्व सदस्य
रावत त्रिभुवन सिंहबाड़मेर गद्दी के वर्तमान वारिस, जिन्हें 2009 में स्वर्गीय रावत उम्मेद सिंह जी राठौड़ की पत्नी रानी संपत कंवर (ठिकाना महनसर, शेखावाटी की बेटी) द्वारा गोद लिया गया था

बाड़मेर के ऐतिहासिक स्थल

1. सिवाना दुर्ग

  • 10वीं शताब्दी में नारायण पंवार द्वारा निर्मित। स्थानीय भाषा में गढ़ सिवाना कहलाता है।
  • गिरी सुमेल युद्ध के बाद राव मालदेव ने शेरशाह से इसी दुर्ग में शरण ली।
  • 1308-09 में अलाउद्दीन खिलजी ने सत्तलदेव के शासनकाल में आक्रमण किया, जिसके परिणामस्वरूप पहला जौहर/साका हुआ।
  • 1597 में अकबर ने मोटा राजा उदय सिंह के साथ कल्याणमल के समय में सिवाना दुर्ग पर आक्रमण किया, जिससे दूसरा जौहर हुआ।

2. किराडू मंदिर

  • परमार राजवंश के समय 6वीं शताब्दी से पहले निर्मित।
  • पाँच मंदिरों में सोमेश्वर मंदिर सबसे उल्लेखनीय है।
  • प्रभावशाली मूर्तिकला और सोलंकी शैली की वास्तुकला।
  • इसे “राजस्थान का खजुराहो” कहा जाता है।
  • 1140 ईस्वी में मुहम्मद गौरी ने आक्रमण करके मंदिर संरचना और मूर्तियों को नष्ट कर दिया।

3. वांकल माता मंदिर

  • शहर के पश्चिमी छोर पर 675 फीट ऊँची पहाड़ी पर स्थित।
  • 16वीं शताब्दी का प्राचीन गढ़, जिसे बाड़मेर गढ़ कहा जाता था, जिसके अवशेष अभी भी मौजूद हैं।

4. श्री पार्श्वनाथ जैन मंदिर

  • मूल रूप से महावीर का मंदिर, जिसे पंद्रहवीं शताब्दी में पुनर्निर्मित किया गया।
  • 120 मूर्तियों को कलिद्रह से लाया गया और विक्रम संवत 1429 (1373 ईस्वी) में यहां स्थापित किया गया।
  • बालोतरा से 13 किलोमीटर दूर, पहाड़ियों के बीच स्थित है।

5. रनियादेषपुरा

  • कल्याणपुर शहर के पास स्थित, रोकाड़िया हनुमानजी मंदिर, भेरूनाथजी मंदिर, वेरा वाला और ठाकुर जी मंदिर के लिए जाना जाता है।

बाड़मेर के मेले और त्यौहार

1. बाड़मेर थार महोत्सव

  • 1986 में पर्यटन विभाग के सहयोग से जिला प्रशासन द्वारा शुरू किया गया।
  • उद्देश्य: पर्यटन क्षमता बढ़ाना, पुरातात्विक, ऐतिहासिक और धार्मिक स्थलों का रखरखाव, बाड़मेर हस्तशिल्प उद्योग को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रदर्शित करना।
  • तीन दिवसीय कार्यक्रम में लोक नृत्य, शास्त्रीय प्रदर्शन, लोक संगीत कार्यक्रम और शिल्प प्रदर्शनी शामिल हैं।

2. बाड़मेर पशु मेला

  • लूनी नदी के तट पर तिलवाड़ा गाँव में हर साल मार्च और अप्रैल के महीनों में पखवाड़े तक चलता है।

बाड़मेर की लोक संस्कृति

  • बाड़मेर अपने लोक संगीत और नृत्य के लिए जाना जाता है।
  • भोपा (पुजारी गायक) क्षेत्र के देवताओं और युद्ध नायकों के सम्मान में संगीत रचना करते हैं।
  • अन्य लोक संगीतकार मुस्लिम ढोली (ड्रमर) समुदाय से आते हैं।
  • लांगा और मंगनियार यहाँ के प्रमुख समुदाय हैं।

बाड़मेर का भूगोल

  • बाड़मेर राज्य के पश्चिमी भाग में स्थित है और थार रेगिस्तान का एक हिस्सा है।
  • जलवायु शुष्क और अर्ध-शुष्क है।
  • जिले की सबसे लंबी नदी लूनी है, जो 480 किमी लंबी है और जालोर से गुजरते हुए कच्छ की खाड़ी में गिरती है।

बाड़मेर के प्राकृतिक स्थल

1. रेगिस्तान राष्ट्रीय उद्यान

  • अधिकांश भाग जैसलमेर जिले में स्थित है।
  • राजस्थान के राज्य पक्षी ग्रेट इंडियन बस्टर्ड का निवास स्थान है।

2. महाबार रेत के टीले

  • बाड़मेर से लगभग 5 किमी दूर, रेतीला स्थल, सूर्योदय और सूर्यास्त देखने के लिए प्रसिद्ध।

बाड़मेर के रोचक स्थान

1. पचपदरा

  • यहाँ 9 एमएमपीडी (Million Metric Tonne Per Annum) क्षमता की तेल रिफाइनरी का निर्माण शुरू हो गया है।

2. उत्तरलाई

  • भारत का पहला भूमिगत एयरबेस बाड़मेर में स्थित है।

बाड़मेर की जनसंख्या

  • 2011 की जनगणना के अनुसार, बाड़मेर की जनसंख्या 26,03,751 है, जिसमें से 93.02 प्रतिशत ग्रामीण क्षेत्रों और 6.98 प्रतिशत शहरी क्षेत्रों में निवास करते हैं।
  • औसत साक्षरता दर 56.53% है, जिसमें पुरुषों की साक्षरता दर 70% और महिलाओं की 40% है।

जनसंख्या सांख्यिकी सारणी

विशेषताआँकड़ा
कुल जनसंख्या26,03,751
ग्रामीण जनसंख्या93.02%
शहरी जनसंख्या6.98%
औसत साक्षरता दर56.53%
पुरुष साक्षरता दर70%
महिला साक्षरता दर40%

निष्कर्ष

बाड़मेर जिला राजस्थान का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो अपनी भूगोलिक परिस्थितियों, सांस्कृतिक धरोहर और आर्थिक संभावनाओं के लिए जाना जाता है। यह क्षेत्र पर्यटकों, इतिहासकारों और शोधकर्ताओं के लिए समान रूप से महत्वपूर्ण है।

नोट:
यह अध्ययन नोट्स प्रतियोगी परीक्षाओं एवं सामान्य अध्ययन के लिए अत्यंत उपयोगी है।
महत्वपूर्ण शब्दों को पढ़ते समय उन्हें बार-बार दोहराएँ और नक्शे के साथ अभ्यास करें।

  1. अजमेर जिला दर्शन ( Ajmer Jila Darshan): इतिहास, भूगोल, पर्यटन और सांस्कृतिक धरोहर
  2. भरतपुर जिला ( Bharatpur Jila Darshan ): पूर्वी प्रवेश द्वार

Leave a Comment

WhatsApp
error: Please do not play.