दौसा जिला राजस्थान के उत्तर-पूर्वी भाग में स्थित है, जिसे धुंधाड़ के नाम से भी जाना जाता है। यह जिला महादेव के पाँच दिशाओं (नीलकंठ, गुप्तेश्वर, सहजनाथ, सोमनाथ और बैजनाथ) से घिरा हुआ है, जिससे इसका नाम संस्कृत शब्द ‘धौ’ (स्वर्ग) और ‘सा’ (समान) से बना है – अर्थात स्वर्ग के समान।
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स्थान, क्षेत्रफल
दौसा जिला 26.88°N अक्षांश और 76.33°E देशांतर पर स्थित है, जिसकी औसत ऊँचाई 333 मीटर है। इसका कुल क्षेत्रफल 3404 वर्ग किमी है। यह जिला जयपुर, अलवर, सवाई माधोपुर, करौली, भरतपुर और टोंक जिलों से घिरा हुआ है।
दौसा का आकार अर्धवृत्ताकार या ‘C’ के आकार का है, जिसमें पूर्व और पश्चिम की ओर झुकाव है।
प्रशासनिक दृष्टि से, दौसा जिले को 7 तहसीलों में बाँटा गया है:
दौसा का इतिहास
दौसा का इतिहास प्रागैतिहासिक युग से जुड़ा हुआ है। यहाँ चाल्कोलिथिक युग के मानव बसावट के प्रमाण मिले हैं। पुरातात्विक सर्वेक्षण में यहाँ पत्थर के घेरे, क्रोमलेच, केर्न और कब्रगाह मिले हैं, जो इसे एक प्राचीन सभ्यता का केंद्र सिद्ध करते हैं।
प्रमुख शासक
शासक का नाम | शासन काल | वंश / उपलब्धि |
---|---|---|
सोध देव | 966-1006 | चौहान वंश |
धोलाराय | 1006-1036 | कच्छवाहा वंश, धुंधाड़ पर कब्जा, मीनाओं से संधि |
कोकिल देव | 1036-1038 | |
हनु देव | 1039-1053 | |
जनाद देव | 1053-1070 | |
पजवान देव | 1070-1094 | |
मेलैसी देव | 1094-1146 | |
बीजल देव (अंबर) | 1146-1178 | राजधानी अंबर स्थानांतरित |
धोलाराय ने राजा रल्हन सिंह चौहान की पुत्री से विवाह कर धुंधाड़ क्षेत्र दहेज में प्राप्त किया और बडगुर्जर राजपूतों को बाहर कर मीनाओं से संधि की।
दौसा ही अंबर (आगे चलकर जयपुर) राज्य की नींव रखने का केंद्र बना।
दौसा के प्रमुख ऐतिहासिक स्थल
भांडारेज
- महाभारत में उल्लिखित भद्रावती नगर, आज का भांडारेज।
- खुदाई में मिली दीवारें, मूर्तियाँ, सजावटी जाली, टेराकोटा बर्तन आदि।
- भांडारेज बावड़ी – 150 चौड़ी सीढ़ियाँ, 70 फीट चौड़ी।
- भद्रावती महल – मुगल व राजपूत वास्तुकला का मिश्रण।
अभानेरी
- चाँद बावड़ी – अद्वितीय सीढ़ीदार कुआँ, स्थापत्य कला का उत्कृष्ट उदाहरण।
- हर्षत माता मंदिर – पत्थर की जटिल नक्काशी के लिए प्रसिद्ध।
- जिला मुख्यालय से 33 किमी दूर।
मेहंदीपुर बालाजी
- जिला मुख्यालय से 40 किमी दूर, NH-11 पर।
- हनुमान जी का प्रसिद्ध मंदिर, मानसिक रोगों के इलाज के लिए प्रसिद्ध।
दौसा किला
- देवगिरि पहाड़ी पर स्थित, पहले बडगुर्जर और बाद में कच्छवाहा शासकों द्वारा निर्मित।
माधोराजपुरा किला
- सवाई माधो सिंह-I ने मराठों को हराकर माधोराजपुरा नगर की स्थापना की और किला बनवाया।
खावाराओजी
- प्राकृतिक सुंदरता और रावजी के निवास के लिए प्रसिद्ध।
- अब खावाराओजी हेरिटेज होटल में परिवर्तित।
- तीन ओर पहाड़ियों से घिरा, अमोल घाटी निकट।
हजरत ख्वाजा शेख जमाल शाह की मजार
- दौसा शहर में स्थित, 180 वर्ष पुरानी।
- हिंदू-मुस्लिम दोनों समुदायों के लिए आस्था का केंद्र।
दौसा के मेले और त्यौहार
बसंत पंचमी मेला
- जिला मुख्यालय पर हर वर्ष फरवरी में आयोजित।
- रघुनाथजी, नरसिंहजी और सूर्य देव की पूजा।
- तीन दिन तक चलने वाला मेला, ग्रामीणों के लिए विशेष महत्त्वपूर्ण।
डोलची होली
- पावटा गाँव में गुर्जर जाति के युवक चमड़े के छोटे बर्तन से एक-दूसरे पर पानी फेंकते हैं।
- होली के अगले दिन, एक घंटे तक यह परंपरा चलती है।
शेख जमाल का उर्स
- लालसोट रोड पर स्थित, सूफी संत हजरत शेख जमाल का स्थान।
- उर्स के दौरान देशभर से श्रद्धालु आते हैं, रात भर धार्मिक गीत गाए जाते हैं।
हेला-खयाल दंगल
- दौसा की अनूठी लोक गायन शैली।
- समाज, राजनीति और आर्थिक विषयों पर व्यंग्यात्मक गीत।
- गाँवों में अत्यंत लोकप्रिय।
दौसा का भूगोल
- दौसा की पहाड़ियाँ उत्तर अरावली श्रृंखला का हिस्सा हैं।
- लालसोट-बयाना पर्वतमाला, दौसा और सवाई माधोपुर की सीमा निर्धारित करती है।
- क्रिस्टलीय क्वार्ट्जाइट और शिस्टोज क्वार्ट्जाइट की प्रचुरता।
- मृदा – पीली से गहरे भूरे रंग की, सूक्ष्म बनावट, सभी फसलों के लिए उपयुक्त।
जलवायु
- शुष्क जलवायु, दक्षिण-पश्चिमी मानसून।
- तापमान: न्यूनतम 4-5°C, अधिकतम 47°C।
- औसत वर्षा: 604.03 मिमी।
नदी एवं बांध
प्रमुख बांध | प्रमुख नदियाँ |
---|---|
सैंथल सागर | मोरेल |
कालाखो बांध | बनगंगा |
माधोसागर बांध | |
मोरल बांध |
जिले में कुल 36 बांध हैं, जो सिंचाई और जल आपूर्ति में सहायक हैं।
दौसा की जनसंख्या
- जनगणना 2011 के अनुसार कुल जनसंख्या: 16.37 लाख
- ग्रामीण क्षेत्र: 87.62%
- शहरी क्षेत्र: 12.38%
दौसा के मुख्य तथ्य
विषय | विवरण |
---|---|
स्थान | उत्तर-पूर्वी राजस्थान |
क्षेत्रफल | 3404 वर्ग किमी |
तहसीलें | 7 |
प्रमुख स्थल | भांडारेज, अभानेरी, मेहंदीपुर बालाजी |
प्रमुख मेले | बसंत पंचमी, डोलची होली, शेख जमाल उर्स |
जलवायु | शुष्क, वर्षा 604.03 मिमी |
जनसंख्या (2011) | 16.37 लाख |
दौसा जिले का प्रशासन
दौसा जिला राजस्थान के उत्तर-पूर्वी भाग में स्थित है और प्रशासनिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह जिला कुल 3404 वर्ग किमी क्षेत्रफल में फैला हुआ है और इसका आकार अर्धवृत्ताकार या ‘C’ के आकार का है, जिसमें पूर्व और पश्चिम दिशा में झुकाव है। दौसा जिले को 7 प्रमुख तहसीलों में विभाजित किया गया है, जिससे प्रशासनिक कार्यों को सुचारू रूप से संचालित किया जाता है। जिले की सीमाएँ जयपुर, अलवर, सवाई माधोपुर, करौली, भरतपुर और टोंक जिलों से मिलती हैं।
प्रशासनिक दृष्टि से, दौसा जिले का मुख्यालय दौसा शहर है। प्रत्येक तहसील में स्थानीय प्रशासनिक अधिकारी नियुक्त होते हैं, जो कानून व्यवस्था, राजस्व व विकास संबंधी कार्यों की देखरेख करते हैं। जिले के प्रशासन में जिला कलेक्टर की प्रमुख भूमिका होती है, जो समस्त प्रशासनिक गतिविधियों का संचालन व निगरानी करते हैं।
दौसा जिले की प्रशासनिक संरचना
तहसील का नाम | मुख्यालय | प्रशासनिक विशेषता |
---|---|---|
दौसा | दौसा | जिला मुख्यालय, प्रशासनिक केंद्र |
सिकराय | सिकराय | ऐतिहासिक व कृषि क्षेत्र |
नागल राजावटन | नागल राजावटन | ग्रामीण क्षेत्र |
बसवा | बसवा | व्यापारिक केंद्र |
लालसोट | लालसोट | सांस्कृतिक केंद्र |
लवाण | लवाण | ग्रामीण क्षेत्र |
महुवा | महुवा | धार्मिक स्थल |
दौसा जिले के प्रशासनिक तथ्य
बिंदु | विवरण |
---|---|
कुल क्षेत्रफल | 3404 वर्ग किमी |
तहसीलों की संख्या | 7 |
जिला मुख्यालय | दौसा |
सीमावर्ती जिले | जयपुर, अलवर, सवाई माधोपुर, करौली, भरतपुर, टोंक |
दौसा जिले का प्रशासनिक ढांचा अत्यंत संगठित और व्यवस्थित है, जिससे जिले के विकास, कानून व्यवस्था और जनकल्याणकारी योजनाओं का कुशलतापूर्वक संचालन संभव हो पाता है।
दौसा जिला इतिहास, संस्कृति, भूगोल, धार्मिकता और लोक परंपराओं का अद्भुत संगम है। यहाँ के प्राचीन स्थल, ऐतिहासिक किले, मंदिर, बावड़ियाँ, मेले-त्यौहार और लोक कला इसे राजस्थान के प्रमुख जिलों में शामिल करते हैं।
दौसा का अध्ययन न केवल परीक्षा की दृष्टि से बल्कि भारतीय सांस्कृतिक विरासत को समझने के लिए भी अत्यंत आवश्यक है।