ढूंढाड़ चित्रशैली: इतिहास, विकास और प्रमुख विशेषताएँ

By RR Classes

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ढूंढाड़ चित्रशैली (Dhundhar Painting Style) राजस्थान की प्रमुख और विशिष्ट चित्रशैलियों में से एक है, जिसका विकास मुख्यतः ढूंढाड़ क्षेत्र-आमेर, जयपुर, सवाई माधोपुर, दौसा, टोंक आदि-में हुआ। इस शैली ने न केवल स्थानीय संस्कृति, राजसी जीवन और धार्मिक भावनाओं को उकेरा, बल्कि राजस्थानी चित्रकला की विविधता में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया। इस नोट्स में ढूंढाड़ चित्रशैली का ऐतिहासिक विकास, प्रमुख केंद्र, विषयवस्तु, चित्रकार, रंग संयोजन, विशेषताएँ और संरक्षण का विस्तृत अध्ययन किया गया है।

ढूंढाड़ चित्रशैली का ऐतिहासिक विकास

काल/शासकप्रमुख योगदान/घटनावर्ष
राजा मानसिंह प्रथमशैली का प्रारंभिक विकास, आमेर महलों में भित्ति चित्र1589-1614
मिर्जा राजा जयसिंहशैली का स्वर्णकाल, मुगल प्रभाव, महलों में चित्रण1611-1667
सवाई जयसिंह द्वितीयजयपुर शैली का उत्कर्ष, धार्मिक व दरबारी चित्रण1699-1743
माधोसिंह प्रथमचित्रशाला निर्माण, भित्ति चित्रों का विस्तार1750-1768

ढूंढाड़ चित्रशैली का प्रारंभिक विकास आमेर के राजा मानसिंह के शासनकाल में हुआ, जब मौजमाबाद और बैराठ के मुगल गार्डन में भित्ति चित्रण किया गया। मिर्जा राजा जयसिंह के काल को इस शैली का स्वर्णकाल माना जाता है, जिसमें मुगल प्रभाव और स्थानीय रंगों का सुंदर समन्वय हुआ ।


प्रमुख केंद्र और उपशैलियाँ

क्षेत्र/नगरउपशैली/विशेषता
आमेरभित्ति चित्र, राजसी जीवन, धार्मिक चित्रण
जयपुरलघु चित्र, दरबारी दृश्य, त्योहार
सवाई माधोपुरवन्य जीवन, शिकार दृश्य
टोंक, दौसाधार्मिक, लोककथा चित्रण

ढूंढाड़ चित्रशैली के प्रमुख विषय

विषयउदाहरण/विवरण
धार्मिकरामायण, महाभारत, भागवत, राधा-कृष्ण लीला
दरबारी जीवनराजाओं के दरबार, शिकार, उत्सव, विवाह
लोककथाएँढोला-मारू, प्रेमाख्यान, रागमाला
प्रकृतिबाग-बगीचे, पशु-पक्षी, वर्षा, पर्वत, जल
त्योहारहोली, दीपावली, तीज, गणगौर

ढूंढाड़ चित्रशैली की प्रमुख विशेषताएँ

  • मुगल प्रभाव: इस शैली में मुगल चित्रशैली का सर्वाधिक प्रभाव देखा जाता है, विशेषकर आकृतियों, परिधान, रंग संयोजन और दरबारी दृश्यों में ।
  • रंगों का प्रयोग: लाल, पीला, हरा, नीला, सुनहरा रंग प्रमुख; रंग संयोजन में चमक और जीवंतता।
  • रेखांकन: पतली, स्पष्ट रेखाएँ; आकृतियों में सजीवता।
  • भित्ति चित्रण: आमेर, जयपुर के महलों, मंदिरों में भित्ति चित्रों की परंपरा।
  • लघु चित्र: कागज, कपड़े, ताड़पत्र पर सूक्ष्म चित्रण।
  • वस्त्र और आभूषण: पुरुषों में मुगल शैली की पगड़ी, अंगरखा; स्त्रियों में पारंपरिक घाघरा-ओढ़नी, गहनों की सजावट।
  • प्रकृति चित्रण: बाग-बगीचे, फूल-पत्ते, पशु-पक्षी, जलधाराएँ।
  • विषय विविधता: धार्मिकता, प्रेम, शौर्य, उत्सव, सामाजिक जीवन।
  • हाशिए: चित्रों में सुनहरे या लाल रंग का हाशिया।

प्रमुख चित्रकार और कृतियाँ

चित्रकारप्रमुख कृति/योगदानकाल/शासक
मौलाना फकीरुल्लारज्मनामा (महाभारत का फारसी अनुवाद)अकबर काल
गुलाम अलीदरबारी चित्र, धार्मिक चित्रणजयसिंह द्वितीय
रामलालभित्ति चित्र, उत्सव, त्योहारमाधोसिंह प्रथम
नूरुद्दीनदरबारी दृश्य, शिकार चित्रजयपुर शैली

ढूंढाड़ चित्रशैली में रंग, सामग्री और तकनीक

सामग्री/रंगस्रोत/प्रयोग
लालगेरू, सिंदूर
पीलाहल्दी, पीली मिट्टी
हरापत्तियाँ, हरा पत्थर
नीलानील, लैपिस लाजुली
कालाकालिख, कोयला
सोना-चाँदीविशेष चित्रों में
कागज, कपड़ाचित्रण के माध्यम

ढूंढाड़ चित्रशैली की प्रमुख कृतियाँ

  • रज्मनामा: महाभारत का फारसी अनुवाद, अकबर के लिए ढूंढाड़ चित्रकारों द्वारा चित्रित ।
  • आमेर महलों के भित्तिचित्र: धार्मिक, शाही और उत्सव दृश्य।
  • जयपुर शैली के लघु चित्र: दरबारी जीवन, त्योहार, प्रेमाख्यान।
  • शेखावाटी हवेलियों के चित्र: सामाजिक और धार्मिक विषय।

ढूंढाड़ चित्रशैली में मुगल प्रभाव

  • मुगल चित्रशैली के प्रभाव से आकृतियाँ अधिक सजीव, वस्त्र भव्य, रंग संयोजन आकर्षक हो गए।
  • दरबारी जीवन, शिकार, उत्सव, विवाह आदि विषयों में मुगल शैली की झलक।
  • चित्रों में त्रिआयामी (3D) प्रभाव, बारीक रेखाएँ, वास्तुकला का सुंदर चित्रण।

ढूंढाड़ चित्रशैली का सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व

  • राजसी जीवन, धार्मिकता, लोककथाएँ और सामाजिक उत्सव का सुंदर चित्रण।
  • क्षेत्रीय पहचान, सांस्कृतिक गौरव और धार्मिक आस्था की अभिव्यक्ति।
  • पर्यटन और कला प्रेमियों के लिए आकर्षण का केंद्र।

संरक्षण और वर्तमान स्थिति

  • आमेर, जयपुर, शेखावाटी क्षेत्र के महलों, हवेलियों, मंदिरों में चित्र संरक्षित।
  • संग्रहालयों, आर्ट गैलरी और निजी संग्रह में भी ढूंढाड़ चित्रशैली के उत्कृष्ट उदाहरण।
  • आधुनिक कलाकार पारंपरिक शैली को नवाचार के साथ अपना रहे हैं।
  • राज्य सरकार और निजी संस्थाएँ संरक्षण के लिए प्रयासरत हैं।

महत्वपूर्ण तथ्य (Quick Facts) – परीक्षा दृष्टि से

बिंदुविवरण
शैली का प्रारंभमानसिंह प्रथम, आमेर (16वीं सदी)
स्वर्णकालमिर्जा राजा जयसिंह, जयपुर
प्रमुख चित्रकारमौलाना फकीरुल्ला, गुलाम अली, रामलाल
प्रमुख कृतिरज्मनामा, आमेर महल भित्तिचित्र
रंगों की प्रधानतालाल, पीला, हरा, नीला, सुनहरा
मुगल प्रभावआकृति, वस्त्र, रंग संयोजन में

ढूंढाड़ चित्रशैली ने राजस्थान की चित्रकला को मुगल प्रभाव, स्थानीय विषयवस्तु और रंगबिरंगे चित्रण के माध्यम से नई ऊँचाई दी। आमेर, जयपुर, शेखावाटी आदि क्षेत्रों में विकसित यह शैली आज भी अपनी विशिष्टता, भव्यता और सांस्कृतिक महत्व के लिए जानी जाती है। संरक्षण और नवाचार के साथ यह परंपरा आने वाली पीढ़ियों के लिए भी प्रेरणा स्रोत बनी रहेगी।


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