डूंगरपुर राजस्थान के दक्षिणी भाग में स्थित है और राज्य का तीसरा सबसे छोटा जिला है। यह क्षेत्र अपनी जनजातीय संस्कृति, प्राकृतिक सौंदर्य, ऐतिहासिक किलों, प्राचीन मंदिरों और खनिज संपदा के लिए प्रसिद्ध है। डूंगरपुर का नाम भिल प्रमुख डुंगरिया के नाम पर पड़ा, जिसे 13वीं सदी में रावल वीर सिंह ने हराकर इस नगर की स्थापना की थी। डूंगरपुर को ‘पहाड़ियों का नगर’ भी कहा जाता है, क्योंकि यहाँ की भौगोलिक संरचना में अरावली की पहाड़ियाँ प्रमुख हैं।
Page Contents
स्थान, क्षेत्रफल एवं प्रशासन
डूंगरपुर जिला 23°20′ से 24°01′ उत्तर अक्षांश और 73°22′ से 74°23′ पूर्व देशांतर के बीच स्थित है। इसकी सीमाएँ उत्तर में उदयपुर, पूर्व में बांसवाड़ा और दक्षिण-पश्चिम में गुजरात राज्य से मिलती हैं।
कुल क्षेत्रफल लगभग 3781 वर्ग किमी है।
प्रशासनिक दृष्टि से डूंगरपुर को 5 प्रमुख तहसीलों में बाँटा गया है, जिसमें बिछीवाड़ा (2007 में निर्मित) नवीनतम तहसील है।
| तहसील का नाम | मुख्यालय | प्रशासनिक विशेषता |
|---|---|---|
| डूंगरपुर | डूंगरपुर | जिला मुख्यालय, प्रशासनिक केंद्र |
| आसपुर | आसपुर | ऐतिहासिक, ग्रामीण क्षेत्र |
| सागवाड़ा | सागवाड़ा | व्यापारिक, सांस्कृतिक केंद्र |
| सिमलवाड़ा | सिमलवाड़ा | जनजातीय बहुल क्षेत्र |
| बिछीवाड़ा | बिछीवाड़ा | नवीनतम तहसील, कृषि प्रधान |
डूंगरपुर का इतिहास
डूंगरपुर का इतिहास 4000 वर्ष पुरानी अहड़ सभ्यता से जुड़ा है, जिसका विस्तार दक्षिण-पूर्व राजस्थान के इस क्षेत्र तक हुआ।
1197 ई. में महारावल सामंत सिंह (महाराणा करण सिंह, मेवाड़ के पुत्र) ने डूंगरपुर राज्य की स्थापना की।
1258 ई. में रावल वीर सिंह देव ने भिल प्रमुख डुंगरिया को हराकर इस नगर का नाम डूंगरपुर रखा।
यह क्षेत्र ऐतिहासिक रूप से ‘बागड़’ या ‘वागड़’ के नाम से भी जाना जाता है।
मुगल, मराठा और ब्रिटिश काल में भी डूंगरपुर का ऐतिहासिक महत्व बना रहा।
1948 में डूंगरपुर, राजस्थान राज्य में विलीन हुआ।
प्रमुख शासक व उपलब्धियाँ
| शासक का नाम | शासन काल/विशेषता | उपलब्धि/महत्व |
|---|---|---|
| रावल वीर सिंह | 13वीं सदी | डूंगरपुर की स्थापना |
| भाचुंडी | — | हनुमान पोल का निर्माण |
| रावल गोपीनाथ | 1433 ई. | अहमदशाह पर विजय, गैप सागर झील निर्माण |
| रावल सोमदासजी | — | सुल्तान महमूद शाह के आक्रमण को रोका |
| महारावल उदय सिंह I | — | वागड़ का विभाजन |
| महारावल अस्करण | — | मुगल अधीनता स्वीकार |
| महारावल पुंजराज | शाहजहाँ काल | महिमरातिब, देधाज़ारी मनसब प्राप्त |
| महारावल शिव सिंह | 1730-1785 | मराठों के सहयोगी बने |
| महारावल लक्षण सिंह | 1918-1947 | स्वतंत्रता के बाद विधायक, सांसद |
भूगोल एवं जलवायु
डूंगरपुर का भू-भाग अरावली पर्वतमाला के विस्तार में आता है। यहाँ की भूमि पथरीली, ऊबड़-खाबड़ और पहाड़ी है।
जिले की औसत ऊँचाई 320 मीटर है, जबकि सबसे ऊँची चोटी 572 मीटर (उत्तर-पश्चिम) और सबसे नीची जगह 90 मीटर (माही नदी के किनारे) है।
मुख्य नदियाँ माही और सोम हैं, जो जिले की सिंचाई और जल आपूर्ति का प्रमुख स्रोत हैं।
| प्रमुख नदी | विशेषता |
|---|---|
| माही | दक्षिण-पूर्वी सीमा बनाती है |
| सोम | उत्तर में बहती है |
| वत्रक | जिले से निकलती है |
जलवायु शुष्क और गर्म है। अधिकतम तापमान 40-45°C (गर्मी), न्यूनतम 10-12°C (सर्दी) रहता है।
औसत वार्षिक वर्षा 500-880 मिमी के बीच होती है, जो वर्ष दर वर्ष भिन्न हो सकती है।
खनिज संपदा
डूंगरपुर जिला खनिजों के लिए भी प्रसिद्ध है। यहाँ मुख्य रूप से फ्लोराइट, सोपस्टोन, एस्बेस्टस, ग्रीन मार्बल, चूना पत्थर और बिल्डिंग स्टोन पाए जाते हैं।
| खनिज | प्रमुख क्षेत्र/उपयोग |
|---|---|
| फ्लोराइट | मंडू की पाल, काहिला, उमरिया – ग्लास, केमिकल उद्योग |
| सोपस्टोन | देवला, जकोल, थाणा – कॉस्मेटिक्स, पेपर, पेंट |
| एस्बेस्टस | देवला, जाडोल – निर्माण सामग्री |
| ग्रीन मार्बल | देवला, सिमलवाड़ा, सुराटा – फर्श, सजावट |
| चूना पत्थर | सबला, मुंगर, हरवार – सीमेंट, भवन निर्माण |
| स्लेट/फिलाइट | रामपुरा, डेनांडी – भवन निर्माण |
जनसंख्या एवं सामाजिक संरचना
2011 की जनगणना के अनुसार, डूंगरपुर जिले की कुल जनसंख्या 13,88,906 थी।
जनसंख्या घनत्व 368 व्यक्ति/वर्ग किमी है।
यहाँ की लिंगानुपात 990 (1000 पुरुषों पर 990 महिलाएँ) है और साक्षरता दर 60.78% है।
यह जिला जनजातीय बहुल है, जिसमें भील समुदाय का बाहुल्य है।
| वर्ष | कुल जनसंख्या | जनसंख्या घनत्व | लिंगानुपात | साक्षरता दर (%) |
|---|---|---|---|---|
| 2011 | 13,88,906 | 368 | 990 | 60.78 |
प्रशासनिक ढांचा
डूंगरपुर जिले में 5 तहसीलें (डूंगरपुर, आसपुर, सागवाड़ा, सिमलवाड़ा, बिछीवाड़ा) और कुल 976 गाँव हैं।
डूंगरपुर और सागवाड़ा नगरपालिकाएँ हैं, जबकि सिमलवाड़ा और गालियाकोट जनगणना नगर हैं।
| तहसील | मुख्यालय | नगर/गाँव की संख्या |
|---|---|---|
| डूंगरपुर | डूंगरपुर | — |
| आसपुर | आसपुर | — |
| सागवाड़ा | सागवाड़ा | — |
| सिमलवाड़ा | सिमलवाड़ा | — |
| बिछीवाड़ा | बिछीवाड़ा | — |
डूंगरपुर के प्रमुख ऐतिहासिक व दर्शनीय स्थल
1. जुना महल
13वीं सदी का सात मंजिला महल, जिसे परेवा पत्थर से बनाया गया है। इसका बाहरी भाग किले जैसा और भीतरी भाग में सुंदर म्यूरल्स, मिनिएचर पेंटिंग्स और शीशे का काम है।
2. उदय बिलास पैलेस
महारावल उदय सिंह द्वितीय द्वारा निर्मित, क्लासिक राजपूत वास्तुकला का उत्कृष्ट उदाहरण। आज यह हेरिटेज होटल के रूप में कार्यरत है।
3. गैप सागर झील
रावल गोपीनाथ द्वारा निर्मित, झील के किनारे श्रीनाथजी मंदिर सहित कई सुंदर मंदिर हैं।
4. बादल महल
गैप सागर झील के किनारे स्थित, परेवा पत्थर से निर्मित, राजपूत-मुगल शैली का अद्भुत संगम।
5. देव सोमनाथ मंदिर
12वीं सदी में सोम नदी के किनारे बना प्राचीन शिव मंदिर, सफेद पत्थर से निर्मित, 3 द्वार, 8 स्तंभों पर सभा मंडप।
6. बोरेश्वर महादेव
1179 ई. में महारावल सामंत सिंह के काल में सोम नदी के किनारे निर्मित प्राचीन शिव मंदिर।
7. गालियाकोट
माही नदी के किनारे स्थित, सैयद फखरुद्दीन की दरगाह के लिए प्रसिद्ध, सफेद संगमरमर से निर्मित।
8. नागफंजी
जैन तीर्थ, जिसमें देवी पद्मावती, नागफंजी पार्श्वनाथ और धर्मेन्द्र की मूर्तियाँ हैं।
9. सुरपुर मंदिर
गंगड़ी नदी के किनारे स्थित, आसपास भुलभुलैया, माधवराय मंदिर, हाथियों की अगड़ आदि दर्शनीय स्थल।
10. बेनेश्वर मंदिर
सोम और माही नदी के संगम पर स्थित, क्षेत्र का सबसे पवित्र शिवलिंग यहाँ है। पास में विष्णु और लक्ष्मीनारायण मंदिर भी हैं।
डूंगरपुर के मेले एवं उत्सव
बेनेश्वर मेला
फरवरी (माघ पूर्णिमा) पर सोम, माही और जाखम नदी के संगम पर आयोजित, राजस्थान, गुजरात और मध्यप्रदेश के हजारों आदिवासी श्रद्धालु भाग लेते हैं।
यह मेला मृतकों की अस्थि विसर्जन और धार्मिक अनुष्ठानों के लिए प्रसिद्ध है।
संस्कृति, कला एवं वास्तुकला
डूंगरपुर की जनजातीय संस्कृति अत्यंत समृद्ध है। यहाँ के महलों, हवेलियों और मंदिरों में राजपूत, मुगल और स्थानीय जनजातीय शैलियों का सुंदर समावेश मिलता है।
परेवा पत्थर की जालियों, झरोखों और नक्काशीदार खंभों के लिए डूंगरपुर प्रसिद्ध है।
यहाँ की लोककला, नृत्य, संगीत, वेशभूषा और आभूषण भी विशिष्ट हैं।
डूंगरपुर के मुख्य तथ्य
| विषय | विवरण |
|---|---|
| स्थान | दक्षिणी राजस्थान, गुजरात सीमा से सटा |
| क्षेत्रफल | 3781 वर्ग किमी |
| तहसीलें | 5 (डूंगरपुर, आसपुर, सागवाड़ा, सिमलवाड़ा, बिछीवाड़ा) |
| प्रमुख स्थल | जुना महल, उदय बिलास पैलेस, गैप सागर, देव सोमनाथ, गालियाकोट |
| प्रमुख मेले | बेनेश्वर मेला |
| खनिज | फ्लोराइट, सोपस्टोन, ग्रीन मार्बल, एस्बेस्टस, चूना पत्थर |
| जनसंख्या (2011) | 13,88,906 |
| लिंगानुपात | 990 |
| साक्षरता दर | 60.78% |
डूंगरपुर जिला इतिहास, संस्कृति, प्राकृतिक सौंदर्य, खनिज संपदा और जनजातीय परंपराओं का अद्भुत संगम है। यहाँ के महल, मंदिर, झीलें, खनिज, मेले और जनजातीय जीवन इसे राजस्थान के अन्य जिलों से अलग पहचान देते हैं।
डूंगरपुर का अध्ययन न केवल परीक्षा की दृष्टि से, बल्कि भारतीय सांस्कृतिक और प्राकृतिक धरोहर को समझने के लिए भी अत्यंत आवश्यक है।

