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हाड़ौती चित्रशैली: इतिहास, विकास और प्रमुख विशेषताएँ

हाड़ौती चित्रशैली: इतिहास, विकास और प्रमुख विशेषताएँ

हाड़ौती चित्रशैली राजस्थान की प्रमुख और विशिष्ट चित्रशैलियों में से एक है, जिसका विकास मुख्यतः बूंदी, कोटा, झालावाड़ और आसपास के क्षेत्रों में हुआ। यह शैली अपने प्राकृतिक दृश्यों, शिकार, दरबारी जीवन, धार्मिक विषयों और रंगों की विविधता के लिए प्रसिद्ध है। हाड़ौती चित्रशैली ने न केवल स्थानीय संस्कृति और राजसी जीवन को उकेरा, बल्कि राजस्थानी चित्रकला की विविधता में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया।

हाड़ौती चित्रशैली का ऐतिहासिक विकास

हाड़ौती चित्रकला का इतिहास राजस्थानी चित्रकला के समानांतर ही विकसित हुआ है। इसमें मुख्य रूप से बूंदी शैली, कोटा शैली, झालावाड़ शैली और अन्य ठिकानों की कला को सम्मिलित किया जाता है ।


हाड़ौती चित्रशैली की उपशैलियाँ

उपशैलीप्रमुख केंद्रविशेषता
बूंदी शैलीबूंदीप्राकृतिक दृश्य, रागमाला, नायिका भेद, रेखांकन में सजीवता
कोटा शैलीकोटाशिकार, दरबारी जीवन, पशु-पक्षी, जलरंगों का प्रयोग
झालावाड़ शैलीझालावाड़कोटा-बूंदी शैली का मिश्रण, धार्मिक विषय, प्रकृति

हाड़ौती चित्रशैली के प्रमुख विषय

विषयउदाहरण/विवरण
प्राकृतिक दृश्यसरोवर, सतरंगी बादल, नाचते मोर, केले के वृक्ष, इंद्रधनुष
शिकारसूअर, शेर, हाथी का शिकार, शिकार करते राजा
दरबारी जीवनदरबार, उत्सव, संगीत, नृत्य, विवाह
धार्मिकराधा-कृष्ण मिलन, रामायण, भागवत, रागमाला
सामाजिकचौपड़ खेलती महिलाएँ, स्नान दृश्य, त्योहार

बूंदी शैली की विशेषताएँ


कोटा शैली की विशेषताएँ


हाड़ौती चित्रशैली के प्रमुख चित्रकार और कृतियाँ

चित्रकारउपशैली/स्थानप्रमुख कृति/योगदान
मोहनबूंदीदूज का चाँद देखते प्रेमी युगल
रघुनाथकोटारामायण सेट, शिकार दृश्य
डालाकोटारामायण सेट (1768), दरबारी चित्र
बच्छीरामकोटाशेर, बतख, कछुए, प्राकृतिक दृश्य
नर्मदा, जयरामकोटाशिकार, दरबार, उत्सव

हाड़ौती चित्रशैली की अन्य विशेषताएँ


रंग, सामग्री और तकनीक

सामग्री/रंगस्रोत/प्रयोग
नारंगीगेरू, सिंदूर
हरापत्तियाँ, हरा पत्थर
नीलानील, लैपिस लाजुली
लालसिंदूर, गेरू
कालाकालिख, कोयला
कागज, कपड़ाचित्रण के माध्यम
सोना-चाँदीविशेष चित्रों में

हाड़ौती चित्रशैली का सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व


महत्वपूर्ण तथ्य (Quick Facts) – परीक्षा दृष्टि से

बिंदुविवरण
हाड़ौती शैली के भागबूंदी, कोटा, झालावाड़ शैली
बूंदी शैली का स्वर्णकालराव सुरजन सिंह (1554-1585)
कोटा शैली का उत्कर्षमहाराजा उम्मेद सिंह (1771-1820)
प्रमुख विषयशिकार, प्राकृतिक दृश्य, दरबार, रागमाला
प्रमुख चित्रकारमोहन (बूंदी), रघुनाथ, डाला (कोटा)
रंगों की प्रधानतानारंगी, हरा, नीला, लाल
दक्षिणी प्रभावबूंदी शैली पर

संरक्षण और वर्तमान स्थिति

हाड़ौती चित्रशैली ने राजस्थान की चित्रकला को प्राकृतिकता, रंगबिरंगे दृश्य, शिकार, दरबारी जीवन और धार्मिकता के माध्यम से नई ऊँचाई दी। बूंदी, कोटा, झालावाड़ आदि क्षेत्रों में विकसित यह शैली आज भी अपनी विशिष्टता, भव्यता और सांस्कृतिक महत्व के लिए जानी जाती है। संरक्षण और नवाचार के साथ यह परंपरा आने वाली पीढ़ियों के लिए भी प्रेरणा स्रोत बनी रहेगी।


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