हनुमानगढ़ राजस्थान के उत्तरी छोर पर स्थित एक ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और पुरातात्विक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण जिला है। यह जिला 29° 5′ से 30° 6′ उत्तरी अक्षांश और 74° 3′ से 75° 3′ पूर्वी देशांतर के बीच स्थित है। हनुमानगढ़ की सीमाएँ दक्षिण में चूरू, पश्चिम में श्रीगंगानगर, उत्तर में पंजाब और पूर्व में हरियाणा से मिलती हैं।
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हनुमानगढ़ का क्षेत्रफल 12,645 वर्ग किमी है और प्रशासनिक दृष्टि से इसे 7 तहसीलों में विभाजित किया गया है:
हनुमानगढ़, संगरिया, रावतसर, नोहर, भादरा, टिब्बी और पीलीबंगा।
प्रशासनिक संरचना
हनुमानगढ़ जिले का प्रशासनिक ढांचा अत्यंत संगठित है। जिले को 7 तहसीलों में बाँटा गया है, जिससे प्रशासनिक कार्यों में सुविधा रहती है।
प्रत्येक तहसील में उपखंड अधिकारी, तहसीलदार, पटवारी, ग्राम पंचायतें तथा नगर निकाय कार्यरत हैं। जिला मुख्यालय हनुमानगढ़ शहर है।
तहसील का नाम | मुख्यालय | प्रशासनिक विशेषता |
---|---|---|
हनुमानगढ़ | हनुमानगढ़ | हनुमानगढ़ जिला मुख्यालय, प्रशासनिक केंद्र |
संगरिया | संगरिया | कृषि व व्यापारिक केंद्र |
रावतसर | रावतसर | ऐतिहासिक स्थल, ग्रामीण क्षेत्र |
नोहर | नोहर | धार्मिक स्थल, सांस्कृतिक केंद्र |
भादरा | भादरा | कृषि प्रधान क्षेत्र |
टिब्बी | टिब्बी | ग्रामीण क्षेत्र |
पीलीबंगा | पीलीबंगा | सिंचाई व कृषि क्षेत्र |
हनुमानगढ़ का इतिहास
हनुमानगढ़ का इतिहास प्राचीन सिंधु घाटी सभ्यता से जुड़ा है।
यहाँ के कालीबंगा और पल्लू क्षेत्र में हुई खुदाई से 5000 वर्ष पुरानी सभ्यता के प्रमाण मिले हैं। कालीबंगा में 1951 में हुई खुदाई में मानव कंकाल, अज्ञात लिपियाँ, मुद्राएँ, सिक्के, बर्तन, आभूषण, खिलौने, मूर्तियाँ आदि प्राप्त हुए, जो आज कालीबंगा संग्रहालय और राष्ट्रीय संग्रहालय, नई दिल्ली में संरक्षित हैं।
प्राचीन काल में यह क्षेत्र भाटी राजपूतों के अधीन था। भूपत (भाटी राजा के पुत्र) ने इस नगर की स्थापना की और अपने पिता की स्मृति में इसका नाम भटनर रखा।
295 ई. में भूपत ने भटनर किला बनवाया। इस किले पर तैमूर, गजनवी, पृथ्वीराज चौहान, अकबर, कुतुबुद्दीन ऐबक और राठौड़ों ने भी अधिकार किया।
1805 ई. में बीकानेर के राजा सूरत सिंह ने भटनर पर विजय प्राप्त की। यह विजय मंगलवार (हनुमान जी का दिन) को हुई, अतः सूरत सिंह ने इसका नाम भटनर से बदलकर हनुमानगढ़ रख दिया।
इतिहासकार डॉ. जी.एस. देवड़ा के अनुसार, तलवाड़ा झील का क्षेत्र ही तराइन के युद्ध का प्रसिद्ध मैदान था, जहाँ मोहम्मद गौरी और पृथ्वीराज चौहान के बीच ऐतिहासिक युद्ध हुआ था।
हनुमानगढ़ के प्रमुख ऐतिहासिक स्थल
1. कालीबंगा पुरातात्विक स्थल
- कालीबंगा सिंधु घाटी सभ्यता का एक महत्वपूर्ण केंद्र है, जहाँ 2500 ई.पू. – 1750 ई.पू. की हड़प्पा सभ्यता और 3500 ई.पू. – 2500 ई.पू. की पूर्व-हड़प्पा सभ्यता के अवशेष मिले हैं।
- यहाँ खुदाई में मुद्राएँ, मानव कंकाल, अज्ञात लिपियाँ, तांबे की चूड़ियाँ, मनके, सिक्के, खिलौने, टेराकोटा, शंख, पहिए, आभूषण, बर्तन, खिलौना गाड़ी, बाजार, कुएँ, स्नानघर, कब्र, किला और सड़कें प्राप्त हुईं।
- कालीबंगा पुरातत्व संग्रहालय 1983 में स्थापित हुआ, जहाँ खुदाई से प्राप्त सामग्री संरक्षित है।
2. भटनर किला (हनुमानगढ़ किला)
- भटनर किला (अब हनुमानगढ़ किला) गग्गर नदी के किनारे ऊँचे स्थान पर स्थित है, जिसे 295 ई. में भूपत ने बनवाया था।
- किला मजबूत प्राचीरों, विशाल दरवाजों और गोल बुर्जों से घिरा है।
- यहाँ तीन शिलालेख, जैन पसारा (प्राचीन इमारत), और शेर खान (सुल्तान ग्यासुद्दीन बलबन के भतीजे) की समाधि स्थित है।
- तैमूर की आत्मकथा ‘तुजुक-ए-तैमूरी’ और अकबर की ‘आइन-ए-अकबरी’ में इस किले की मजबूती का उल्लेख है।
3. श्री गोरखनाथ जी मंदिर
- नोहर तहसील के गोरखाना गाँव में श्री गोरखनाथ जी का प्रसिद्ध मंदिर है।
- यहाँ गोरखनाथ जी की धूना (अग्निकुंड) आज भी मौजूद है, जिसे श्रद्धालु पूजते हैं।
- मंदिर में कालीका माता की 3 फीट ऊँची प्रतिमा, भैरुजी की मूर्ति, शिव परिवार और योगियों की समाधियाँ स्थित हैं।
- मान्यता है कि गोगाजी ने यहीं गोरखनाथ जी से दीक्षा ली थी।
4. श्री गोगाजी मंदिर
- नोहर तहसील के गोगामेड़ी गाँव में स्थित, यह मंदिर लगभग 950 वर्ष पुराना है।
- मंदिर की वास्तुकला हिंदू-मुस्लिम मिश्रित है।
- यहाँ गोगाजी की प्रतिमा घोड़े पर सवार, भाले और गले में साँप के साथ वीर योद्धा के रूप में स्थापित है।
- सभी जाति और समुदाय के लोग यहाँ श्रद्धा से आते हैं।
5. श्री भद्राकाली जी मंदिर
- प्राचीन सरस्वती (घग्गर) नदी के किनारे स्थित यह मंदिर महाराजा गंगा सिंह (बीकानेर) द्वारा पुनःनिर्मित है।
- देवी भद्राकाली की लाल पत्थर की प्रतिमा यहाँ स्थापित है।
- मंदिर में गोल शिखर, सभा मंडप, रसोईघर आदि हैं।
6. सिला माता – सिला पीर मंदिर
- हनुमानगढ़ शहर के बस स्टैंड के पास स्थित, यह मंदिर सांप्रदायिक सौहार्द का प्रतीक है।
- यहाँ की प्रतिमा हिंदू, सिख और मुस्लिम सभी समुदायों द्वारा पूजी जाती है।
7. श्री कबूतर साहिब गुरुद्वारा
- नोहर शहर में स्थित, यह गुरुद्वारा गुरु गोविंद सिंह जी की 1706 में ऐतिहासिक यात्रा की स्मृति में बना है।
8. गुरुद्वारा श्री सुखा सिंह मेहताब सिंह
- हनुमानगढ़ शहर में स्थित, यह गुरुद्वारा 18वीं सदी में दो शहीदों की स्मृति में बना है।
कालीबंगा पुरातत्व संग्रहालय
- 1983 में स्थापित, यह संग्रहालय कालीबंगा में स्थित है।
- यहाँ सिंधु घाटी सभ्यता के खुदाई से प्राप्त अवशेष, बर्तन, मुद्राएँ, खिलौने, आभूषण, मानव कंकाल, शिलालेख आदि संरक्षित हैं।
हनुमानगढ़ के मेले एवं त्यौहार
मेला/त्यौहार | स्थान/समय | प्रमुख विशेषता |
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धूना श्री गोरखनाथ जी | भाद्रपद माह, एक माह | योगियों की साधना, श्रद्धालुओं की भीड़ |
श्री भद्राकाली जी | चैत्र व आश्विन नवरात्र | देवी पूजा, भव्य मेला |
श्री गोगाजी | श्रावण पूर्णिमा से भाद्रपद पूर्णिमा | एक माह का विशाल मेला, सभी समुदायों की भागीदारी |
भूगोल एवं जलवायु
हनुमानगढ़ जिले की भौगोलिक बनावट समतल है, जो मोटी जलोढ़ मिट्टी और हवा से आई रेत से ढकी है। जिले की ढाल पश्चिम की ओर है, औसतन 4-5 मीटर प्रति किमी।
यहाँ के रेत के टीले सामान्यतः 4-5 मीटर ऊँचे होते हैं, जबकि दक्षिण-पश्चिम भाग में 10-15 मीटर तक ऊँचाई पाई जाती है।
भौगोलिक तथ्य | विवरण |
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ऊँचाई | 168-227 मीटर समुद्र तल से |
प्रमुख नदी | घग्गर (स्थानीय नाम – नाली) |
ढाल | पश्चिम की ओर, 4-5 मीटर/किमी |
मिट्टी | जलोढ़, रेतीली |
मुख्य फसलें | चावल, बाजरा, कपास, गेहूँ, सब्जियाँ |
आबादी एवं सामाजिक संरचना
2011 की जनगणना के अनुसार, हनुमानगढ़ शहर की कुल जनसंख्या 1,51,104 है।
पुरुष – 79,817, महिलाएँ – 71,287।
यहाँ की औसत साक्षरता दर 78.32% है, जो राष्ट्रीय औसत (73%) से अधिक है।
पुरुष साक्षरता – 85.42%, महिला साक्षरता – 70.42%।
लिंगानुपात – 893 महिलाएँ प्रति 1000 पुरुष।
बाल लिंगानुपात – 848 बालिकाएँ प्रति 1000 बालक।
प्रमुख भाषाएँ – बागड़ी, पंजाबी, हिंदी।
वर्ष | कुल जनसंख्या | पुरुष | महिलाएँ | साक्षरता दर (%) | लिंगानुपात | बाल लिंगानुपात |
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2011 | 1,51,104 | 79,817 | 71,287 | 78.32 | 893 | 848 |
हनुमानगढ़ का आर्थिक जीवन
हनुमानगढ़ जिले की अर्थव्यवस्था मुख्यतः कृषि पर आधारित है।
यहाँ की प्रमुख फसलें – चावल, बाजरा, कपास, गेहूँ, सब्जियाँ हैं।
घग्गर नदी एवं सिंचाई परियोजनाओं के कारण कृषि यहाँ की रीढ़ है।
इसके अलावा, यहाँ रेतीली मिट्टी के कारण कुछ स्थानों पर खनिज भी पाए जाते हैं।
हनुमानगढ़ के मुख्य तथ्य
विषय | विवरण |
---|---|
स्थान | उत्तरी राजस्थान, पंजाब-हरियाणा सीमा |
क्षेत्रफल | 12,645 वर्ग किमी |
तहसीलें | 7 |
प्रमुख स्थल | कालीबंगा, भटनर किला, गोरखनाथ मंदिर, गोगाजी मंदिर |
प्रमुख मेले | गोरखनाथ धूना, भद्राकाली, गोगाजी |
प्रमुख फसलें | चावल, बाजरा, कपास, गेहूँ, सब्जियाँ |
जनसंख्या (2011) | 1,51,104 |
साक्षरता दर | 78.32% |
भाषाएँ | बागड़ी, पंजाबी, हिंदी |
हनुमानगढ़ जिला राजस्थान का ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और पुरातात्विक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण क्षेत्र है। कालीबंगा की खुदाई ने इसे विश्व मानचित्र पर स्थापित किया है। यहाँ के किले, मंदिर, मेले, संग्रहालय और कृषि इसे विशिष्ट पहचान देते हैं।
प्रतियोगी परीक्षाओं, सामान्य अध्ययन एवं राजस्थान की सांस्कृतिक धरोहर को समझने के लिए हनुमानगढ़ का अध्ययन अत्यंत आवश्यक है।