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जालोर जिला: इतिहास, भूगोल, प्रशासन, खनिज, दर्शनीय स्थल एवं संस्कृति – सम्पूर्ण अध्ययन नोट्स

जालोर जिला: इतिहास, भूगोल, प्रशासन, खनिज, दर्शनीय स्थल एवं संस्कृति – सम्पूर्ण अध्ययन नोट्स

जालोर राजस्थान के दक्षिण-पश्चिमी भाग में स्थित एक ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और भौगोलिक दृष्टि से समृद्ध जिला है। यह जिला अपनी मजबूत किलाबंदी, प्राचीन मंदिरों, जीवंत लोक संस्कृति, और खनिज संपदा के लिए प्रसिद्ध है। जालोर को “मरु प्रदेश का सोनागिरि” भी कहा जाता है। स्वतंत्रता के बाद यह जोधपुर राज्य से अलग होकर एक स्वतंत्र जिला बना।

स्थान, क्षेत्रफल एवं प्रशासन

तहसील का नाममुख्य विशेषता
जालोरजालोर जिला मुख्यालय, ऐतिहासिक केंद्र
आहोरखनिज व कृषि क्षेत्र
भीनमालसांस्कृतिक, शैक्षिक केंद्र
रानीवाड़ाखनिज व ग्रामीण क्षेत्र
सांचौरव्यापारिक व कृषि क्षेत्र
सायलाग्रामीण क्षेत्र
बागोड़ाकृषि प्रधान क्षेत्र
भड़ाजून, चितलवानाऐतिहासिक व ग्रामीण क्षेत्र

इतिहास: जालोर का गौरवशाली अतीत

शासक का नामशासन कालउपलब्धि/विशेषता
कीर्तिपाल1160-1182चौहान परंपरा की शुरुआत
समर सिंह1182-1204
उदयसिंह1204-1257
चाचिगा देव1257-1282
सामंत सिंह1282-1305
कान्हा देव1292-1311‘कान्हा-प्रबंध’ ग्रंथ की रचना, अलाउद्दीन खिलजी से युद्ध

जालोर के ऐतिहासिक स्थल

1. जालोर किला

2. तोपखाना

3. सुंधा माता मंदिर

जालोर के प्रमुख लोकनृत्य

ढोल नृत्य

गैर नृत्य

घुड़ला नृत्य

अन्य उल्लेखनीय नृत्य

नृत्य का नामविशेषता/विवरण
डांडिया नृत्यहोली के बाद कई दिनों तक चलता है, पुरुष वाद्य यंत्रों के साथ
जालोर ढोल नृत्यविवाह अवसर पर, माली, ढोली, सर्गरा, भील समुदाय द्वारा, तलवार, लाठी व रूमाल के साथ
गैर नृत्यहोली के अगले दिन से 15 दिन तक, पुरुष, सफेद वस्त्र, तलवार, थाली, ढोल के साथ

हस्तशिल्प एवं कारीगरी

भूगोल एवं प्राकृतिक संरचना

प्रमुख नदीसहायक नदियाँविशेषता
लूणीजवाई, सूकड़ी, खारी, बांडी, सगीसभी मौसमी, सिंचाई में सहायक

प्राकृतिक स्थल एवं वन्यजीव

सुंधा माता वन्यजीव अभयारण्य

खनिज संपदा

जालोर जिला खनिजों के लिए भी प्रसिद्ध है। यहाँ मुख्य रूप से फ्लोरस्पार, ग्रेनाइट, क्ले, साल्टपीटर, जिप्सम, डोलोमाइटिक मार्बल, ग्रेफाइट, फेल्डस्पार आदि पाए जाते हैं।

खनिजप्रमुख क्षेत्र/उपयोग
फ्लोरस्पारभीनमाल के करड़ा गाँव, कृष्णा हिल, रेखा हिल, संतोषी हिल
ग्रेनाइटसिवाना, जालोर, खांबी, कावला, तायब, बाला, रानीवाड़ा खुर्द
क्लेभड़ाजून, पाल
साल्टपीटरआहोर के कंवला गाँव, स्थानीय मिट्टी, पटाखे, बारूद निर्माण
जिप्समरामसीन, चावंडा (आहोर), सांचौर, वेडिया, चितलवाना, सेवाड़ा, हेमागुरा, हरियाली
डोलोमाइटिक मार्बलरूपी (भीनमाल से 9.5 किमी दक्षिण-पश्चिम)
ग्रेफाइट, फेल्डस्पारभीनमाल के पूर्व में अल्प मात्रा में
निर्माण पत्थर, बजरीस्थानीय निर्माण कार्यों में उपयोग

जनसंख्या एवं सामाजिक संरचना

वर्षकुल जनसंख्याजनसंख्या घनत्वलिंगानुपातसाक्षरता दर (%)
201118,30,15117295155.58

जालोर की सांस्कृतिक विशेषताएँ

जालोर के मुख्य तथ्य

विषयविवरण
क्षेत्रफल10,640 वर्ग किमी
जनसंख्या (2011)18,30,151
जनसंख्या घनत्व172 व्यक्ति/वर्ग किमी
लिंगानुपात951
साक्षरता दर55.58%
प्रमुख नदियाँलूणी, जवाई, सूकड़ी, खारी, बांडी, सगी
प्रमुख स्थलजालोर किला, तोपखाना, सुंधा माता मंदिर, सुंधा अभयारण्य
प्रमुख खनिजफ्लोरस्पार, ग्रेनाइट, क्ले, जिप्सम, डोलोमाइटिक मार्बल
प्रमुख लोकनृत्यडांडिया, ढोल, गैर

जालोर जिला अपनी ऐतिहासिक विरासत, किलों, मंदिरों, खनिज संपदा, जीवंत लोक संस्कृति और प्राकृतिक सौंदर्य के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ के किले, मंदिर, अभयारण्य, लोकनृत्य, हस्तशिल्प और खनिज न केवल राजस्थान, बल्कि पूरे भारत की सांस्कृतिक और आर्थिक धरोहर का हिस्सा हैं।
जालोर का अध्ययन प्रतियोगी परीक्षाओं, सामान्य ज्ञान और राजस्थान की सांस्कृतिक समझ के लिए अत्यंत आवश्यक है।

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