झुंझुनूं राजस्थान राज्य के उत्तर-पूर्वी भाग में स्थित एक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक दृष्टि से समृद्ध जिला है। यह जिला अपनी विशिष्ट भौगोलिक स्थिति, ऐतिहासिक विरासत, खनिज संसाधनों और लोक संस्कृति के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ की रानी सती का मेला, केसरीया बालम जैसी लोक कथाएँ, और शेखावाटी की हवेलियाँ इसे अन्य जिलों से अलग बनाती हैं।
इस लेख में हम झुंझुनूं जिले के इतिहास, भूगोल, खनिज, प्रशासन, मेले-त्योहार और जनसंख्या से जुड़ी हर महत्वपूर्ण जानकारी विस्तार से प्रस्तुत कर रहे हैं।
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झुंझुनूं का भौगोलिक स्थान एवं प्रशासनिक संरचना
झुंझुनूं जिला
- अक्षांश: 27° 38′ से 28° 31′ उत्तर
- देशांतर: 75° 02′ से 76° 06′ पूर्व
- कुल क्षेत्रफल: 2928 वर्ग किमी
- सीमाएँ:
- उत्तर-पश्चिम में चूरू
- उत्तर-पूर्व में हरियाणा के हिसार व महेन्द्रगढ़
- पश्चिम, दक्षिण व दक्षिण-पूर्व में सीकर
प्रशासनिक विभाजन:
झुंझुनूं जिले में कुल 8 तहसीलें हैं:
क्रमांक | तहसील का नाम |
---|---|
1 | झुंझुनूं |
2 | मलसीसर |
3 | बुहाना |
4 | उदयपुरवाटी |
5 | नवलगढ़ |
6 | खेतड़ी |
7 | चिड़ावा |
8 | सूरजगढ़ |
झुंझुनूं का इतिहास
प्राचीन इतिहास
झुंझुनूं का प्राचीन इतिहास भारतीय पौराणिक कथाओं से जुड़ा हुआ है। कहा जाता है कि महाभारत के पांडवों ने लोहार्गल के सूर्यकुंड में स्नान किया था और अपने शस्त्रों को धोया था।
मध्यकालीन इतिहास
- विक्रम संवत 1045 में यहाँ चौहान वंश का शासन था। सिधराज इस वंश के प्रसिद्ध राजा थे।
- सन् 1450 में मोहम्मद खान और उनके पुत्र समस खान ने चौहानों को हराकर झुंझुनूं पर अधिकार कर लिया।
- मोहम्मद खान झुंझुनूं के पहले नवाब बने।
- 1459 में समस खान गद्दी पर बैठे, उन्होंने समसपुर गाँव बसाया और समस तालाब का निर्माण कराया।
- झुंझुनूं में निम्नलिखित नवाबों ने शासन किया:
नवाब का नाम |
---|
मोहम्मद खान |
समस खान |
फतेह खान |
मुबारक शाह |
कमल खान |
भीकम खान |
मोहब्बत खान |
खिजर खान |
बहादुर खान |
समस खान सानी |
सुल्तान खान |
वहीद खान |
साद खान |
फजल खान |
रोहिल्ला खान |
- रोहिल्ला खान की मृत्यु के बाद उनके दीवान शार्दूल सिंह ने झुंझुनूं पर अधिकार कर लिया।
- शार्दूल सिंह ने 12 वर्ष तक शासन किया। उनकी मृत्यु के बाद उनकी सम्पत्ति को उनके पाँच पुत्रों में बराबर बाँट दिया गया, जिसे पंचपाना कहा गया।
- पंचपाना के वंशजों ने 1947 तक शासन किया।
झुंझुनूं के मेले और त्योहार
1. रानी सती मेला (झुंझुनूं)
- यह मेला झुंझुनूं शहर के प्रसिद्ध रानी सती मंदिर में हर वर्ष भाद्रपद अमावस्या (भादों अमावस्या) को आयोजित होता है।
- रानी सती मंदिर 400 साल पुराना है और स्त्री शक्ति का प्रतीक माना जाता है।
- मेले में देशभर से हजारों श्रद्धालु आते हैं और भव्य मंगलपाठ, धार्मिक अनुष्ठान, भजन-कीर्तन आदि होते हैं।
2. रामदेवजी मेला (नवलगढ़)
- नवलगढ़ के रामदेवजी मंदिर में भाद्रपद शुक्ल पक्ष की दशमी को लक्खी मेला आयोजित होता है।
- मेले की शुरुआत राजपरिवार के निवास से घोड़े की परंपरागत ‘धोक’ से होती है, इसके बाद मंदिर में बाबा की जोत के साथ मेला शुरू होता है।
- यह मेला करीब एक सप्ताह तक चलता है और इसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालु भाग लेते हैं।
3. शेखावाटी हस्तशिल्प एवं पर्यटन मेला
- यह मेला हर साल जनवरी में झुंझुनूं के ग्रामीण हाट आबूसर में आयोजित होता है।
- मेले में शेखावाटी की हस्तशिल्प कला, पारंपरिक ग्रामीण खेल, सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ और विभिन्न प्रतियोगिताएँ होती हैं।
- यह मेला पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए भी प्रसिद्ध है ।
4. अन्य उल्लेखनीय मेले
- लोक व पशु मेले: क्षेत्र में कई स्थानों पर छोटे-बड़े लोक व पशु मेले भी आयोजित होते हैं, जिनमें ग्रामीण संस्कृति की झलक देखने को मिलती है।
- गणगौर मेला: झुंझुनूं सहित शेखावाटी क्षेत्र में गणगौर पर्व पर महिलाओं द्वारा पारंपरिक गणगौर मेला मनाया जाता है।
झुंझुनूं का भूगोल
- पश्चिमी भाग में रेतीले टीलों, पहाड़ियों और निचली भूमि का विस्तार है।
- दक्षिण-पूर्वी भाग में अरावली पर्वतमाला की शाखाएँ फैली हैं, जो उदयपुरवाटी से शुरू होकर खेतड़ी और सिंघाना तक जाती हैं।
- औसत ऊँचाई: 300-450 मीटर
- लोहार्गल के पास सबसे ऊँची चोटी – 1051 मीटर
- पश्चिमी और मध्य भाग में रेतीले टीलों और मृदा अपरदन की समस्या प्रमुख है।
- नदी तंत्र:
- कतली नदी – जिले को दो भागों में बाँटती है
- डोहाऊ, चंद्रावती, उदयपुर-लोहार्गल की नदी, सुख नदी – अन्य प्रमुख जलधाराएँ
- झीलें नहीं हैं, लेकिन सिंचाई के लिए चार छोटे टैंक हैं।
झुंझुनूं के खनिज और प्राकृतिक संसाधन
झुंझुनूं जिला खनिज संपदा के लिए प्रसिद्ध है, खासकर खेतड़ी तांबा बेल्ट के लिए। यहाँ पाए जाने वाले प्रमुख खनिज निम्नलिखित हैं:
खनिज | प्रमुख क्षेत्र / विशेषता |
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तांबा, सोना, चाँदी | खेतड़ी तांबा बेल्ट (80 किमी लंबा) – रघुनाथगढ़ से सिंघाना तक |
लौह अयस्क | जौंडा, सोइर-ज़मालपुरा, राजपुर-जैनतपुरा, काली पहाड़ी |
कोबाल्ट | अकवाली-बाबाई (खेतड़ी), 2.83% कोबाल्ट की मात्रा |
चूना पत्थर | खिरोड़-बसावा-पारसारामपुरा (नवलगढ़), पपरना, मीणा की ढाणी |
फ्लोराइट | छापोली (उदयपुरवाटी) |
क्वार्ट्ज-फेल्डस्पार | खेतड़ी, उदयपुरवाटी |
क्ले-लाल गेरू | गुढ़ा, पौंख, गिरावड़ी, उदयपुरवाटी, मेहराणा |
सोपस्टोन-पायरोफिलाइट | खोह, गुड़ा, मेहराणा (उदयपुरवाटी, खेतड़ी) |
कैल्साइट | दादा, बंसियाल, बादलवास (खेतड़ी) |
ग्रेनाइट | नंद, रिजहानी, मारगसर, माखर, रसोडा, झुंझुनूं, हुकुमपुरा बमलावास |
संगमरमर | पपरना, मीणा की ढाणी, भगवतवाला की ढाणी (खेतड़ी) |
झुंझुनूं के खनिजों का औद्योगिक महत्व
खनिज | औद्योगिक उपयोग/महत्व |
---|---|
तांबा | इलेक्ट्रिकल, वायरिंग, मशीनरी, सिक्के |
लौह अयस्क | इस्पात निर्माण, मशीनरी |
कोबाल्ट | बैटरी, चुंबक, मिश्रधातु |
चूना पत्थर | सीमेंट, निर्माण, चूना |
फ्लोराइट | रासायनिक उद्योग, काँच |
क्वार्ट्ज-फेल्डस्पार | काँच, सिरेमिक, इलेक्ट्रॉनिक्स |
क्ले-लाल गेरू | रंग, पेंट, चीनी मिट्टी |
सोपस्टोन-पायरोफिलाइट | साबुन, कागज, सिरेमिक |
कैल्साइट | सीमेंट, काँच, रसायन |
ग्रेनाइट | भवन निर्माण, स्मारक, सजावट |
संगमरमर | भवन निर्माण, मूर्तिकला, सजावट |
जनसंख्या एवं सामाजिक आँकड़े
- 2011 जनगणना के अनुसार झुंझुनूं जिले की कुल जनसंख्या 21,39,658 है।
- जनसंख्या घनत्व: 361 व्यक्ति/वर्ग किमी
- जनसंख्या वृद्धि दर (2001-2011): 11.81%
- लिंगानुपात: 950 महिलाएँ प्रति 1000 पुरुष
- साक्षरता दर: 74.72%
आँकड़ा | संख्या/प्रतिशत |
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कुल जनसंख्या | 21,39,658 |
जनसंख्या घनत्व | 361 व्यक्ति/वर्ग किमी |
वृद्धि दर (2001-11) | 11.81% |
लिंगानुपात | 950/1000 |
साक्षरता दर | 74.72% |
झुंझुनूं जिला राजस्थान के इतिहास, संस्कृति, भूगोल और खनिज संपदा की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है। यहाँ की पंचपाना व्यवस्था, रानी सती का मेला, खनिज संसाधन और शेखावाटी की हवेलियाँ इसे विशिष्ट पहचान दिलाती हैं।
अध्ययन के लिए यह जिला राजस्थान GK, प्रतियोगी परीक्षाओं और सामान्य ज्ञान के लिए अत्यंत उपयोगी है।