करौली जिला: इतिहास, भौगोलिक विशेषताएँ, खनिज संपदा और सांस्कृतिक विरासत – सम्पूर्ण अध्ययन नोट्स

By RR Classes

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राजस्थान के उत्तर-पूर्वी भाग में स्थित करौली जिला ऐतिहासिक, भौगोलिक, सांस्कृतिक और खनिज दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह जिला न केवल अपनी प्राचीन विरासत, विशिष्ट किलों, प्राकृतिक संसाधनों और लोक पर्वों के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि यहाँ की भौगोलिक संरचना और खनिज संपदा भी इसे अन्य जिलों से अलग बनाती है।
यह लेख करौली जिले के इतिहास, प्रशासन, भूगोल, खनिज, जनसंख्या, प्रमुख किले, त्यौहार और सांस्कृतिक विशेषताओं पर आधारित है, जो प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए अत्यंत उपयोगी है।

करौली का स्थान, क्षेत्रफल और प्रशासनिक संरचना

करौली जिला 26° 02′ से 27° उत्तर अक्षांश और 76° 28′ से 77°25′ पूर्व देशांतर के बीच स्थित है। इसकी औसत समुद्र तल से ऊँचाई लगभग 260 मीटर है।
यह जिला पश्चिम में दौसा, दक्षिण-पश्चिम में सवाई माधोपुर, उत्तर-पूर्व में धौलपुर और भरतपुर, तथा पूर्व में मध्य प्रदेश राज्य से घिरा हुआ है।
चंबल नदी इस जिले और मध्य प्रदेश के बीच प्राकृतिक सीमा बनाती है।

क्षेत्रफल एवं प्रशासनिक विभाजन:

  • कुल क्षेत्रफल: 4985 वर्ग किमी
  • तहसीलें: 6 (करौली, हिंडौन, नंदौती, सपोटरा, टोडाभीम, मण्डरायल)
  • Official website

इतिहास: करौली का गौरवशाली अतीत

करौली राज्य की स्थापना

करौली का इतिहास यदुवंशी राजपूत शासकों से जुड़ा है।

  • 995 ई. में राजा बिजय पाल ने मथुरा राज्य की स्थापना की थी।
  • 1348 ई. में अरजुन देव ने करौली राज्य की नींव रखी।
  • राजधानी समय-समय पर मथुरा, द्वारिका, बयाना, टिमनगढ़, अंधेर कोटला, मण्डरायल, उंटगिर और बहादुरपुर में रही।

ब्रिटिश और स्वतंत्रता के बाद

  • 18वीं शताब्दी में करौली पर मराठा साम्राज्य का अधिकार रहा, बाद में अंग्रेजों ने पराजित किया।
  • 1817 में करौली के शासक ने ईस्ट इंडिया कंपनी के साथ संधि की और यह ब्रिटिश संरक्षित राज्य बना रहा।
  • 7 अप्रैल 1949 को महाराजा गणेश पाल देव ने भारत में विलय पत्र पर हस्ताक्षर किए।
  • 1 मार्च 1997 को करौली जिला अस्तित्व में आया, जिसमें सवाई माधोपुर की पाँच तहसीलें शामिल की गईं।

करौली के शासकों की सूची

क्रमांकशासक का नामशासनकाल (ई.)
1कुँवर पाल II1688 – 1724
2गोपाल सिंह1724 – 1757
3तुर्साम पाल1757 – 1772
4माणिक पाल1772 – 1804
5अमोला पाल1804 – 1805
6हर्बक्ष पाल1805 – 1837
7प्रताप पाल1837 – 1849
8नरसिंह पाल1849 – 1852
9भरत पाल1852 – 1854
10मदन पाल1854 – 1869
11लक्ष्मण पाल1869
12जयसिंह पाल1869 – 1875
13वृषभान सिंह तंवर (रिजेंट)1869 – 1871
14अर्जुन पाल II1876 – 1886
15सर भंवर पाल1886 – 1927
16सर भोम पाल1927 – 1947
17गणेश पाल1947

करौली के प्रमुख ऐतिहासिक स्थल

1. टिमनगढ़ किला

  • मसालपुर गाँव में स्थित यह किला सम्वत 1244 में यदुवंशी शासक टिमनपाल द्वारा निर्मित हुआ।
  • चारों ओर 5 फीट चौड़ी और 30 फीट ऊँची दीवारें हैं।
  • किले के भीतर बाजार, बाग-बगिचा, मंदिर, कुएँ के अवशेष आज भी देखे जा सकते हैं।

2. उंटगिरि किला

  • 15वीं शताब्दी में कल्याणपुरा गाँव में सुरंगनुमा पहाड़ी पर बना।
  • 4 किमी क्षेत्र में फैला, 100 फीट ऊँचा झरना सीधा शिवलिंग पर गिरता है।
  • अंतिम मुग़ल साम्राज्य तक यदुवंशियों के अधिकार में रहा।

3. देवगिरि किला

  • चंबल नदी के किनारे, उंटगिरि के पूर्व में स्थित।
  • 1506-07 में सिकंदर लोदी के आक्रमण से क्षतिग्रस्त।
  • वर्तमान में बावड़ी, पत्थर की शिलालेख, महल के अवशेष उपलब्ध हैं।

4. मण्डरायल किला

  • चंबल नदी के किनारे, लाल पत्थर से निर्मित।
  • 1327 में महाराजा अर्जुन देव ने इसे प्राप्त किया।
  • सूर्य पोल पर सूर्योदय से सूर्यास्त तक सीधी धूप पड़ती है।

5. बहादुरपुर किला

  • ससंद गाँव के पास, निर्जन वन क्षेत्र में स्थित।
  • दो मंजिला नरप गोपाल भवन, सहेलियों की बावड़ी, कलात्मक झरोखे, 18 फीट लंबी गार्डर, मगध राय की छतरी आदि दर्शनीय हैं।
  • 1566 से 1644 तक विस्तार हुआ; जयपुर के शासक सवाई जयसिंह भी यहाँ रहे।

6. रामथेरा किला

  • सपोटरा उपखंड में, रणथंभौर और भरतपुर के बीच।
  • कैलादेवी अभयारण्य से 15 किमी दूर।

7. रावल पैलेस

  • 13वीं शताब्दी में निर्मित, लाल और सफेद पत्थर से बना।
  • भव्य चित्रकारी, नक्काशीदार दरवाजे, झरोखे, शीश महल, मोती महल, रंगलाल, फव्वारा तालाब आदि इसकी शोभा बढ़ाते हैं।

करौली के प्रमुख मेले और त्यौहार

मेला/त्यौहारस्थानविशेषता
कैलादेवी चैत्र मेलाकैलादेवी मंदिरमार्च-अप्रैल में, लांगुरिया गीतों पर नृत्य, राजस्थान, दिल्ली, हरियाणा, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश से श्रद्धालु
श्री महावीरजी मेलाहिंडौन तहसीलदिगंबर जैन समाज का प्रमुख स्थल, 400 वर्ष पुरानी प्रतिमा, रथ यात्रा आकर्षण
जगदीश जी का मेलाकैमरी गाँव, नंदौतीगुर्जर समाज की बहुलता, अन्य वर्गों की भी भागीदारी
महाशिवरात्रि पशु मेलापशु व्यापार, सांस्कृतिक आयोजन
गंगा दशहरा मेलासागरधार्मिक एवं सांस्कृतिक महत्व

भूगोल: करौली की भौगोलिक विशेषताएँ

  • करौली विंध्याचल और अरावली पर्वतमालाओं से घिरा है।
  • यहाँ की भूमि डांग के नाम से जानी जाती है, जिसमें ऊँची-नीची पहाड़ियाँ और उपजाऊ मैदान हैं।
  • मिट्टी हल्की और रेतीली है।
  • करौली और सपोटरा तहसीलों का बड़ा हिस्सा संरक्षित वन क्षेत्र में आता है।

करौली की प्रमुख नदियाँ

नदी का नामविशेषता
चंबलजिला व राज्य की पूर्वी सीमा बनाती है, मध्य प्रदेश से अलग करती है
गम्भीरीनंदौती की पहाड़ियों से निकलती, हिंडौन व टोडाभीम से बहती है
कालिसिल, भद्रावती, भैसावत, आटा, मंची, बर्खेड़ाअन्य छोटी नदियाँ, जिले के विभिन्न भागों में प्रवाहित

खनिज संपदा: करौली के प्रमुख खनिज

यह जिला राजस्थान के प्रमुख गैर-धात्विक खनिजों के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ के प्रमुख खनिज निम्नलिखित हैं:

खनिजमुख्य क्षेत्रविशेषता
सिलिका सैंडपाटोर-सपोटरा, गणेश्वरी से माछ गाँवकांच, निर्माण कार्य में उपयोगी
सैंडस्टोनकरौली, सपोटरा, भाऊपुरा-रतियापुरा, कासरा, छोबे की गुवाड़ी, मोकनपुरा-बेरदा, भाकरीउत्कृष्ट निर्माण पत्थर, नक्काशी के लिए प्रसिद्ध, जापान, खाड़ी देशों में निर्यात
क्वार्ट्जऔद्योगिक उपयोग
सोप स्टोनमोर्रा का डूंगर, टोडाभीमसाबुन, सौंदर्य प्रसाधन उद्योग
चूना पत्थरमोहाली-केलादेवी बेल्टनिर्माण में उपयोगी, 16 किमी लंबी बेल्ट
लेटराइटबजना, गथरा (सपोटरा)रिवा सैंडस्टोन के ऊपर
रेड ऑक्साइडरोडाई (करौली)रंगाई, पेंटिंग में उपयोगी
ओखर (लाल व पीला)नारायणपुरा, तंतवाड़ा (सपोटरा), कछरौली (करौली), खेड़ाता (पीला)रंगाई उद्योग
लौह अयस्ककरौली गाँव, हिंडौन से 7 किमी पूर्वसीमित मात्रा में
चूना पत्थरमोहाली-केलादेवी बेल्ट16 किमी लंबी बेल्ट, निर्माण कार्य में

जनसंख्या एवं सामाजिक संरचना

  • 2011 की जनगणना के अनुसार करौली जिले की कुल जनसंख्या 14,58,459 है।
  • जनसंख्या घनत्व: 264 व्यक्ति/वर्ग किमी
  • 2001-2011 के दशक में जनसंख्या वृद्धि दर: 20.57%
  • लिंगानुपात: 858 महिलाएँ प्रति 1000 पुरुष
  • साक्षरता दर: 67.34%
  • प्रमुख जातियाँ: मीणा और गुर्जर

करौली जिला मुख्य बिंदु

  • करौली जिला इतिहास, भूगोल, खनिज, संस्कृति के लिहाज से अत्यंत महत्वपूर्ण है।
  • यहाँ के किले, प्राकृतिक संसाधन, मेले, त्यौहार और खनिज संपदा इसे राजस्थान के अन्य जिलों से अलग पहचान दिलाते हैं।
  • प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए करौली जिले से जुड़े तथ्य, सांस्कृतिक विरासत और प्राकृतिक संसाधनों की जानकारी अत्यंत आवश्यक है।

महत्वपूर्ण तथ्य सारणी

विषयविवरण
जिला स्थापना1 मार्च 1997
कुल तहसीलें6
प्रमुख नदियाँचंबल, गम्भीरी, कालिसिल, भद्रावती, भैसावत, आटा, मंची, बर्खेड़ा
प्रमुख मेलेकैलादेवी, श्री महावीरजी, जगदीश जी, महाशिवरात्रि पशु मेला, गंगा दशहरा
प्रमुख खनिजसैंडस्टोन, सिलिका सैंड, सोप स्टोन, चूना पत्थर, रेड ऑक्साइड, ओखर, लौह अयस्क
जनसंख्या (2011)14,58,459
साक्षरता दर67.34%
प्रमुख जातियाँमीणा, गुर्जर

इस विस्तृत अध्ययन नोट्स में करौली जिले के सभी महत्वपूर्ण पहलुओं को समाहित किया गया है, जो प्रतियोगी परीक्षाओं एवं सामान्य अध्ययन के लिए अत्यंत उपयोगी है।
करौली की ऐतिहासिक, भौगोलिक, सांस्कृतिक एवं खनिज संपदा को समझना राजस्थान के अध्ययन में महत्वपूर्ण स्थान रखता है।

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