मारवाड़ चित्रशैली (Marwad Chitrshaili) राजस्थान की प्रमुख और विशिष्ट चित्रशैलियों में से एक है, जिसका विकास मुख्यतः जोधपुर और उसके आसपास के क्षेत्रों (पाली, नागौर, जैसलमेर, अजमेर) में हुआ। यह शैली अपने वीर रस, दरबारी जीवन, प्रेमाख्यान, लोककथाओं और रंगों की विविधता के लिए प्रसिद्ध है। मारवाड़ शैली ने न केवल स्थानीय संस्कृति को उकेरा, बल्कि राजस्थानी चित्रकला की समृद्ध परंपरा में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया।
Page Contents
मारवाड़ चित्रशैली का ऐतिहासिक विकास
काल/शासक
प्रमुख योगदान/घटना
वर्ष
ओधनिरयुक्तिवृति
मारवाड़ का प्रथम चित्रित अवशेष (अपभ्रंश शैली)
1060 ई.
राव मालदेव
स्वतंत्र अस्तित्व की शुरुआत, प्रारंभिक जोधपुर शैली
1532-1562
महाराजा सूर सिंह
ढोला-मारू, भागवत, रसिकप्रिय ग्रंथों का चित्रण
1595-1619
कुँवर संग्राम सिंह
रागमाला चित्रण (पाली), शैली की प्रथम उपलब्धि
1623 ई.
महाराजा जसवंत सिंह प्रथम
कृष्ण भक्ति केंद्र, प्रमुख ग्रंथ चित्रित
1638-1678
महाराजा अजीत सिंह
शैली का स्वतंत्र रूप, सुंदरतम चित्र, श्रंगार प्रधान
1707-1724
महाराजा मानसिंह
चरमोत्कर्ष, दरबारी, व्यक्ति चित्र, ऐतिहासिक दृश्य
1803-1843
राजा भीम सिंह
दशहरा दरबार, व्यक्ति चित्र, जुलूस चित्र
1793-1803
मारवाड़ चित्रशैली का प्रारंभिक विकास मेवाड़ शैली के प्रभाव में हुआ, लेकिन समय के साथ इसने स्वतंत्र पहचान बनाई। मुगल चित्रशैली का भी इस पर गहरा प्रभाव पड़ा, जिससे चित्रों में सूक्ष्मता, बारीकी और रंगों की विविधता आई ।
भाषा और लिपि: चित्रों के शीर्षक नागरी लिपि व गुजराती/राजस्थानी भाषा में।
मुगल प्रभाव: बारीक चित्रण, सूक्ष्मता, दरबारी दृश्य ।
हाशिए: पीले रंग का हाशिया, चित्रों में हस्ताक्षर/तिथि अंकित।
विषय विविधता: प्रेम, वीरता, धार्मिकता, लोककथाएँ, उत्सव।
महिला चित्रण: स्त्रियों को पारंपरिक परिधान, गहनों के साथ दर्शाया गया।
प्रमुख चित्रकार और कृतियाँ
चित्रकार
प्रमुख कृति/योगदान
काल/शासक
डालचंद
अभयसिंह का नृत्य, सुंदरतम दरबारी चित्र
अजीत सिंह
शिवदास
स्त्री को हुक्का पीते हुए, विविध दरबारी चित्र
मानसिंह
हसन, अलीरज्जा, रामलाल
दरबारी चित्र, ऐतिहासिक दृश्य
अनूप सिंह
मुन्नालाल, मस्तलाल
व्यक्ति चित्र, उत्सव, त्योहार
मानसिंह
मथैरण परिवार
जैन ग्रंथ, धर्मग्रंथ, तीज-त्योहार चित्रण
विभिन्न
मारवाड़ चित्रशैली के प्रमुख ग्रंथ और चित्र
ग्रंथ/कृति
चित्रण/विशेषता
काल/स्थान
रागमाला (पाली)
कुँवर संग्राम सिंह काल, प्रथम उपलब्धि
1623, पाली
ढोला-मारू
सूर सिंह, गज सिंह काल, प्रेमाख्यान
1595-1638
भागवत पुराण
रायसिंह काल, धार्मिक चित्रण
प्रारंभिक काल
दशहरा दरबार
भीम सिंह काल, दरबारी जीवन
1793-1803
अभयसिंह का नृत्य
डालचंद द्वारा, सुंदरतम चित्र
अजीत सिंह काल
प्रहलाद चरित्र
जसवंत सिंह काल, धार्मिक विषय
1638-1678
रंग, सामग्री और तकनीक
सामग्री/रंग
स्रोत/प्रयोग
लाल
गेरू, सिंदूर
पीला
हल्दी, पीली मिट्टी
हरा
पत्तियाँ, हरा पत्थर
नीला
नील, लैपिस लाजुली
काला
कालिख, कोयला
कागज, कपड़ा
चित्रण के माध्यम
सोना-चाँदी
विशेष चित्रों में
मुगल और अन्य शैलियों का प्रभाव
मारवाड़ शैली पर प्रारंभ में मेवाड़ शैली का प्रभाव था, लेकिन राव मालदेव के समय से इसने स्वतंत्र पहचान बनाई। मुगल शैली के प्रभाव से चित्रों में दरबारी दृश्य, बारीक चित्रण, सूक्ष्मता और रंगों की विविधता आई। चित्रों में मुगल दरबार, शाही जीवन, उत्सव, शिकार आदि विषयों का समावेश हुआ ।
प्राकृतिक और सामाजिक चित्रण
मरुस्थलीय जीवन, ऊँट, घोड़े, हिरन, श्वान का चित्रण।
ग्रामीण जीवन, उत्सव, तीज-त्योहार, संगीत, नृत्य।
पुरुषों में ऊँची पगड़ी, दाढ़ी-मूंछ, स्त्रियों में पारंपरिक वस्त्र।
बादल, विद्युत रेखाएँ, मरुस्थलीय टीले, झाड़ आदि का सुंदर चित्रण।
महत्वपूर्ण तथ्य (Quick Facts) – परीक्षा दृष्टि से
बिंदु
विवरण
प्रारंभिक चित्रण
ओधनिरयुक्तिवृति (1060 ई.)
स्वतंत्र पहचान
राव मालदेव काल
प्रमुख ग्रंथ
रागमाला, ढोला-मारू, भागवत पुराण
प्रमुख चित्रकार
डालचंद, शिवदास, हसन, अलीरज्जा
रंगों की प्रधानता
लाल, पीला, हरा, नीला
हाशिए रंग
पीला
प्रमुख विषय
वीरता, प्रेम, दरबार, लोककथाएँ
संरक्षण और वर्तमान स्थिति
जोधपुर, नागौर, पाली, जैसलमेर के किलों, महलों, हवेलियों में चित्र संरक्षित।
संग्रहालयों और निजी संग्रह में भी मारवाड़ चित्रकला के उत्कृष्ट उदाहरण।
आधुनिक कलाकार पारंपरिक शैली को नवाचार के साथ अपना रहे हैं।
राज्य सरकार और निजी संस्थाएँ संरक्षण के लिए प्रयासरत हैं।
मारवाड़ चित्रशैली ने राजस्थान ही नहीं, बल्कि सम्पूर्ण भारतीय चित्रकला को वीरता, प्रेम, लोकजीवन और राजसी ठाट की अद्वितीय अभिव्यक्ति दी। लाल-पीले रंगों, दरबारी दृश्यों, मरुस्थलीय प्रकृति और लोककथाओं के सुंदर चित्रण के कारण यह शैली आज भी कला प्रेमियों के लिए आकर्षण का केंद्र है। संरक्षण और नवाचार के साथ यह परंपरा आने वाली पीढ़ियों के लिए भी प्रेरणा स्रोत बनी रहेगी। यह अध्ययन नोट्स प्रतियोगी परीक्षाओं, स्कूल/कॉलेज प्रोजेक्ट्स एवं सामान्य अध्ययन के लिए उपयुक्त है।