नागौर जिला: इतिहास, भूगोल, तेजाजी

By RR Classes

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नागौर जिला राजस्थान के उत्तर-पश्चिमी भाग में स्थित है और यह राज्य का पाँचवाँ सबसे बड़ा जिला है । ऐतिहासिक दृष्टि से यह क्षेत्र महाभारत काल से जुड़ा है, वहीं भौगोलिक रूप से यह थार मरुस्थल के किनारे, समतल मैदान, बालू के टीले और पहाड़ियों का अनूठा मिश्रण प्रस्तुत करता है। नागौर अपनी धार्मिक, सांस्कृतिक, खनिज और लोक परंपराओं के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ के मंदिर, खनिज संसाधन और लोकदेवता तेजाजी की महिमा इसे अलग पहचान देते हैं।


इतिहास

प्राचीन काल

  • नागौर का उल्लेख महाभारत में मिलता है। कहा जाता है कि अर्जुन ने इसे जीतकर अपने गुरु द्रोणाचार्य को दान में दिया था
  • प्राचीन नाम अहीछत्रपुर या अहीछत्रगढ़ (नागों का किला) था, जिसकी स्थापना नाग क्षत्रियों ने की थी ।
  • बाद में यह क्षेत्र जांगलदेश की राजधानी बना, जो सरस्वती नदी के किनारे बसा था।

मध्यकालीन इतिहास

  • 7वीं सदी से चौहान वंश का प्रभुत्व रहा।
  • 12वीं-13वीं शताब्दी में यह क्षेत्र मुस्लिम आक्रमणों का केंद्र बना, कई बार सत्ता परिवर्तन हुआ।
  • 14वीं-15वीं सदी में राठौड़ों ने नागौर पर अधिकार किया और यह जोधपुर राज्य का हिस्सा बना ।
  • मुगल काल में नागौर का किला कई बार युद्धों का केंद्र रहा और यहाँ राजपूत-मुगल संस्कृति का सुंदर समन्वय देखने को मिलता है।

आधुनिक काल

  • ब्रिटिश काल में नागौर जोधपुर रियासत का हिस्सा रहा।
  • स्वतंत्रता के बाद यह राजस्थान राज्य का एक जिला बना ।
  • पंचायती राज व्यवस्था की शुरुआत भी नागौर में 1959 में हुई थी ।

भूगोल

विषयविवरण
क्षेत्रफल17,718 वर्ग किमी (राजस्थान में पाँचवाँ स्थान)
अक्षांश-देशांश26°25′ से 27°40′ उत्तर, 73°.10′ से 75°.15′ पूर्व
सीमाउत्तर में चूरू, उत्तर-पश्चिम में बीकानेर, पूर्व में सीकर व जयपुर, दक्षिण-पूर्व में अजमेर, दक्षिण में पाली, पश्चिम में जोधपुर
भौगोलिक स्वरूपसमतल मैदान, बालू के टीले, पहाड़ियाँ, मरुस्थलीय क्षेत्र
प्रमुख नदीलूणी नदी (अल्पकालिक, मानसून में जल प्रवाह)
प्रमुख झीलसांभर झील (राजस्थान की सबसे बड़ी, दक्षिण-पश्चिमी सीमा पर)
जलवायुशुष्क, गर्मी में तीव्र तापमान, सर्दियों में ठंड, औसत वर्षा 36.16 सेमी, आर्द्रता 51.5%

जलवायु और प्राकृतिक विशेषताएँ

  • गर्मियों में तापमान 45°C से ऊपर चला जाता है, सर्दियों में न्यूनतम 0°C तक गिर सकता है ।
  • बालू के टीले, मरुस्थलीय वनस्पति, काँटेदार झाड़ियाँ प्रमुख हैं।
  • लूणी नदी जिले की एकमात्र नदी है, जो मानसून में ही बहती है ।

जनसंख्या, प्रशासन एवं प्रमुख नगर

विषयविवरण
कुल गाँव1596
प्रमुख नगरनागौर, मेड़ता, डीडवाना, मकराना, परबतसर, कुचामन
कुल आबादी (2001)27,75,058 (22,97,721 ग्रामीण, 4,77,337 शहरी)
जनसंख्या घनत्व157 प्रति वर्ग किमी
साक्षरता58.26% (75.33% पुरुष, 40.45% महिलाएँ)

नागौर जिले के प्रमुख मेले और मंदिर

  1. नागौर पशु मेला
    • स्थान: मानसर गाँव, नागौर शहर से लगभग 5 किमी दूर
    • समय: माघ शुक्ल पक्ष (जनवरी-फरवरी)
    • विशेषताएँ:
      • भारत का दूसरा सबसे बड़ा पशु मेला
      • नागौरी नस्ल के बैल, ऊँट, घोड़े, गाय, भैंस आदि की खरीद-फरोख्त
      • पशुपालकों के लिए व्यापार का बड़ा केंद्र
      • पगड़ी बांधने, ऊँट नृत्य, घोड़े की सजावट जैसी प्रतियोगिताएँ
      • लोक सांस्कृतिक कार्यक्रम, हस्तशिल्प और अस्थायी बाजार
      • लाखों की संख्या में देश-विदेश से व्यापारी और पर्यटक आते हैं
  2. परबतसर तेजाजी मेला
    • स्थान: परबतसर कस्बा
    • समय: रक्षा बंधन के बाद 15 दिन
    • विशेषताएँ:
      • लोकदेवता वीर तेजाजी की स्मृति में आयोजित
      • किसान और पशुपालकों के लिए विशेष महत्व
      • तेजाजी मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना
      • पशुओं की खरीद-फरोख्त और सांस्कृतिक आयोजन
  3. शीतला माता मेला
    • स्थान: शीतला माता मंदिर, नागौर शहर
    • समय: चैत्र कृष्ण अष्टमी (मार्च-अप्रैल)
    • विशेषताएँ:
      • शीतला माता की पूजा के लिए प्रसिद्ध
      • महिलाएँ और परिवार माता के दर्शन के लिए आते हैं
      • मेले में झूले, खाने-पीने के स्टॉल और सांस्कृतिक गतिविधियाँ
  4. हरीराम बाबा मेला
    • स्थान: झोरड़ा गाँव
    • समय: भादवा शुक्ल चतुर्थी-पंचमी (अगस्त-सितंबर)
    • विशेषताएँ:
      • लोकदेवता बाबा हरीराम की आस्था में आयोजित
      • भक्तजन दूर-दूर से आते हैं
      • भजन-कीर्तन, भंडारा और धार्मिक आयोजन
  5. बलदेव पशु मेला (मेड़ता)
    • स्थान: मेड़ता सिटी
    • समय: वैशाख शुक्ल प्रतिपदा से सप्तमी (अप्रैल-मई)
    • विशेषताएँ:
      • राज्य स्तरीय पशु मेला
      • पशुपालकों के लिए व्यापार का बड़ा अवसर
      • सांस्कृतिक कार्यक्रम और प्रतियोगिताएँ
  6. श्री बाला जी मंदिर (हनुमान जी)
    • स्थान: नागौर शहर
    • विशेषताएँ:
      • भगवान हनुमान जी को समर्पित प्राचीन मंदिर
      • मंगलवार और शनिवार को विशेष भीड़
      • श्रद्धालु नारियल चढ़ाकर मनोकामना पूर्ति की प्रार्थना करते हैं
      • मंदिर परिसर में भजन-कीर्तन और सुंदरकांड पाठ का आयोजन
  7. नागणेचिया माता मंदिर
    • स्थान: नागौर शहर के समीप
    • विशेषताएँ:
      • राठौड़ वंश की कुलदेवी नागणेचिया माता का मंदिर
      • नवरात्रि और वार्षिक उत्सव में विशेष आयोजन
      • दूर-दूर से श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं
  8. वीर तेजाजी महाराज मंदिर
    • स्थान: परबतसर, नागौर
    • विशेषताएँ:
      • लोकदेवता वीर तेजाजी को समर्पित
      • किसानों और पशुपालकों के रक्षक माने जाते हैं
      • तेजा दशमी पर विशेष मेले और पूजा
  9. लड्डूनाथ महादेव मंदिर
    • स्थान: नागौर शहर
    • विशेषताएँ:
      • प्राचीन शिव मंदिर
      • महाशिवरात्रि पर भव्य आयोजन
      • श्रावण मास में विशेष पूजा
  10. मीरा बाई मंदिर (मेड़ता)
    • स्थान: मेड़ता सिटी
    • विशेषताएँ:
      • संत मीरा बाई और भगवान चारभुजा नाथ को समर्पित
      • भक्ति आंदोलन का प्रमुख केंद्र
      • मीरा बाई के जीवन से जुड़े कई ऐतिहासिक स्थल
      • वार्षिक भक्ति संगीत समारोह और कीर्तन
  11. नागणेचिया माता मंदिर
    • स्थान: नागौर शहर के समीप
    • विशेषताएँ:
      • राठौड़ वंश की कुलदेवी नागणेचिया माता का मंदिर
      • नवरात्रि और वार्षिक उत्सव में विशेष आयोजन
      • दूर-दूर से श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं
  12. वीर तेजाजी महाराज मंदिर
    • स्थान: परबतसर, नागौर
    • विशेषताएँ:
      • लोकदेवता वीर तेजाजी को समर्पित
      • किसानों और पशुपालकों के रक्षक माने जाते हैं
      • तेजा दशमी पर विशेष मेले और पूजा
  13. लड्डूनाथ महादेव मंदिर
    • स्थान: नागौर शहर
    • विशेषताएँ:
      • प्राचीन शिव मंदिर
      • महाशिवरात्रि पर भव्य आयोजन
      • श्रावण मास में विशेष पूजा
  14. मीरा बाई मंदिर (मेड़ता)
    • स्थान: मेड़ता सिटी
    • विशेषताएँ:
      • संत मीरा बाई और भगवान चारभुजा नाथ को समर्पित
      • भक्ति आंदोलन का प्रमुख केंद्र
      • मीरा बाई के जीवन से जुड़े कई ऐतिहासिक स्थल
      • वार्षिक भक्ति संगीत समारोह और कीर्तन

खनिज संपदा

खनिजक्षेत्र/उपलब्धताविशेषता
चूना पत्थर (Limestone)मकराना, डीडवाना, परबतसरमकराना का संगमरमर विश्व प्रसिद्ध, ताजमहल में उपयोग
नमक (Salt)सांभर झील, डीडवाना, कुचामनसांभर झील भारत की सबसे बड़ी खारी झील
जिप्समनागौर, मेड़ता, परबतसरसीमेंट, खाद्य उद्योग में उपयोग
मार्बलमकरानासफेद संगमरमर, निर्यात में अग्रणी
अन्यबालू, पत्थर, खनिज तेल, फेल्स्पारनिर्माण व औद्योगिक उपयोग
  • नागौर जिला खनिज संपदा के मामले में राजस्थान के सबसे समृद्ध जिलों में है।
  • मकराना का सफेद संगमरमर विश्व प्रसिद्ध है और ताजमहल सहित कई ऐतिहासिक इमारतों में इसका उपयोग हुआ है ।

लोकदेवता तेजाजी

  • तेजाजी राजस्थान के प्रमुख लोकदेवता हैं, जिनकी जन्मस्थली नागौर जिले का खड़नाल गाँव है।
  • तेजाजी वीरता, सत्य, न्याय और लोक कल्याण के प्रतीक माने जाते हैं।
  • उन्हें साँपों के देवता भी कहा जाता है; उनकी पूजा विशेष रूप से नागपंचमी पर होती है।
  • तेजाजी के मंदिर नागौर सहित पूरे राजस्थान में फैले हैं, विशेषकर खड़नाल और सुरपाल गाँव में।
  • तेजाजी की कथा में उनका बलिदान, धर्म के प्रति निष्ठा और समाज सेवा की प्रेरणा मिलती है।

पर्यटन और सांस्कृतिक विरासत

  • नागौर किला (अहीछत्रगढ़): 4वीं सदी में नाग क्षत्रियों द्वारा निर्मित, बाद में राजपूत और मुगल शैली में विस्तार ।
  • रामदेव पशु मेला: फरवरी में आयोजित, भारत के सबसे बड़े पशु मेलों में से एक ।
  • लाल मिर्च बाजार: नागौर का लाल मिर्च व्यापार देशभर में प्रसिद्ध है
  • सांस्कृतिक उत्सव: तीज, गणगौर, होली, दीपावली, तेजा दशमी आदि त्योहार यहाँ धूमधाम से मनाए जाते हैं।

भाषा, संस्कृति और जीवनशैली

  • नागौर जिले में राजस्थानी (मारवाड़ी), हिंदी और अंग्रेज़ी बोली जाती है ।
  • यहाँ की संस्कृति में राजपूत, मुस्लिम, जैन और लोक परंपराओं का सुंदर समन्वय दिखता है।
  • लोक नृत्य, लोकगीत, कठपुतली, लोककथाएँ यहाँ के जनजीवन का अभिन्न अंग हैं।
  • पारंपरिक वेशभूषा, भोजन और मेले-त्योहार नागौर की पहचान हैं।

नागौर जिले की प्रशासनिक संरचना

तहसीलेंप्रमुख नगर
नागौर, मेड़ता, डीडवाना, मकराना, परबतसर, कुचामन, लाडनूं, जयल, नावां, डीडवाना, रोल, खींवसर, डेगानानागौर, मेड़ता, डीडवाना, मकराना, परबतसर, कुचामन

नागौर जिले के प्रमुख आकर्षण (संक्षिप्त सारणी)

आकर्षणविशेषता/महत्व
नागौर किलाऐतिहासिक, स्थापत्य, संग्रहालय
दधिमती माता मंदिरप्राचीन, सांस्कृतिक, धार्मिक
ग्लास जैन मंदिरभव्य, रंगीन काँच, जैन तीर्थ
मकराना संगमरमरविश्व प्रसिद्ध, ताजमहल में उपयोग
रामदेव पशु मेलाभारत का प्रमुख पशु मेला
तेजाजी मंदिरलोक आस्था, वीरता के प्रतीक

नागौर जिला राजस्थान के हृदयस्थल में स्थित एक ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और खनिज दृष्टि से समृद्ध क्षेत्र है। यहाँ की प्राचीन विरासत, प्राकृतिक विविधता, धार्मिक स्थल, खनिज संपदा और लोक परंपराएँ इसे विशिष्ट बनाती हैं। नागौर का किला, दधिमती माता मंदिर, मकराना संगमरमर, रामदेव पशु मेला, तेजाजी की लोकगाथा और यहाँ की विविध संस्कृति इसे राजस्थान के प्रमुख जिलों में स्थान दिलाती है। नागौर आज भी अपनी परंपरा, संस्कृति और विकास के साथ आगे बढ़ रहा है।


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