पाली जिला: भौगोलिक, ऐतिहासिक, सांस्कृतिक व खनिज विशेषताएँ

By RR Classes

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पाली जिला राजस्थान का एक ऐतिहासिक, सांस्कृतिक व भौगोलिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण क्षेत्र है। यह अध्ययन नोट्स प्रतियोगी परीक्षाओं, स्कूल/कॉलेज छात्रों और सामान्य ज्ञान के लिए अत्यंत उपयोगी हैं। यहाँ पाली जिले की स्थिति, इतिहास, प्राकृतिक संसाधन, प्रमुख मेले-त्योहार, जनसंख्या, भूगोल आदि का विस्तार से अध्ययन किया गया है।

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पाली का भौगोलिक परिचय

पाली जिला 24°45′ से 26°29′ उत्तरी अक्षांश और 72°47′ से 74°18′ पूर्वी देशांतर के बीच स्थित है। यह राजस्थान के आठ जिलों-सिरोही, जालौर, बाड़मेर, राजसमंद, उदयपुर, नागौर, जोधपुर और अजमेर-से घिरा हुआ है। जिले का कुल क्षेत्रफल 12,387 वर्ग किमी है, जिसमें 10 तहसीलें आती हैं: सोजत, मारवाड़ जंक्शन, जैतारण, रायपुर, सुमेरपुर, बाली, पाली, रोहट, देसूरी और रानी


प्रमुख मंदिर

1. रणकपुर जैन मंदिर

  • स्थान: रणकपुर, पाली जिला, राजस्थान
  • काल: 15वीं सदी
  • समर्पित: आदिनाथ (जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर)
  • विशेषता: 1444 स्तंभों वाला भव्य मंदिर, सफेद संगमरमर से निर्मित, चार मुख वाला आदिनाथ की मूर्ति, 80 गुंबद, 400 स्तंभ, जटिल नक्काशी। यह जैन धर्म के पांच प्रमुख तीर्थस्थलों में से एक है और वास्तुकला का अद्भुत नमूना माना जाता है .

2. ॐ आकृति शिव मंदिर (ओम मंदिर)

  • स्थान: जाडन, पाली जिला
  • विशेषता: विश्व का पहला ॐ आकार का शिव मंदिर, 108 कक्ष, 2000 स्तंभ, 12 ज्योतिर्लिंग, विशाल नंदी प्रतिमा, योग और सनातन संस्कृति का केंद्र। यह मंदिर वास्तुकला और आध्यात्मिकता का अनूठा संगम है।

3. ओम बन्ना मंदिर (बुलेट बाबा मंदिर)

  • स्थान: चोटिला गांव, पाली जिला, जोधपुर-पाली हाईवे के पास
  • पौराणिक कथा: 1988 में ओम सिंह राठौड़ की सड़क दुर्घटना में मृत्यु हुई। उनकी रॉयल एनफील्ड बुलेट मोटरसाइकिल पुलिस थाने से बार-बार दुर्घटना स्थल पर लौटती रही। इसे चमत्कार माना गया और मोटरसाइकिल की पूजा शुरू हुई।
  • विशेषता: दुनिया का अनोखा बुलेट बाइक मंदिर, जहां मोटरसाइकिल को देवता के रूप में पूजा जाता है। श्रद्धालु सुरक्षित यात्रा के लिए यहां आते हैं .

4. फालना स्वर्ण मंदिर (पार्श्वनाथ जैन मंदिर)

पाली जिले में स्वर्ण मंदिर का उल्लेख फालना क्षेत्र में पार्श्वनाथ जैन मंदिर के रूप में मिलता है, जो अपनी स्वर्ण शिखर और भव्यता के लिए प्रसिद्ध है। इसे “गेटवे ऑफ गोडवाड” भी कहा जाता है और यह जैन धर्म के प्रमुख तीर्थस्थलों में से एक है।

ये मंदिर न केवल धार्मिक आस्था के केंद्र हैं, बल्कि पाली जिले की सांस्कृतिक, ऐतिहासिक और वास्तुकला की समृद्ध विरासत को भी दर्शाते हैं।


पाली का ऐतिहासिक महत्व

  • पाली का इतिहास प्रागैतिहासिक काल से जुड़ा है। भूवैज्ञानिकों के अनुसार यह क्षेत्र कभी विशाल पश्चिमी समुद्र का हिस्सा था।
  • वैदिक काल में महर्षि जावालि ने यहाँ वेदों का अध्ययन व ध्यान किया।
  • महाभारत काल में पांडवों ने अपने वनवास के दौरान इस क्षेत्र (बाली के पास) में विश्राम किया था।
  • कुषाण काल (120 ई.) में राजा कनिष्क ने रोहट व जैतारण (वर्तमान पाली) पर अधिकार किया।
  • चौहान वंश की राजधानी नाडोल थी। राजपूत शासकों ने विदेशी आक्रमणकारियों का सामना किया, लेकिन आपसी संघर्ष भी हुए।
  • महाराणा कुम्भा के समय गोड़वाड़ क्षेत्र मेवाड़ राज्य के अधीन हुआ, जबकि पाली शहर ब्राह्मण शासकों के अधीन शांतिपूर्ण रहा।
  • 16वीं-17वीं सदी में यहाँ कई युद्ध हुए। शेरशाह सूरी की हार, महाराणा प्रताप और अकबर के बीच युद्ध, वीर दुर्गादास राठौड़ का संघर्ष प्रमुख हैं।
  • ब्रिटिश काल में 1857 की क्रांति के दौरान आऊवा के ठाकुर के नेतृत्व में पाली के ठाकुरों ने अंग्रेजों से संघर्ष किया।

प्रशासनिक संरचना

तहसील का नामप्रमुख नगर/गाँव
सोजतसोजत
मारवाड़ जंक्शनमारवाड़ जंक्शन
जैतारणजैतारण
रायपुररायपुर
सुमेरपुरसुमेरपुर
बालीबाली
पालीपाली ( District office )
रोहटरोहट
देसूरीदेसूरी
रानीरानी

पाली के प्रमुख मेले और त्योहार

पाली जिला अपने रंग-बिरंगे मेलों और त्योहारों के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ दशहरा, दिवाली, होली, गणेश चतुर्थी, जन्माष्टमी, महावीर जयंती, महाशिवरात्रि आदि धूमधाम से मनाए जाते हैं।

1. रणकपुर महोत्सव

  • स्थान: रणकपुर
  • समय: हर वर्ष 21-22 दिसंबर
  • मुख्य आकर्षण: योग, प्रकृति सैर, रणकपुर जैन मंदिर दर्शन, हॉट एयर बैलून राइड, सांस्कृतिक कार्यक्रम, लोक-शास्त्रीय प्रस्तुतियाँ, सूर्य मंदिर में ओपन एयर कार्यक्रम।
  • विशेषता: स्थानीय संस्कृति, विरासत और पर्यटन का अद्भुत संगम, देश-विदेश से पर्यटकों की भागीदारी।

2. मारवाड़ हस्तशिल्प उत्सव

  • स्थान: रामलीला मैदान, पाली
  • समय: 22 जनवरी से 9 फरवरी 2025
  • मुख्य आकर्षण: मारवाड़ की पारंपरिक हस्तशिल्प वस्तुएँ, सांस्कृतिक कार्यक्रम, स्थानीय कलाकारों की प्रस्तुतियाँ, निशुल्क प्रवेश ।

3. परशुराम महादेव मेला

  • स्थान: सादड़ी
  • समय: श्रावण शुक्ला सप्तमी
  • मुख्य आकर्षण: परशुराम महादेव मंदिर में विशाल मेला, धार्मिक अनुष्ठान, श्रद्धालुओं की भीड़ |

4. वरकाणा का मेला

  • स्थान: वरकाणा
  • समय: वार्षिक
  • मुख्य आकर्षण: धार्मिक अनुष्ठान, सांस्कृतिक गतिविधियाँ, ग्रामीण मेल-मिलाप ।

5. पाली महोत्सव

  • स्थान: ग्राम पंचायत केराझरिया (पाली क्षेत्र, छत्तीसगढ़)
  • समय: महाशिवरात्रि के अवसर पर (26-27 फरवरी 2025)
  • मुख्य आकर्षण: स्थानीय कला, संस्कृति, धार्मिक आयोजन, क्षेत्रीय कलाकारों का मंच ।
    नोट: यह मेला छत्तीसगढ़ के पाली क्षेत्र में भी प्रसिद्ध है, नाम में समानता है।

6. गणगौर उत्सव

  • स्थान: पाली सहित राजस्थान के अन्य हिस्से
  • समय: चैत्र शुक्ल तृतीया
  • मुख्य आकर्षण: महिलाओं द्वारा गणगौर माता की पूजा, पारंपरिक गीत, झांकियाँ ।

7. दीपावली

  • स्थान: समूचा पाली जिला
  • समय: कार्तिक अमावस्या
  • मुख्य आकर्षण: दीप प्रज्वलन, पूजा, सांस्कृतिक कार्यक्रम, बाजारों में रौनक ।

8. होली

  • स्थान: पाली शहर व ग्रामीण क्षेत्र
  • समय: फाल्गुन पूर्णिमा
  • मुख्य आकर्षण: रंगों की होली, होलिका दहन, लोकगीत, नृत्य ।

9. दशहरा मेला

  • स्थान: पाली
  • समय: आश्विन शुक्ल दशमी
  • मुख्य आकर्षण: रावण दहन, झांकियाँ, मेले का आयोजन ।

10. नवरात्रा और दुर्गा पूजा

  • स्थान: पाली
  • समय: चैत्र व आश्विन नवरात्र
  • मुख्य आकर्षण: दुर्गा पूजा, गरबा-डांडिया, सांस्कृतिक आयोजन ।

पाली के मेलों-त्योहारों की विशेषताएँ

  • धार्मिक आस्था: अधिकांश मेले मंदिरों और धार्मिक स्थलों से जुड़े हैं।
  • सांस्कृतिक विविधता: लोकनृत्य, संगीत, हस्तशिल्प और पारंपरिक खेलों की प्रस्तुति।
  • पर्यटन को बढ़ावा: रणकपुर महोत्सव और मारवाड़ हस्तशिल्प उत्सव जैसे आयोजन देश-विदेश से पर्यटकों को आकर्षित करते हैं।
  • सामाजिक समरसता: मेलों में सभी समुदायों की भागीदारी, मेल-मिलाप और भाईचारे का संदेश।

पाली जिले के ये मेले-त्योहार न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक हैं, बल्कि क्षेत्र की सांस्कृतिक पहचान और सामाजिक एकता को भी मजबूत करते हैं।


पाली का भूगोल और जलवायु

  • जिले का आकार अनियमित त्रिकोण के समान है, जिसमें अरावली पर्वतमाला पूर्वी भाग में फैली है।
  • सबसे ऊँची चोटी 1,099 मीटर है।
  • कोई सदानीरा नदी नहीं है, लेकिन लूणी प्रमुख नदी है, जिसमें लीलड़ी, सुखड़ी, बांदी, जवाई जैसी सहायक नदियाँ मिलती हैं।
  • झील या प्राकृतिक झरना नहीं है, लेकिन सिंचाई के लिए कई बांध बनाए गए हैं-जैसे जवाई बांध, रायपुर लूणी, हेमावास, खारदा, बिराटिया खुर्द, वालार
  • जलवायु शुष्क है, गर्मियों में अत्यधिक गर्म व सर्दियों में ठंडी। औसत वार्षिक वर्षा लगभग 47 सेमी है।

पाली के प्रमुख प्राकृतिक स्थल

जवाई बांध

  • पाली जिले का सबसे बड़ा बांध है, जो सुमेरपुर तहसील में स्थित है।
  • इसकी क्षमता 6000 मिलियन क्यूबिक फीट है।
  • यह एक प्रमुख पर्यटन स्थल भी है।

टोडगढ़-रावली वन्यजीव अभयारण्य

  • यह अजमेर, पाली व राजसमंद जिलों में फैला है, कुल क्षेत्रफल 495 वर्ग किमी
  • यहाँ तेंदुआ, जंगली सूअर, चिंकारा, लंगूर, भालू, भारतीय भेड़िया आदि पाए जाते हैं।
  • प्राचीन शिव मंदिर और घने वृक्ष (करंज, इमली, बरगद) पर्यटकों को आकर्षित करते हैं।

पाली के खनिज और प्राकृतिक संसाधन

पाली जिला धात्विक और अधात्विक दोनों प्रकार के खनिजों से समृद्ध है। यहाँ एस्बेस्टस, चूना पत्थर, जिप्सम, मैग्नेसाइट, क्वार्ट्ज आदि पाए जाते हैं।

खनिज का नामप्रमुख स्थान/क्षेत्रविशेषता/उपयोग
कॉपर (तांबा)चितर, नया खेड़ासीमित मात्रा
लेड (सीसा)पुनगढ़, सांडड़ाछोटी मात्रा
निकेलरणकपुरआर्थिक दृष्टि से कम
टंगस्टनकरारावाव, कुरम, भीमाना, सिरावा, थंडीबेरी (बाली)शीलाइट स्कार्न
एस्बेस्टसढाल, माला का गुड़ा, सेंद्र, पतेरिया, छागरी का भागल, गोड़िया, धांबरली, कनोतिया, रामगढ़प्रमुख खनिज
सफेद मिट्टीलिटेरियाचूना पत्थर के ऊपर
फेल्सपार-क्वार्ट्जबेरंथिया खुर्द, भानुइरा, कल्याणपुरा, कालाकोट, रायरा (रायपुर), नाना (बाली), सीतापुरा (सोजत)गुलाबी रंग का फेल्सपार
कैल्साइटबारा गुड़ा, बूढ़ा लावा, काल्हाब, कपिल की बागल, पिपलन, नाना, खेमल, अलीपुर, खोरल, पाटन, ओयलपुररायपुर, जैतारण में
मैग्नेसाइटसरूपा-छाजा, गफा, ऐरबेरी (अजमेर-पाली सीमा), कोयलवाव, भीमाना, चारिया की भागल (बाली), भीरा (रायपुर)सीमित मात्रा
गैनेटदेवखेड़ी, करनपुर (रायपुर)पूर्व में उत्खनन
माइकाक्वार्ट्ज, फेल्सपार के साथ (कलटिया, खेमल आदि)सीमित मात्रा
साबुन पत्थरकनोतिया, मानपुरा (रायपुर)एस्बेस्टस के साथ
लाल गेरू/ऑक्साइडबोठा की ढाणी (रायपुर), जैतपुरा, श्यामगढ़सीमित मात्रा
वोलास्टोनाइटखेड़ा उपरला (उदयपुर), पाली, सिरोहीसीमित मात्रा
चूना पत्थरनाना, करारावाव, थंडीबेरी, रास, गुरिया-धूनीमाता-देोली-हुल्लन, थंडीबेरी-सियावा, मंडला-अटबारानिर्माण कार्य
मार्बलजादड़ी, सिंद्रू, दियाना, बांकलि, खिवांदी (सुमेरपुर), गुराह, कांतलिया (रायपुर)निर्माण व सजावट
बिल्डिंग स्टोनबार, गिरी, लावाचा (रायपुर)इमारत निर्माण
ग्रेनाइटखारड़ा की ढाणी, धर्मधारी-छोटीला, बाली-मनियारी, नाडोल-नरलाई, कोटसमरिया, बार-सांड्रा-झांकी चौकी, रामनिया, जवारिया, नत्रा-झाखोरा-राजोरानिर्माण कार्य

पाली की जनसंख्या एवं सामाजिक आँकड़े

आँकड़ाविवरण
कुल जनसंख्या (2011)20,38,533
जनसंख्या वृद्धि दर11.99% (2001-2011)
जनसंख्या घनत्व165 व्यक्ति/वर्ग किमी
लिंगानुपात987 महिलाएँ/1000 पुरुष
साक्षरता दर63.23%

पाली जिला अपने ऐतिहासिक, सांस्कृतिक, भौगोलिक व खनिज महत्व के कारण राजस्थान के प्रमुख जिलों में शामिल है। यहाँ की प्राकृतिक विविधता, समृद्ध सांस्कृतिक विरासत, प्रसिद्ध मेले-त्योहार, खनिज संसाधन और पर्यटन स्थल इसे विशिष्ट बनाते हैं। प्रतियोगी परीक्षाओं व सामान्य अध्ययन के लिए पाली जिले की यह विस्तृत जानकारी अत्यंत उपयोगी है।

नोट:
इस लेख में सभी महत्वपूर्ण शब्दों को बोल्ड और इटैलिक में दर्शाया गया है ताकि अध्ययन के समय मुख्य बिंदुओं पर विशेष ध्यान दिया जा सके।
तालिकाओं के माध्यम से प्रशासनिक, सांस्कृतिक, खनिज और जनसंख्या संबंधी आँकड़ों को स्पष्ट रूप से प्रस्तुत किया गया है।
यह अध्ययन नोट्स परीक्षार्थियों को पाली जिले के समग्र ज्ञान के लिए एक संपूर्ण और विश्वसनीय स्रोत प्रदान करता है।


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