बीकानेर जिला दर्शन (Bikaner Jila Darshan) : इतिहास, संस्कृति

By RR Classes

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बीकानेर, राजस्थान का एक महत्वपूर्ण जिला, अपनी अनूठी संस्कृति, ऐतिहासिक धरोहर और रेगिस्तानी परिदृश्य के लिए जाना जाता है। यह जिला न केवल अपने जूनागढ़ किले और लालगढ़ पैलेस जैसे स्मारकों के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि अपने ऊंट उत्सव और करणी माता मंदिर जैसे सांस्कृतिक आयोजनों के लिए भी जाना जाता है। इस लेख में, हम बीकानेर जिले के इतिहास, भूगोल, पर्यटन स्थलों और महत्वपूर्ण तथ्यों का विस्तृत अध्ययन करेंगे।

बीकानेर: एक परिचय

बीकानेर जिला, राजस्थान के उत्तर-पश्चिमी भाग में स्थित है। यह 27°11′ और 29°03′ उत्तरी अक्षांश तथा 71°54′ और 74°12′ पूर्वी देशांतर के बीच स्थित है। बीकानेर के उत्तर में श्रीगंगानगर, उत्तर-पूर्व में हनुमानगढ़, पूर्व में चुरू, दक्षिण-पूर्व में नागौर, दक्षिण में जोधपुर, दक्षिण-पश्चिम में जैसलमेर और पश्चिम में पाकिस्तान स्थित है।

क्षेत्रफल और प्रशासन: बीकानेर जिले का क्षेत्रफल 30,247 वर्ग किलोमीटर है और इसे 8 तहसीलों में विभाजित किया गया है: बीकानेर, खाजूवाला, कोलायत, लूणकरणसर, नोखा, पूगल, श्रीडूंगरगढ़ और छत्तरगढ़।

बीकानेर का इतिहास

बीकानेर का इतिहास महाभारत काल से जुड़ा हुआ है, जब यह क्षेत्र “जांगलदेश” के नाम से जाना जाता था। 15वीं शताब्दी में, राव बीका ने इस क्षेत्र में अपना राज्य स्थापित किया।

राव बीका और बीकानेर की स्थापना

राव बीका, राव जोधा के पुत्र थे और उन्होंने 1465 में बीकानेर राज्य की स्थापना की। उन्होंने स्थानीय जाट सरदारों के बीच आपसी प्रतिस्पर्धा का लाभ उठाकर अपने राज्य का विस्तार किया। जेम्स टॉड के अनुसार, राव बीका ने अपनी राजधानी के लिए जिस स्थान का चयन किया, वह नेहरा जाट का जन्मसिद्ध अधिकार था, जिसने इस शर्त पर सहमति व्यक्त की कि उसका नाम हमेशा के लिए इस समर्पण से जुड़ा रहेगा। इसलिए, बीका ने अपने नाम के साथ नायरा (नेहरा) का नाम जोड़ा, जिससे भविष्य की राजधानी का नाम बीकानेर पड़ा।

बीकानेर के शासक:

शासक का नामशासन कालमहत्वपूर्ण योगदान
राव बीका1465-1504बीकानेर राज्य के संस्थापक
राव लूणकरण1505-1526
राव जैत सिंह1526-1542राव मालदेव के नेतृत्व में मारवाड़ सेना से लड़ते हुए मारे गए
राव कल्याण सिंह1542-1571शेर शाह सूरी की मदद से राव मालदेव को हराया
राजा राय सिंह प्रथम1571-1611अकबर और राय सिंह दोनों ने जैसलमेर की राजकुमारी से विवाह किया
महाराजा गंगा सिंह1887-1943प्रथम विश्व युद्ध में भाग लिया, वर्साय की संधि पर हस्ताक्षर किए
महाराजा सादुल सिंह1943-19507 अगस्त 1947 को भारत के डोमिनियन में प्रवेश के दस्तावेज पर हस्ताक्षर किए

बीकानेर के ऐतिहासिक स्थल

बीकानेर में कई ऐतिहासिक स्थल हैं जो इसकी समृद्ध विरासत को दर्शाते हैं।

जूनागढ़ किला

जूनागढ़ किला, बीकानेर का सबसे प्रसिद्ध स्मारक है। इसका निर्माण 1588 ईस्वी में राजा राय सिंह ने करवाया था, जो मुगल सम्राट अकबर के प्रतिष्ठित सेनापतियों में से एक थे। यह किला मुगल, गुजराती और राजपूत वास्तुकला का मिश्रण है। किले के अंदर अनुप महल, चंद्र महल, हवा महल, डूंगर महल, दीवान-ए-खास और गंगा महल जैसे सुंदर महल हैं।

जूनागढ़ किले में एक प्राचीना संग्रहालय भी है, जिसमें राजस्थानी शाही परिवार के वस्त्र, वस्त्र और आभूषण प्रदर्शित हैं।

लालगढ़ पैलेस

लालगढ़ पैलेस का निर्माण महाराजा गंगा सिंह ने 1902 में अपने पिता महाराजा लाल सिंह जी की स्मृति में करवाया था। यह लाल बलुआ पत्थर से बना है और इसमें मुगल, राजपूत और यूरोपीय वास्तुकला का मिश्रण है। महल के पहले तल पर सादुल सिंह संग्रहालय है, जिसमें बीकानेर के तीन राजाओं – महाराजा गंगा सिंह, सादुल सिंह और करणी सिंह के जीवन और रुचियों को दर्शाया गया है।

गजनेर पैलेस

गजनेर पैलेस का निर्माण 1784 में महाराजा गज सिंह जी ने शुरू किया था और महाराजा गंगा सिंह ने इसे पूरा करवाया। यह महल शाही परिवार के लिए शिकार के बाद विश्राम स्थल के रूप में काम करता था। लाल बलुआ पत्थर से बना यह महल शानदार वास्तुकला का उदाहरण है।

बीकानेर के मेले और त्यौहार

बीकानेर में कई मेले और त्यौहार मनाए जाते हैं, जो इसकी सांस्कृतिक विविधता को दर्शाते हैं।

ऊंट उत्सव

ऊंट उत्सव, राजस्थान सरकार के पर्यटन विभाग द्वारा हर साल जनवरी में बीकानेर में आयोजित किया जाता है। यह उत्सव जूनागढ़ किले की पृष्ठभूमि में सजे हुए ऊंटों के रंगीन जुलूस के साथ शुरू होता है। ऊंट दौड़, सर्वश्रेष्ठ नस्ल प्रतियोगिता, ऊंट नृत्य और कलाबाजी जैसे कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।

करणी माता मेला

करणी माता मेला, देशनोक में साल में दो बार आयोजित किया जाता है। पहला मेला चैत्र नवरात्रि (मार्च-अप्रैल) में और दूसरा अश्विन नवरात्रि (सितंबर-अक्टूबर) में आयोजित किया जाता है। करणी माता को चारणों और बीकानेर के शासकों द्वारा देवी के रूप में पूजा जाता है।

बीकानेर के मेले और त्यौहार:

त्यौहार का नामआयोजन का समयमहत्व
ऊंट उत्सवजनवरीऊंटों का प्रदर्शन, दौड़ और सांस्कृतिक कार्यक्रम
करणी माता मेलामार्च-अप्रैल, सितंबर-अक्टूबरकरणी माता की पूजा
कपिल मुनि मेलाकार्तिक पूर्णिमा (नवंबर)कपिल मुनि की पूजा, पवित्र स्नान
गणगौर महोत्सवअप्रैलदेवी पार्वती की आराधना, रंगीन जुलूस

कपिल मुनि मेला

कपिल मुनि मेला, कोलायत में कार्तिक पूर्णिमा (नवंबर) के दौरान आयोजित किया जाता है। यहां कपिल मुनि का मंदिर है, जो सांख्य दर्शन के प्रतिपादक थे। इस दौरान एक पशु मेला भी आयोजित किया जाता है।

भौगोलिक स्थिति और विस्तार

  • बीकानेर जिला राजस्थान के उत्तर-पश्चिमी भाग में स्थित है।
  • अक्षांश: 27°11′ से 29°03′ उत्तर
  • देशांतर: 71°54′ से 74°12′ पूर्व
  • यह उत्तर में गंगानगर, पूर्व में चूरू, दक्षिण-पूर्व में नागौर और जोधपुर, पश्चिम में जैसलमेर और पाकिस्तान की सीमा से घिरा है।
  • कुल क्षेत्रफल: 30,382 वर्ग किमी (राज्य का दूसरा सबसे बड़ा जिला)।

प्रशासनिक व्यवस्था

उपखंड (Sub-division)तहसीलें (Tehsils)प्रमुख नगर/ग्राम पंचायतें
बीकानेरबीकानेर, कोलायतबीकानेर नगर निगम, देस्नोक
लूणकरणसरलूणकरणसरलूणकरणसर
नोखानोखानोखा
डूंगरगढ़डूंगरगढ़डूंगरगढ़
खाजूवालाखाजूवाला, पूगल, छतरगढ़खाजूवाला
कोलायतकोलायतकोलायत
अन्यबज्जू, जस्सरसार, हडानबज्जू, जस्सरसार
  • कुल उपखंड: 9
  • कुल तहसीलें: 11
  • कुल गाँव: 1,498
  • ग्राम पंचायतें: 290
  • नगर निकाय: 1 नगर निगम (बीकानेर), 6 नगर परिषद/परिषदें (देस्नोक, नोखा, डूंगरगढ़, खाजूवाला, लूणकरणसर, नपसार)।

जनसंख्या एवं सामाजिक संरचना

वर्षजनसंख्याजनसंख्या वृद्धि दर (%)घनत्व (प्रति वर्ग किमी)साक्षरता (%)लिंगानुपात (महिला/1000 पुरुष)
200119,02,1103.256357.54896
201123,63,9372.207865.10905
  • अनुसूचित जाति: 20.88%
  • अनुसूचित जनजाति: 0.33%
  • शहरी जनसंख्या: 33.86%
  • ग्रामीण जनसंख्या: 66.14%
  • मुख्य भाषाएँ: राजस्थानी (83.05%)मारवाड़ी (5.86%)हिंदी (6.82%)पंजाबी (1.27%)सिंधी (0.98%)

भौतिक संरचना एवं प्राकृतिक संसाधन

  • बीकानेर का अधिकांश भाग थार मरुस्थल में आता है, जहाँ रेतीले टिब्बे, मरुस्थलीय वनस्पति और शुष्क जलवायु पाई जाती है।
  • यहाँ का औसत वार्षिक वर्षा: 260 मिमी (बहुत कम)
  • तापमान: गर्मियों में 48°C तक, सर्दियों में 2°C तक गिर जाता है।
  • गंगा नहर (1927) के आने के बाद कृषि और हरियाली में वृद्धि हुई है
  • वन क्षेत्र: 0.92% (2021)
  • बंजर भूमि: 8,450.91 वर्ग किमी (2008-09)

भूमि उपयोग और कृषि

भूमि उपयोग श्रेणीक्षेत्रफल (हेक्टेयर)
कुल रिपोर्टेड क्षेत्र30,38,215
कृषि योग्य भूमि14,34,222
परती भूमि1,67,602
वन क्षेत्र82,500
गैर कृषि योग्य भूमि29,263
अन्य गैर कृषि क्षेत्र2,72,516
दोहरी फसल क्षेत्र1,80,627
  • मुख्य फसलें: बाजरा, ग्वार, मूँगफली, मोठ, चना, सरसों, गेहूँ
  • सिंचाई स्रोत: गंगा नहर, इंदिरा गांधी नहर, कुएँ, ट्यूबवेल।
  • कृषि में रोजगार: 59.02% जनसंख्या कृषि पर निर्भर।

तालिका: बीकानेर की प्रमुख फसलें (2003-08 औसत उत्पादन)

फसलउत्पादन (हजार टन)उत्पादकता (किग्रा/हेक्टेयर)
बाजरा98.8475
मूँगफली80.31771
ग्वार98.4255
मोठ76.4230
चना85.3680
सरसों47.11060
गेहूँ92.12042

जल संसाधन एवं सिंचाई

  • बीकानेर का अधिकांश भाग जल संकट से जूझता है।
  • गंगा नहर (1927) और इंदिरा गांधी नहर (1987) के कारण कृषि और पेयजल की स्थिति में सुधार हुआ है।
  • सिंचाई का मुख्य स्रोत: नहरें, कुएँ, ट्यूबवेल।
  • वर्षा जल संचयन एवं तालाबों का भी उपयोग होता है।

पर्यटन एवं संस्कृति

  • बीकानेर अपने किलों, हवेलियों, मंदिरों, और मेलों के लिए प्रसिद्ध है।
  • जूनागढ़ किलालालगढ़ पैलेसकरणी माता मंदिर (देस्नोक)गंगा सिंह संग्रहालयऊँट उत्सव प्रमुख आकर्षण हैं।
  • बीकानेर का ऊँट उत्सव और भुजिया देश-विदेश में प्रसिद्ध हैं।
  • यहाँ की लोककला, संगीत, नृत्य, चित्रकला (उत्स कला), और हस्तशिल्प की अपनी विशेष पहचान है।
  • बीकानेरी भुजियारसगुल्लापापड़नमकीन और ऊँट यहाँ के प्रमुख उत्पाद हैं।
  • हस्तशिल्प, ऊनी वस्त्र, कालीन, चमड़ा उद्योग, ऊँट उत्पाद, काँच उद्योग आदि भी प्रसिद्ध हैं।
  • बीकानेर ऊँट अनुसंधान केंद्र (National Research Centre on Camel) विश्व प्रसिद्ध है।
  • साक्षरता दर: 65.10% (पुरुष: 75.90%, महिला: 53.20%)।
  • बीकानेर में राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय, मेडिकल कॉलेज, इंजीनियरिंग कॉलेज, और कई उच्च शिक्षा संस्थान हैं।
  • स्वास्थ्य सुविधाओं में सरकारी/निजी अस्पताल, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, आयुर्वेदिक केंद्र आदि शामिल हैं।
  • ऊँट उत्सवकरणी माता मेला (देस्नोक)गोगा नवमी मेलागणगौरतीजदीपावलीहोली आदि यहाँ के प्रमुख पर्व हैं।
  • बीकानेर के लोकगीत, लोकनृत्य (गैर, घूमर), लोककथाएँ और लोकदेवता (करणी माता, गोगाजी, रामदेवजी) यहाँ की सांस्कृतिक पहचान हैं।
  • यहाँ की वेशभूषा, आभूषण, खानपान (भुजिया, रसगुल्ला, घेवर) भी प्रसिद्ध हैं।

भाषा, बोली एवं जनजातियाँ

  • राजस्थानी (मुख्यतः बीकानेरी उपबोली), मारवाड़ीहिंदीपंजाबीसिंधी
  • प्रमुख जातियाँ: जाट, राजपूत, ब्राह्मण, मेघवाल, मेघ, मीन, गुर्जर, आदि।
  • अनुसूचित जाति एवं जनजाति की महत्वपूर्ण भागीदारी।

प्राकृतिक आपदाएँ एवं समस्याएँ

  • सूखा – बीकानेर का सबसे बड़ा संकट, लगभग हर 2-3 वर्ष में सूखे की स्थिति।
  • जल संकट – भूजल स्तर लगातार गिर रहा है।
  • मरुस्थलीकरण – भूमि की उत्पादकता में कमी।
  • वन क्षेत्र – केवल 0.92%, जो पर्यावरणीय संतुलन के लिए चिंता का विषय है।
  • पलायन – रोजगार और जल संकट के कारण ग्रामीण पलायन।

विकास योजनाएँ एवं प्रशासनिक पहल

  • बीकानेर विकास प्राधिकरण (2024): शहरी और आसपास के क्षेत्रों के नियोजित विकास के लिए गठित।
  • जल संरक्षण, सिंचाई विस्तार, शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क, उद्योग, पर्यटन, महिला सशक्तिकरण आदि क्षेत्रों में विशेष योजनाएँ।
  • ग्राम पंचायतों के माध्यम से ग्रामीण विकास और जनकल्याणकारी योजनाओं का क्रियान्वयन।

भूगोल एवं मानचित्र आधारित तथ्य

  • बीकानेर जिले की सीमाएँ: उत्तर में गंगानगर, पश्चिम में पाकिस्तान, दक्षिण में जोधपुर-नागौर, पूर्व में चूरू।
  • जिले में 6 प्रमुख उपखंड, 11 तहसीलें, 1498 गाँव।
  • जिले का अधिकांश भाग रेतीला, कम वर्षा वाला, मरुस्थलीय।
  • गंगा नहर और इंदिरा गांधी नहर के कारण हरित पट्टी का विस्तार।

बीकानेर जिले के महत्वपूर्ण तथ्य (Quick Facts Table)

बिंदुविवरण
स्थापना1488 ई. (राव बीकाजी)
कुल क्षेत्रफल30,382 वर्ग किमी
जनसंख्या (2011)23,63,937
घनत्व78 व्यक्ति/वर्ग किमी
साक्षरता दर65.10%
प्रमुख फसलेंबाजरा, ग्वार, मूँगफली, मोठ, चना, गेहूँ
औसत वर्षा260 मिमी
प्रमुख नहरेंगंगा नहर, इंदिरा गांधी नहर
प्रमुख उद्योगभुजिया, ऊँट उत्पाद, हस्तशिल्प
प्रमुख पर्यटन स्थलजूनागढ़ किला, करणी माता मंदिर
प्रमुख मेलेऊँट उत्सव, करणी माता मेला, गोगा नवमी
नगर निकाय1 नगर निगम, 6 नगर परिषदें

बीकानेर जिला राजस्थान की सांस्कृतिक, ऐतिहासिक, भौगोलिक और आर्थिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है। यहाँ की मरुस्थलीय जलवायुसमृद्ध सांस्कृतिक विरासतकृषि आधारित अर्थव्यवस्थाविशिष्ट व्यंजनपर्यटन स्थल और प्रशासनिक व्यवस्था इसे राज्य के प्रमुख जिलों में स्थान दिलाती है।

परीक्षोपयोगी टिप्स:

ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और आर्थिक पहलुओं को रेखांकित करें।

बीकानेर की स्थापना, भौगोलिक स्थिति, प्रशासनिक ढांचा, जनसंख्या, कृषि, उद्योग, संस्कृति, पर्यटन, प्राकृतिक आपदाएँ और विकास योजनाओं से जुड़े तथ्य अवश्य याद रखें।

मानचित्र और आँकड़ों का अभ्यास करें।

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