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राजस्थान प्रदेश के प्रमुख प्रजामंडल

राजस्थान प्रदेश के प्रमुख प्रजामंडल

राजस्थान का स्वतंत्रता संग्राम केवल राजाओं, रियासतों और अंग्रेज़ों के बीच की राजनीति तक सीमित नहीं था। यहाँ की आम जनता, किसान, मजदूर, व्यापारी, शिक्षक, विद्यार्थी और बुद्धिजीवी भी स्वतंत्रता और लोकतंत्र के लिए संघर्षरत रहे। इस संघर्ष का सबसे महत्वपूर्ण और संगठित रूप था – प्रजामंडल आंदोलन
प्रजामंडल शब्द का अर्थ है – “जनता का संगठन”। राजस्थान की विभिन्न रियासतों में प्रजामंडल संगठनों की स्थापना 1930 के दशक में हुई, जिनका उद्देश्य जनता के अधिकारों की रक्षा, लोकतांत्रिक शासन की स्थापना और अंग्रेज़ी साम्राज्य तथा राजशाही के अन्यायपूर्ण शासन का विरोध करना था।


यह लेख राजस्थान के प्रमुख प्रजामंडलों का विस्तार से अध्ययन प्रस्तुत करता है, जो प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।

प्रजामंडल आंदोलन का ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

ब्रिटिश शासन और रियासतों की स्थिति

राष्ट्रीय आंदोलन का प्रभाव

प्रजामंडल आंदोलन के उद्देश्य

राजस्थान के प्रमुख प्रजामंडल

राजस्थान की लगभग सभी रियासतों में प्रजामंडल संगठनों की स्थापना हुई। नीचे तालिका में प्रमुख प्रजामंडलों का सारांश प्रस्तुत है:

क्रमप्रजामंडल का नामस्थापना वर्षप्रमुख संस्थापक / नेतामुख्य केंद्र
1मेवाड़ प्रजामंडल1938माणिक्यलाल वर्मा, भूपेन्द्रनाथ त्रिवेदीउदयपुर
2जयपुर प्रजामंडल1931हीरालाल शास्त्री, जमनालाल बजाजजयपुर
3बीकानेर प्रजामंडल1937हरीशंकर व्यास, मुरलीधर व्यासबीकानेर
4जोधपुर प्रजामंडल1938बालमुकुंद बिस्सा, रामेश्वर दत्त जोशीजोधपुर
5बूंदी प्रजामंडल1939रामेश्वर दत्त जोशी, हरिशंकर व्यासबूंदी
6कोटा प्रजामंडल1938नन्दलाल जोशी, बालमुकुंद बिस्साकोटा
7अलवर प्रजामंडल1938बद्रीलाल शर्मा, रामसिंहअलवर
8भरतपुर प्रजामंडल1939रामसिंह, बद्रीलाल शर्माभरतपुर
9सिरोही प्रजामंडल1939चन्द्रसिंह, हरिशंकर व्याससिरोही
10डूंगरपुर प्रजामंडल1945विजय सिंह पथिक, रामनारायण चौधरीडूंगरपुर
11झालावाड़ प्रजामंडल1939रामेश्वर दत्त जोशी, नन्दलाल जोशीझालावाड़
12टोंक प्रजामंडल1946हसन अली, अब्दुल गफ्फारटोंक

प्रमुख प्रजामंडलों का विस्तृत अध्ययन

1. मेवाड़ प्रजामंडल

स्थापना एवं पृष्ठभूमि

मुख्य गतिविधियाँ

महत्वपूर्ण आंदोलन

2. जयपुर प्रजामंडल

स्थापना एवं पृष्ठभूमि

मुख्य गतिविधियाँ

महत्वपूर्ण आंदोलन

3. बीकानेर प्रजामंडल

स्थापना एवं पृष्ठभूमि

  1. स्थापना वर्ष: 1937
  2. प्रमुख नेता: हरीशंकर व्यास, मुरलीधर व्यास
  3. मुख्य केंद्र: बीकानेर
  4. लक्ष्य: बीकानेर रियासत में लोकतांत्रिक शासन की स्थापना।

मुख्य गतिविधियाँ

महत्वपूर्ण आंदोलन

4. जोधपुर प्रजामंडल

स्थापना एवं पृष्ठभूमि

मुख्य गतिविधियाँ

महत्वपूर्ण आंदोलन

5. बूंदी प्रजामंडल

स्थापना एवं पृष्ठभूमि

मुख्य गतिविधियाँ

महत्वपूर्ण आंदोलन

6. कोटा प्रजामंडल

स्थापना एवं पृष्ठभूमि

मुख्य गतिविधियाँ

महत्वपूर्ण आंदोलन

अन्य प्रमुख प्रजामंडल

प्रजामंडलस्थापना वर्षप्रमुख नेतामुख्य केंद्रविशेषता/गतिविधि
अलवर प्रजामंडल1938बद्रीलाल शर्मा, रामसिंहअलवरकिसानों, मजदूरों के अधिकार, सुधार
भरतपुर प्रजामंडल1939रामसिंह, बद्रीलाल शर्माभरतपुरप्रेस स्वतंत्रता, लोकतांत्रिक सुधार
सिरोही प्रजामंडल1939चन्द्रसिंह, हरिशंकर व्याससिरोहीसामाजिक सुधार, शिक्षा
डूंगरपुर प्रजामंडल1945विजय सिंह पथिक, रामनारायण चौधरीडूंगरपुरआदिवासी अधिकार, शिक्षा, स्वास्थ्य
झालावाड़ प्रजामंडल1939रामेश्वर दत्त जोशी, नन्दलाल जोशीझालावाड़लोकतांत्रिक सुधार, जनजागरण
टोंक प्रजामंडल1946हसन अली, अब्दुल गफ्फारटोंकमुस्लिम समाज में जनजागरण

प्रजामंडल आंदोलन के प्रमुख नेता

नामयोगदान/भूमिकासंबंधित प्रजामंडल
माणिक्यलाल वर्मामेवाड़ प्रजामंडल के संस्थापक, स्वतंत्रता सेनानीमेवाड़
हीरालाल शास्त्रीजयपुर प्रजामंडल के संस्थापक, समाज सुधारकजयपुर
जमनालाल बजाजजयपुर, बीकानेर में जनजागरण, गांधीवादी नेताजयपुर, बीकानेर
बालमुकुंद बिस्साजोधपुर, कोटा में संगठनकर्ताजोधपुर, कोटा
रामेश्वर दत्त जोशीबूंदी, झालावाड़ में आंदोलन का नेतृत्वबूंदी, झालावाड़
हरीशंकर व्यासबीकानेर, बूंदी में प्रमुख भूमिकाबीकानेर, बूंदी
विजय सिंह पथिकडूंगरपुर में आदिवासी आंदोलन, स्वतंत्रता सेनानीडूंगरपुर
नन्दलाल जोशीकोटा, झालावाड़ में संगठनकर्ताकोटा, झालावाड़

प्रजामंडल आंदोलन की प्रमुख उपलब्धियाँ

प्रजामंडल आंदोलन के प्रमुख आंदोलन एवं घटनाएँ

वर्षआंदोलन/घटनासंबंधित प्रजामंडलप्रमुख विशेषता/परिणाम
1938मेवाड़ सत्याग्रहमेवाड़जनता का दमन, गिरफ्तारियाँ
1939जयपुर सत्याग्रहजयपुरप्रशासनिक सुधार की माँग, दमन
1942भारत छोड़ो आंदोलनसभीगिरफ्तारियाँ, दमन, आंदोलन तेज
1946प्रतिनिधि सभा की स्थापनाअधिकांश प्रजामंडललोकतांत्रिक शासन की शुरुआत
1947राजस्थान के एकीकरण में योगदानसभीएकीकरण प्रक्रिया में सहयोग

प्रजामंडल आंदोलन में महिलाओं की भूमिका

प्रजामंडल आंदोलन के प्रमुख पत्र-पत्रिकाएँ

पत्र/पत्रिकाप्रकाशन वर्षसंपादक/संस्थापकभूमिका/विशेषता
राजस्थान केसरी1934माणिक्यलाल वर्मामेवाड़ में जनजागरण, आंदोलन का प्रचार
नवजीवन1935हीरालाल शास्त्रीजयपुर में आंदोलन का प्रचार
प्रजामंडल पत्रिका1938विभिन्नसभी प्रजामंडलों की गतिविधियाँ
राजस्थान संदेश1940जमनालाल बजाजआंदोलन की जानकारी, जनजागरण

प्रजामंडल आंदोलन और किसान आंदोलन

प्रजामंडल आंदोलन और आदिवासी आंदोलन

प्रजामंडल आंदोलन और राजस्थान का एकीकरण

प्रजामंडल आंदोलन के प्रमुख दमन और संघर्ष

वर्षघटना/दमनसंबंधित प्रजामंडलपरिणाम/प्रभाव
1938मेवाड़ में दमन, गिरफ्तारियाँमेवाड़आंदोलन तेज, राष्ट्रीय समर्थन
1939जयपुर में दमन, गिरफ्तारियाँजयपुरआंदोलन का विस्तार
1942भारत छोड़ो आंदोलन में दमनसभीगिरफ्तारियाँ, आंदोलन तेज
1946नेताओं की गिरफ्तारीअधिकांशप्रतिनिधि सभा की स्थापना

प्रजामंडल आंदोलन की सीमाएँ और चुनौतियाँ

प्रजामंडल आंदोलन का ऐतिहासिक महत्व

प्रजामंडल आंदोलन के प्रमुख तथ्य (Quick Revision Table)

बिंदुविवरण
सबसे पुराना प्रजामंडलजयपुर प्रजामंडल (1931)
सबसे सक्रिय प्रजामंडलमेवाड़, जयपुर, बीकानेर, जोधपुर
प्रमुख नेतामाणिक्यलाल वर्मा, हीरालाल शास्त्री, पथिक
महिलाओं की भूमिकाविद्यावती वर्मा, कमला देवी, लक्ष्मी देवी
प्रमुख पत्र-पत्रिकाएँराजस्थान केसरी, नवजीवन, प्रजामंडल पत्रिका
प्रमुख आंदोलन1938-42 सत्याग्रह, 1946 प्रतिनिधि सभा
एकीकरण में भूमिकासभी प्रजामंडलों का योगदान

प्रजामंडल आंदोलन से जुड़े महत्वपूर्ण प्रश्न (MCQ/Short Notes)

  1. राजस्थान का सबसे पहला प्रजामंडल कौन-सा था?
    • उत्तर: जयपुर प्रजामंडल (1931)
  2. मेवाड़ प्रजामंडल के संस्थापक कौन थे?
    • उत्तर: माणिक्यलाल वर्मा, भूपेन्द्रनाथ त्रिवेदी
  3. डूंगरपुर प्रजामंडल के प्रमुख नेता कौन थे?
    • उत्तर: विजय सिंह पथिक, रामनारायण चौधरी
  4. प्रजामंडल आंदोलन का मुख्य उद्देश्य क्या था?
    • उत्तर: जनता के अधिकारों की रक्षा, लोकतांत्रिक शासन की स्थापना
  5. प्रजामंडल आंदोलन के दौरान प्रमुख पत्र-पत्रिकाएँ कौन-सी थीं?
    • उत्तर: राजस्थान केसरी, नवजीवन, प्रजामंडल पत्रिका

राजस्थान के प्रमुख प्रजामंडल न केवल राजस्थान के स्वतंत्रता आंदोलन का महत्वपूर्ण हिस्सा रहे, बल्कि इन्होंने लोकतांत्रिक चेतना, सामाजिक सुधार, शिक्षा, प्रेस स्वतंत्रता, किसानों और आदिवासियों के अधिकारों की रक्षा, और राजस्थान के एकीकरण में ऐतिहासिक भूमिका निभाई।
इन प्रजामंडलों के संघर्ष और बलिदान ने राजस्थान को लोकतंत्र की ओर अग्रसर किया और आज भी ये संगठन प्रेरणा का स्रोत हैं।

यह लेख प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए अत्यंत उपयोगी है और राजस्थान के इतिहास, समाज, राजनीति और स्वतंत्रता संग्राम को समझने के लिए अनिवार्य है।

  1. Rajasthan History

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