राजस्थान का इतिहास अत्यंत समृद्ध और विविधतापूर्ण है। इस ऐतिहासिक धरोहर को समझने के लिए शिलालेख (Inscriptions) और प्रशस्तियाँ (Eulogies) सबसे महत्वपूर्ण स्त्रोत माने जाते हैं। ये शिलालेख एवं प्रशस्तियाँ न केवल तत्कालीन राजाओं, समाज, धर्म, संस्कृति, प्रशासन एवं आर्थिक स्थिति का साक्ष्य प्रस्तुत करते हैं, बल्कि राजस्थान के इतिहास लेखन की नींव भी हैं। यहाँ हम राजस्थान के प्रमुख शिलालेखों एवं प्रशस्तियों का विस्तृत अध्ययन करेंगे, जो प्रतियोगी परीक्षाओं की दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है।
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शिलालेख एवं प्रशस्तियों की परिभाषा
शिलालेख: पत्थर, स्तंभ, मंदिर, बावड़ी, सरोवर, किले या अन्य किसी ठोस माध्यम पर उत्कीर्ण ऐतिहासिक लेख, जिन्हें शासकों, दानवीरों या समाज के प्रमुख व्यक्तियों द्वारा बनवाया गया।
प्रशस्ति: किसी राजा या महान व्यक्ति की उपलब्धियों, दान, युद्ध, निर्माण कार्य आदि का विस्तृत गुणगान, जो प्रायः काव्यात्मक शैली में लिखा जाता है।
राजस्थान के शिलालेखों का कालक्रम एवं लिपि
कालखंड
प्रमुख लिपियाँ
प्रमुख भाषाएँ
विशेषता
प्राचीन काल
ब्राह्मी, नागरी
संस्कृत, प्राकृत
धार्मिक, दान, प्रशासनिक विषय
मध्यकाल
नागरी, फारसी
संस्कृत, राजस्थानी, फारसी
वंशावली, युद्ध, निर्माण
मुगल-अंग्रेजी काल
फारसी, नागरी
फारसी, हिंदी, संस्कृत
प्रशासनिक, धार्मिक, आर्थिक
राजस्थान के प्रमुख शिलालेख
1. गोठ मांगलोद शिलालेख (608 ई.)
स्थान: नागौर जिला, दधिमती माता मंदिर
लिपि/भाषा: ब्राह्मी/संस्कृत
विशेषता:राजस्थान का सबसे प्राचीन शिलालेख माना जाता है। इसमें गुप्त संवत् या हर्ष संवत् की तिथि है। यह शिलालेख दाहिमा क्षेत्र का उल्लेख करता है, जिससे तत्कालीन सामाजिक-सांस्कृतिक स्थिति का ज्ञान मिलता है|
2. अपराजित का शिलालेख (661 ई.)
स्थान: नागदा (उदयपुर), कुंडेश्वर मंदिर
लिपि/भाषा: संस्कृत
विशेषता:सातवीं शताब्दी के मेवाड़ की धार्मिक और सामाजिक स्थिति का उल्लेख। विष्णु मंदिर निर्माण की परंपरा का उल्लेख मिलता है|
3. बिजौलिया शिलालेख (1170 ई.)
स्थान: बिजौलिया (भीलवाड़ा), पार्श्वनाथ मंदिर
लिपि/भाषा: संस्कृत
विशेषता:चौहान वंश की वंशावली, सांभर व अजमेर के शासकों की सूची, 32 श्लोकों में उत्कीर्ण।
4. चौखा शिलालेख (1273 ई.)
स्थान: चौखा (उदयपुर)
लिपि/भाषा: संस्कृत
विशेषता:गुहिल वंश की वंशावली, धार्मिक रीति-रिवाजों का उल्लेख, 51 श्लोकों में उत्कीर्ण।
5. रसिया की छतरी शिलालेख (1434 ई.)
स्थान: उदयपुर
लिपि/भाषा: संस्कृत, राजस्थानी
विशेषता: 14वीं शताब्दी की राजनीतिक, आर्थिक, धार्मिक स्थिति, तत्कालीन कर एवं मुद्रा (टंक) का उल्लेख।
प्रमुख प्राचीन शिलालेखों का सारांश
शिलालेख
वर्ष
स्थान
प्रमुख विषय/विशेषता
गोठ मांगलोद
608
नागौर
प्राचीनतम, दाहिमा क्षेत्र, गुप्त/हर्ष संवत्
अपराजित
661
नागदा (उदयपुर)
विष्णु मंदिर, मेवाड़ की धार्मिक स्थिति
बिजौलिया
1170
भीलवाड़ा
चौहान वंशावली, 32 श्लोक
चौखा
1273
उदयपुर
गुहिल वंशावली, धार्मिक रीति
रसिया की छतरी
1434
उदयपुर
कर, मुद्रा, सामाजिक-आर्थिक स्थिति
विशेष शिलालेख एवं प्रशस्तियाँ
6. शृंगी ऋषि शिलालेख (1428 ई.)
स्थान: एकलिंगजी के पास, उदयपुर
विशेषता:हम्मीर से मोकल तक के मेवाड़ शासकों की उपलब्धियाँ, राणा हम्मीर के युद्ध, भीलों की स्थिति, मेवाड़-गुजरात-मालवा के संबंध, 30 श्लोक।
7. समिधेश्वर मंदिर शिलालेख (1428 ई.)
स्थान: चित्तौड़गढ़
विशेषता:महाराणा मोकल द्वारा विष्णु मंदिर निर्माण, तत्कालीन शिल्पकारों, सामाजिक रीति-रिवाजों का उल्लेख।
8. रणकपुर प्रशस्ति (1439 ई.)
स्थान: रणकपुर, चौमुखा जैन मंदिर
विशेषता:बप्पा से कुंभा तक की वंशावली, मुद्रा (नाणक) का उल्लेख, जैन धर्म की स्थिति।
9. कुंभलगढ़ प्रशस्ति (1460 ई.)
स्थान: कुंभलगढ़ दुर्ग
विशेषता:महाराणा कुंभा की उपलब्धियाँ, युद्ध, मंदिर, बाजार, राजमहल, वंशावली।
10. राजप्रशस्ति महाकाव्य (1676 ई.)
स्थान: राजसमंद झील
विशेषता:महाराणा राजसिंह की उपलब्धियाँ, 25 काले पत्थरों पर उत्कीर्ण, आर्थिक, सामाजिक, राजनीतिक स्थिति का विस्तृत विवरण।
मध्यकालीन एवं अन्य प्रमुख शिलालेख
शिलालेख
वर्ष
स्थान
विशेषता
जमवा रामगढ़
1613
जयपुर
राजा मान सिंह के दत्तक संबंध
रायसिंह की प्रशस्ति
1594
बीकानेर
बीका से रायसिंह तक की वंशावली, भवन निर्माण
जगन्नाथ राय की प्रशस्ति
1652
उदयपुर
बप्पा से जगतसिंह तक की उपलब्धियाँ, राणा प्रताप-अकबर संघर्ष
शाहबाद का लेख
1679
शाहबाद
मुगल काल के कलाकारों की स्थिति
प्राचीनतम शिलालेख एवं उनकी ऐतिहासिक महत्ता
1. बड़ली शिलालेख (443 ई.)
स्थान: अजमेर, भीलोत माता मंदिर
लिपि: ब्राह्मी
विशेषता:राजस्थान का प्राचीनतम शिलालेख, ब्राह्मी लिपि का प्रथम उदाहरण, वर्तमान में अजमेर संग्रहालय में सुरक्षित।
2. घोसुण्डी शिलालेख (द्वितीय शताब्दी ई.पू.)
स्थान: चित्तौड़गढ़
लिपि/भाषा: ब्राह्मी/संस्कृत
विशेषता:गजवंश के राजा सर्पतात द्वारा अश्वमेध यज्ञ, वैष्णव धर्म का प्राचीनतम प्रमाण, मंदिर निर्माण।
3. नांदसा यूप स्तंभ लेख (225 ई.)
स्थान: नांदसा, भीलवाड़ा
विशेषता:यज्ञ स्तंभ, गुणगुरु द्वारा पश्ठिरात्र यज्ञ, संस्कृत भाषा में।
4. नगरी शिलालेख (दूसरी शताब्दी ई.पू.)
स्थान: नगरी, चित्तौड़गढ़
विशेषता:वैष्णव धर्म का प्रमाण, ब्राह्मी लिपि में संस्कृत भाषा, मंदिर निर्माण।
प्रशस्तियों की ऐतिहासिक भूमिका
प्रशस्तियाँ राजाओं की उपलब्धियों, युद्ध, दान, धार्मिक कार्यों, निर्माण कार्यों आदि का काव्यात्मक वर्णन करती हैं।
राजस्थान की प्रमुख प्रशस्तियाँ जैसे रणकपुर, कुंभलगढ़, राजप्रशस्ति आदि में वंशावली, युद्ध, सामाजिक-आर्थिक स्थिति, धार्मिक गतिविधियों का विस्तृत उल्लेख मिलता है।
इनसे तत्कालीन समाज, प्रशासन, धर्म, संस्कृति, मुद्रा, कर व्यवस्था आदि की जानकारी मिलती है।
राजस्थान के प्रमुख शिलालेखों का तुलनात्मक सारांश
शिलालेख/प्रशस्ति
वर्ष/काल
विषय/विशेषता
शासक/वंश
गोठ मांगलोद
608
दाहिमा क्षेत्र, प्राचीनतम
–
बिजौलिया
1170
चौहान वंशावली, सांभर-अजमेर
चौहान
चौखा
1273
गुहिल वंशावली, धार्मिक रीति
गुहिल
रणकपुर प्रशस्ति
1439
बप्पा से कुंभा तक वंशावली
गुहिल/सिसोदिया
कुंभलगढ़ प्रशस्ति
1460
कुंभा की उपलब्धियाँ, युद्ध
सिसोदिया
राजप्रशस्ति
1676
राजसिंह की उपलब्धियाँ, विस्तृत विवरण
सिसोदिया
घोसुण्डी
द्वितीय श.पू.
अश्वमेध यज्ञ, वैष्णव धर्म
गजवंश
नगरी
द्वितीय श.पू.
वैष्णव धर्म, मंदिर निर्माण
–
शिलालेखों से प्राप्त ऐतिहासिक जानकारी
राजवंशों की वंशावली
युद्ध, विजय, दान, निर्माण कार्य
धार्मिक, सामाजिक, आर्थिक, प्रशासनिक स्थिति
मुद्रा, कर, प्रचलित व्यवसाय
समाज व्यवस्था, रीति-रिवाज, धार्मिक प्रवृत्तियाँ
राजस्थान के शिलालेखों में प्रयुक्त प्रमुख लिपियाँ और भाषाएँ
लिपि
कालखंड
प्रमुख शिलालेख/प्रशस्ति
ब्राह्मी
प्राचीन
बड़ली, घोसुण्डी, नगरी
नागरी
मध्यकाल
बिजौलिया, चौखा, रणकपुर
संस्कृत
प्राचीन-मध्यकाल
अधिकांश शिलालेख
राजस्थानी
मध्यकाल
रसिया की छतरी, राजप्रशस्ति
फारसी
मुगल-अंग्रेजी काल
शाहबाद, आमेर आदि
निष्कर्ष
राजस्थान के शिलालेख एवं प्रशस्तियाँ न केवल ऐतिहासिक घटनाओं का साक्ष्य देती हैं, बल्कि तत्कालीन समाज, धर्म, प्रशासन, संस्कृति, अर्थव्यवस्था, और राजवंशों की वंशावली का भी प्रमाण प्रस्तुत करती हैं। इन शिलालेखों के माध्यम से राजस्थान के गौरवशाली इतिहास की परतें खुलती हैं और यह स्पष्ट होता है कि राजस्थान की भूमि न केवल वीरता, बल्कि सांस्कृतिक समृद्धि की भी प्रतीक रही है।
प्रमुख बिंदु (Quick Revision):
गोठ मांगलोद – राजस्थान का प्राचीनतम शिलालेख
बिजौलिया – चौहान वंशावली, सांभर-अजमेर
रणकपुर, कुंभलगढ़, राजप्रशस्ति – वंशावली, युद्ध, समाज, धर्म
घोसुण्डी, नगरी – वैष्णव धर्म, अश्वमेध यज्ञ
शृंगी ऋषि, समिधेश्वर – मेवाड़ के शासकों की उपलब्धियाँ