राजस्थान की प्रमुख सभ्यताएँ

By RR Classes

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राजस्थान का इतिहास अत्यंत समृद्ध और विविधतापूर्ण है। यहाँ की प्राचीन सभ्यताएँ न केवल भारतीय उपमहाद्वीप के सांस्कृतिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं, बल्कि मानव सभ्यता के क्रमिक विकास को भी दर्शाती हैं। राजस्थान की प्रमुख सभ्यताएँ परीक्षा दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण हैं, विशेषकर RPSC, RSMSSB, और अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए|

राजस्थान की प्राचीन सभ्यताओं का काल विभाजन

राजस्थान की सभ्यताओं का विकास विभिन्न कालखंडों में हुआ है, जिन्हें मुख्यतः निम्नलिखित प्रकार से विभाजित किया जा सकता है:

कालखंडप्रमुख सभ्यताएँप्रमुख स्थल
प्रारंभिक पाषाण युगबागौर, चंबल, बनास घाटीअजमेर, अलवर, भीलवाड़ा
मध्य पाषाण युगबैराच घाटी, बिराटनगरचित्तौड़गढ़, बिराटनगर
ताम्रपाषाण युगआहड़, गिलुंड, गणेश्वर, कालीबंगाउदयपुर, सीकर, श्रीगंगानगर

1. कालीबंगा सभ्यता

स्थिति एवं काल

  • स्थान: हनुमानगढ़ जिला, राजस्थान
  • काल: 2350 ई.पू. – 1750 ई.पू.
  • विशेषता: सिंधु घाटी सभ्यता की उपशाखा, प्राक-हड़प्पा एवं हड़प्पा दोनों काल के अवशेष|

मुख्य विशेषताएँ

  • यहाँ दो प्रमुख टीलों का उत्खनन हुआ: एक नगर और एक किला।
  • कालीबंगा का अर्थ है “काली चूड़ियाँ”।
  • यहाँ के लोग कृषि, पशुपालन, और व्यापार में दक्ष थे।
  • सिंचाई के लिए कुओं का उपयोग, कच्चे-पक्के मकान, और अनाज रखने के भंडारगृह मिले हैं।
  • यहाँ से अग्निकुंड, बैल की मूर्तियाँ, तांबे के औजार, और मिट्टी के बर्तन प्राप्त हुए हैं।
विशेषताविवरण
प्रमुख खोजकर्ताअमलानंद घोष, बी.बी. लाल, सी.के. भापर
प्रमुख अवशेषअग्निकुंड, काली चूड़ियाँ, कुएँ, तांबे के औजार
प्रमुख फसलेंगेहूँ, जौ, तिल

2. आहड़ (बनास) सभ्यता

स्थिति एवं काल

  • स्थान: उदयपुर जिला, बनास एवं बेराच नदी के किनारे
  • काल: 3000 ई.पू. – 1500 ई.पू.
  • विशेषता: ताम्रपाषाण युगीन सभ्यता, जिसे आहड़-बनास संस्कृति भी कहा जाता है|

मुख्य विशेषताएँ

  • यहाँ के निवासी तांबे के औजारों का प्रयोग करते थे।
  • कृषि, पशुपालन, और मछली पकड़ना मुख्य व्यवसाय था।
  • यहाँ से तांबे की कुल्हाड़ियाँ, भाले, और मछली पकड़ने के कांटे मिले हैं।
  • मिट्टी के लाल रंग के बर्तन, चित्रित डिजाइन के साथ, यहाँ की पहचान हैं।
विशेषताविवरण
प्रमुख स्थलआहड़, गिलुंड, बालाथल
प्रमुख अवशेषतांबे के औजार, मछली पकड़ने के कांटे
प्रमुख फसलेंगेहूँ, जौ, चना

3. गणेश्वर सभ्यता

स्थिति एवं काल

  • स्थान: सीकर जिला, खंडेला तहसील, खारी नदी के किनारे
  • काल: 2500 ई.पू. – 2000 ई.पू.
  • विशेषता: ताम्रपाषाण युग की सबसे प्राचीन सभ्यता, तांबे के औजारों का प्रमुख केंद्र|

मुख्य विशेषताएँ

  • यहाँ से तांबे की कुल्हाड़ियाँ, भाले, तीर, और चूड़ियाँ प्राप्त हुई हैं।
  • इस सभ्यता के लोग अलवर की खैताड़ी और खो-दरीबा खदानों से तांबा प्राप्त करते थे।
  • मिट्टी के लाल रंग के बर्तन, काली पट्टी के साथ, यहाँ की खासियत हैं।
  • यहाँ से मानव कंकाल और पशु अवशेष भी मिले हैं।
विशेषताविवरण
प्रमुख स्थलगणेश्वर, खंडेला
प्रमुख अवशेषतांबे के औजार, चूड़ियाँ, मानव कंकाल
प्रमुख धातुतांबा

4. बागौर सभ्यता

स्थिति एवं काल

  • स्थान: भीलवाड़ा जिला, मांडल तहसील, कालीसिंध नदी के किनारे
  • काल: 4000 ई.पू. – 2000 ई.पू.
  • विशेषता: मध्य पाषाणकालीन सभ्यता का प्रमुख उदाहरण।

मुख्य विशेषताएँ

  • यहाँ के लोग शिकार, मछली पकड़ना, और कृषि करते थे।
  • पत्थर के औजार, हड्डी के उपकरण, और मिट्टी के बर्तन मिले हैं।
  • यहाँ से पशु हड्डियों के अवशेष भी प्राप्त हुए हैं।

5. सोठी सभ्यता

स्थिति एवं काल

  • स्थान: गंगानगर जिला, घग्घर और चोतांग नदी के मैदान
  • काल: 4600 ई.पू. – 3800 ई.पू.
  • विशेषता: ग्रामीण सभ्यता, जिसे कालीबंगा प्रथम भी कहा जाता है1

मुख्य विशेषताएँ

  • मिट्टी के बर्तन, काले और लाल रंग के साथ, यहाँ की पहचान हैं।
  • हड़प्पा सभ्यता का मूल स्थान मानी जाती है।
  • यहाँ से कृषि उपकरण, पशु हड्डियाँ, और आभूषण मिले हैं।

6. रंग महल सभ्यता

स्थिति एवं काल

  • स्थान: श्रीगंगानगर, सूरतगढ़, सीकर, अलवर, झुंझुनू
  • काल: पहली से तीसरी शताब्दी ईस्वी
  • विशेषता: कुषाण और गुप्त काल की सभ्यता, टेराकोटा वस्तुएँ प्रसिद्ध1

मुख्य विशेषताएँ

  • सुंदर चित्रित फूलदान, ज्यामितीय डिजाइन, और लाल सतह वाले बर्तन यहाँ की पहचान हैं।
  • मिट्टी की किलेबंदी, ऊँचे टीले, और टेराकोटा की मूर्तियाँ मिली हैं।

7. अन्य प्रमुख सभ्यताएँ

सभ्यतास्थानविशेषता
बालाथलउदयपुरताम्रपाषाण युगीन, कृषि एवं पशुपालन
गिलुंडउदयपुरताम्रपाषाण युग, मिट्टी के बर्तन
बैराठजयपुरबौद्ध धर्म के अवशेष, अशोक स्तंभ
सुनारीझुंझुनूताम्रपाषाण युगीन अवशेष
रेडटोंकलौह युगीन अवशेष

सभ्यताओं की प्रमुख विशेषताओं की तुलना

सभ्यताकालप्रमुख औजार/वस्तुएँमुख्य व्यवसाय
कालीबंगा2350-1750 ई.पू.तांबे के औजार, अग्निकुंडकृषि, पशुपालन
आहड़3000-1500 ई.पू.तांबे की कुल्हाड़ियाँकृषि, मछली पकड़ना
गणेश्वर2500-2000 ई.पू.तांबे के भाले, चूड़ियाँतांबा निर्माण, कृषि
बागौर4000-2000 ई.पू.पत्थर/हड्डी के औजारशिकार, कृषि
सोठी4600-3800 ई.पू.मिट्टी के बर्तन, कृषि उपकरणकृषि, पशुपालन

महाजनपद काल और राजस्थान

महाजनपद काल में राजस्थान के कई क्षेत्र जनपदों के रूप में विकसित हुए। ये जनपद न केवल राजनीतिक दृष्टि से, बल्कि सामाजिक और आर्थिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण थे। महाजनपदों के विकास से राजस्थान में व्यापार, कृषि, और शिल्पकला का विस्तार हुआ1

निष्कर्ष

राजस्थान की प्रमुख सभ्यताएँ न केवल क्षेत्र की ऐतिहासिक विरासत का प्रमाण हैं, बल्कि यह भी दर्शाती हैं कि यहाँ के लोग प्राचीन काल से ही विज्ञान, शिल्प, कृषि, और व्यापार में अग्रणी रहे हैं। कालीबंगा, आहड़, गणेश्वर, बागौर, सोठी, रंग महल जैसी सभ्यताएँ राजस्थान के गौरवशाली अतीत की अमिट छाप हैं। इन सभ्यताओं का अध्ययन न केवल प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए बल्कि सांस्कृतिक अध्ययन के लिए भी अत्यंत आवश्यक है।

महत्वपूर्ण बिंदु:

  • कालीबंगा – सिंधु घाटी सभ्यता का हिस्सा
  • आहड़ – ताम्रपाषाण युगीन संस्कृति
  • गणेश्वर – तांबे के औजारों का प्रमुख केंद्र
  • बागौर – मध्य पाषाणकालीन सभ्यता
  • सोठी – कालीबंगा प्रथम, ग्रामीण सभ्यता
  • रंग महल – कुषाण-गुप्त कालीन संस्कृति

यह Notes राजस्थान की प्रमुख सभ्यताओं पर आधारित है और प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए अत्यंत उपयोगी है।


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