राजस्थान के पूर्वी भाग में स्थित कोटा जिला न केवल अपनी ऐतिहासिक विरासत, प्राकृतिक संसाधनों, शैक्षिक केंद्रों और सांस्कृतिक विविधता के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि यह औद्योगिक और कृषि क्षेत्र में भी अग्रणी है। कोटा का नाम आते ही कोटा स्टोन, शैक्षिक कोचिंग हब, चंबल नदी और दशहरा मेला जैसे अनेक पहलू सामने आते हैं। यह लेख प्रतियोगी परीक्षाओं और सामान्य अध्ययन के लिए कोटा जिले का विस्तृत और तथ्यात्मक अध्ययन प्रस्तुत करता है।
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कोटा का भौगोलिक स्थान, क्षेत्रफल और प्रशासनिक संरचना
अक्षांश-देशांतर: 24º 25′ से 25º 51′ उत्तर अक्षांश और 75º 37′ से 77º 26′ पूर्व देशांतर।
अलनिया डेम अपने प्राचीन शैल चित्रों के लिए प्रसिद्ध है, जो ऊपरी पुरापाषाण युग के हैं। ये चित्र आज भी अच्छी स्थिति में हैं और पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र हैं।
2. जगमंदिर पैलेस
किशोर सागर झील के मध्य स्थित यह महल 1743-1745 के बीच एक रानी द्वारा बनवाया गया था।
लाल बलुआ पत्थर से निर्मित यह महल अपनी सुंदरता के लिए प्रसिद्ध है।
यहाँ से झील और महल का दृश्य अत्यंत मनोहारी है, साथ ही बोटिंग का आनंद भी लिया जा सकता है।
3. गढ़ पैलेस (सिटी पैलेस)
यह विशाल परिसर राजपूत शैली में निर्मित है।
विभिन्न शासकों द्वारा समय-समय पर निर्मित कई सुइट्स और अपार्टमेंट्स यहाँ हैं।
महाराो मदहो सिंह संग्रहालय इसी परिसर में स्थित है, जहाँ कोटा स्कूल की लघु चित्रकला, मूर्तियाँ, भित्ति चित्र और भव्य शिल्पकला देखी जा सकती है।
कोटा के प्रमुख प्राकृतिक स्थल
1. मुकुंदरा टाइगर रिजर्व
कोटा से 50 किमी दूर स्थित यह रिजर्व 417 वर्ग किमी के कोर क्षेत्र और 342.82 वर्ग किमी के बफर क्षेत्र में फैला है।
यहाँ बाघ, पैंथर, हिरण, जंगली सूअर, भालू आदि वन्य जीव पाए जाते हैं।
2. जवाहर सागर डेम
चंबल नदी पर निर्मित यह डेम 1972 में बनाया गया था।
यह चंबल वैली प्रोजेक्ट का हिस्सा है और कोटा क्षेत्र की सिंचाई, जल आपूर्ति एवं विद्युत उत्पादन के लिए महत्वपूर्ण है।
3. गरड़िया महादेव मंदिर
दाबी रोड (NH 76) पर स्थित यह मंदिर चंबल नदी के भव्य दृश्य के लिए प्रसिद्ध है।
मानसून के समय यहाँ का दृश्य अत्यंत आकर्षक होता है।
कोटा का भूगोल और जलवायु
कोटा का अधिकांश भाग कोटा-हरावती मैदान कहलाता है, जिसकी औसत ऊँचाई 250 मीटर है।
मुकुंदरा पर्वतमाला दक्षिण-पूर्व से उत्तर-पश्चिम दिशा में फैली हुई है, जिसकी ऊँचाई 492 मीटर तक जाती है।
क्षेत्र की ढलान उत्तर की ओर है, और यहाँ की भूमि उपजाऊ है।
चंबल नदी और उसकी सहायक नदियाँ यहाँ की सिंचाई व्यवस्था का आधार हैं ।
कोटा की जलवायु
माह
औसत उच्चतम तापमान (°C)
औसत न्यूनतम तापमान (°C)
औसत वर्षा (मिमी)
जनवरी
23.2
11.2
5.7
मई
42.6
30.0
9.7
जुलाई
34.3
27.0
296.7
सितंबर
33.9
25.5
108.7
दिसंबर
25.7
12.6
3.6
सालाना
–
–
816.2
यहाँ अर्ध-शुष्क जलवायु है, गर्मियाँ अत्यंत गर्म (अक्सर 45°C से अधिक) और वर्षा मुख्यतः जून-सितंबर के बीच होती है ।
कोटा की जनसंख्या, भाषा और सामाजिक संरचना
जनसंख्या (2011): 19,50,491
जनसंख्या घनत्व: 374 व्यक्ति/वर्ग किमी
लिंगानुपात: 906 महिलाएँ प्रति 1000 पुरुष
साक्षरता दर: 77.48%
शहरीकरण: 60.31%
प्रमुख भाषा:हरौती (राजस्थानी की उपभाषा), हिंदी, मारवाड़ी, अंग्रेज़ी
धार्मिक संरचना:
हिंदू: 80.5%
मुस्लिम: 15.9%
जैन: 2.2%
सिख: 0.9%
ईसाई: 0.4%
कोटा की अर्थव्यवस्था, उद्योग एवं शिक्षा
कोटा राजस्थान का प्रमुख औद्योगिक केंद्र है।
यहाँ कपास, मोटा अनाज, गेहूँ, चावल, धनिया, तेल-बीज की कृषि होती है।
कपास मिलिंग, तेल मिलिंग, टेक्सटाइल, डिस्टिलिंग, डेयरी, मेटल हैंडीक्राफ्ट्स और इंजीनियरिंग इक्विपमेंट के उद्योग हैं।
कोटा स्टोन की खनन और पॉलिशिंग यहाँ की विशेषता है, जो सस्ते और टिकाऊ फर्श-पत्थर के रूप में प्रसिद्ध है।
शिक्षा के क्षेत्र में कोटा देशभर में प्रसिद्ध है, यहाँ IIT-JEE और नीट जैसी प्रतियोगी परीक्षाओं की कोचिंग के लिए लाखों विद्यार्थी आते हैं ।
कोटा के प्रमुख खनिज और प्राकृतिक संसाधन
खनिज/पत्थर
प्रमुख क्षेत्र/विशेषता
रेत-पत्थर
विंध्यन सैंडस्टोन (लाल व सफेद), भवन निर्माण में उपयोग, खिमुच (सफेद), बोरावास, देवली, कासर, मंडाना, कनवास (लाल)
चूना पत्थर
मोरक, चेचट, देवली, कोटरी, मिलो, जुल्मी, निमोड़ा, डार्रा, सुकेत, रामगंजमंडी – स्लैब स्टोन के रूप में प्रसिद्ध “कोटा स्टोन”
अन्य
चूना बनाने हेतु – इंदरगढ़, मंडाना आदि स्थानों पर खनन
कोटा स्टोन अपनी मजबूती, टिकाऊपन और चमक के लिए प्रसिद्ध है।
रेत-पत्थर का उपयोग भवन निर्माण और सजावटी कार्यों में होता है ।
कोटा के प्रमुख मेले, त्यौहार और सांस्कृतिक आयोजन
कोटा दशहरा मेला
दशहरा के अवसर पर आयोजित यह मेला भारत के सबसे बड़े दशहरा मेलों में से एक है।
रामलीला, रावण, कुम्भकरण, मेघनाथ के 75 फीट ऊँचे पुतलों का दहन, आतिशबाजी, सांस्कृतिक कार्यक्रम इसकी विशेषता हैं।
कोटा एडवेंचर फेस्टिवल
चंबल एडवेंचर फेस्टिवल में पैरासेलिंग, राफ्टिंग, विंड सर्फिंग, वाटर स्कीइंग, कयाकिंग, रॉक क्लाइम्बिंग, ट्रेकिंग, ग्लाइडिंग, एंगलिंग आदि गतिविधियाँ होती हैं।
गणगौर उत्सव
गणगौर राजस्थान का प्रमुख पर्व है, जिसमें कुंवारी और विवाहित महिलाएँ देवी गौरी की पूजा करती हैं।
होली के बाद से 18 दिन तक चलने वाला यह उत्सव लोकगीतों, नृत्य और शोभायात्राओं से भरा होता है।
कोटा के प्रमुख बांध और सिंचाई व्यवस्था
बांध का नाम
नदी
निर्माण वर्ष
उद्देश्य
अलनिया डेम
अलनिया
–
जल संग्रहण, चित्रकला स्थल
जवाहर सागर डेम
चंबल
1972
सिंचाई, जल आपूर्ति, विद्युत
कोटा बैराज
चंबल
1955
सिंचाई, जल आपूर्ति
कोटा बैराज से दो मुख्य नहरें – बाईं मुख्य नहर (बूंदी की ओर) और दाईं मुख्य नहर (बारां की ओर) निकलती हैं, जो सिंचाई के लिए महत्वपूर्ण हैं ।
कोटा के प्रमुख शैक्षिक संस्थान, प्रशासनिक एवं औद्योगिक केंद्र
कोटा नगर निगम (उत्तर-दक्षिण), कलेक्टरेट, मंडलायुक्त कार्यालय, राजस्थान हाउसिंग बोर्ड, कोटा विकास प्राधिकरण, पुलिस अधीक्षक, रेलवे मंडल कार्यालय, केंद्रीय उत्पाद शुल्क कार्यालय आदि प्रमुख सरकारी संस्थान हैं।
इंस्ट्रूमेंटेशन लिमिटेड जैसे सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम यहाँ स्थित हैं।
कोटा में अनेक सरकारी एवं निजी शैक्षिक संस्थान, कोचिंग सेंटर, इंजीनियरिंग एवं मेडिकल कॉलेज हैं ।
महत्वपूर्ण तथ्य सारणी
विषय
विवरण
जिला स्थापना
1631 (बूंदी से पृथक)
कुल क्षेत्रफल
5,098 वर्ग किमी
कुल तहसीलें
6
प्रमुख नदियाँ
चंबल, अलनिया
प्रमुख पर्व
दशहरा, गणगौर, एडवेंचर फेस्टिवल
प्रमुख खनिज
कोटा स्टोन, चूना पत्थर, रेत-पत्थर
जनसंख्या (2011)
19,50,491
साक्षरता दर
77.48%
प्रमुख भाषा
हरौती, हिंदी
प्रमुख उद्योग
शिक्षा, कोटा स्टोन, कृषि, इंजीनियरिंग
कोटा जिला इतिहास, भूगोल, खनिज, संस्कृति, शिक्षा और औद्योगिक विकास के लिहाज से अत्यंत महत्वपूर्ण है।
यहाँ के प्राकृतिक स्थल, किले, बांध, त्यौहार, शैक्षिक संस्थान और खनिज संपदा इसे राजस्थान के अन्य जिलों से अलग पहचान दिलाते हैं।
प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए कोटा जिले से जुड़े तथ्य, सांस्कृतिक विरासत और प्राकृतिक संसाधनों की जानकारी अत्यंत आवश्यक है।